Bokaro News : विस्थापितों, बेरोजगारों व कोयला मजदूरों की आवाज थे एके राय
Bokaro News : सादगी व ईमानदारी की प्रतिमूर्ति मासस नेता एके राय 70 के दशक में बेरमो के विस्थापितों, ग्रामीण बेरोजगारों व कोयला मजदूरों की आवाज थे.
बेरमो, सादगी व ईमानदारी की प्रतिमूर्ति मासस नेता एके राय 70 के दशक में बेरमो के विस्थापितों, ग्रामीण बेरोजगारों व कोयला मजदूरों की आवाज थे. वर्ष 1977 में सांसद बनने के बाद उन्होंने गोमिया के आइइएल बारूद कारखाना में लंबी लड़ाई लड़ कर कई मजदूरों को न्याय दिलाया था. स्व एके राय व बिनोद बिहारी महतो ने सीसीएल के कथारा, ढोरी व बीएंडके एरिया सहित डीवीसी के बीटीपीएस व सीटीपीएस में विस्थापितों की लड़ाई का नेतृत्व किया था. इसके फलस्वरूप सैकड़ों विस्थापितों, वाशरी के क्लीनिंग व स्लरी पौंड के मजदूरों को नियोजन मिला. 70-80 के दशक में गोमिया स्थित आइइएल बारूद कारखाना कंपनी ने 77 दिनों तक प्लांट को बंद कर दिया था तथा कार्यरत मजदूरों को भी निकाल दिया था. बिनोद बिहारी महतो के साथ एके राय आइइएल प्लांट में धारा 144 लगा होने के बावजूद पहुंचे तथा खुली जीप पर पूरी आइइएल कॉलोनी में घूम-घूम कर मजदूरों को प्लांट गेट के समक्ष एकत्रित किया. प्रबंधन व प्रशासन को चेतावनी दी कि पांच मिनट के अंदर वार्ता कर प्रबंधन अपना निर्णय वापस ले. इसके बाद रात 12 बजे प्रबंधन व प्रशासन की मौजूदगी में वार्ता हुई.
एके राय ने एक बार बीसीसीएल के सुदामडीह वाशरी से लेकर सीसीएल के गिद्दी वाशरी तक स्लरी पौंड के अलावा प्लांट क्लीनिंग के मजदूरों को लेकर आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन के तहत बेरमो के कथारा कोल वाशरी में 153 प्लांट क्लीनिंग से जुड़े मजदूरों तथा कथारा कोलियरी में 171 स्लरी पौंड से जुड़े मजदूरों की नौकरी स्थायी हुई. तत्कालीन बोकारो डीसी व सीसीएल के उच्च प्रबंधन के साथ वार्ता कर कथारा वाशरी में 100 लोगों को जमीन के बदले नियोजन दिलवाया था. कथारा की ही गोविंदपुर परियोजना में 144 विस्थापितों को जमीन के बदले नौकरी दिलवायी थी. जारंगडीह रेलवे साइडिंग में 13 दिनों के चक्का जाम आंदोलन में आकर आंदोलनकारियों का हौसला बढ़ाया था.डिसमिस हुए पांच लोगों को दस साल बाद कराया था बहाल
वर्ष 1980-82 में कथारा में सीपीआइ व झामुमो से जुड़े एसके बनर्जी, केके चटर्जी, नारायण गोप, एमसी घोष, बढी नारायण प्रसाद, केशव सिंह यादव आदि को सीसीएल प्रबंधन ने पहले ट्रांसफर और बाद में डिसमिस कर दिया था. एके राय ने मामला संसद में उठाते हुए एक कानून बनवाया. इसमें कहा गया कि वर्कर ट्रिब्यूनल में अपना केस अपने पैसों से लड़ते है, जबकि सीसीएल अपना फंड से लड़ती है. वर्कर को केस लड़ने तक हर माह पांच हजार रुपये राहत के रूप में दिया जाये और सैलरी भी मिले. कहते है करीब दस वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद एके राय के प्रयास से सभी पांचों मजदूरों को पुनः बहाल किया गया था.कसमार के कैलाश रजवार की मौत मामले में पुलिसकर्मी का हुआ निलंबन
कसमार में कैलाश रजवार की मौत पुलिस की पिटाई से होने की सूचना देने कथारा से मसस नेता रहे संतोष आस व अन्य एके राय से मिलने धनबाद पहुंचे. स्व राय ने जानकारी लेने के बाद संतोष आस के साथ तुरंत बस में बैठ कर गिरिडीह डीसी के यहां पहुंचे. डीसी व एसपी के पहुंचने के तुरंत बाद गिरिडीह से बस से एके राय बहादुरपुर पहुंचे तथा वहां से ट्रैकर से कसमार पहुंचे. लोगों को ललकारा तथा धारा 144 को तोड़वाया तथा थाना का घेराव करा कर वार्ता करायी. इसके बाद दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ जांच कमेटी गठित हुई और उसे निलंबित किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
