14 नवंबर पर विशेष: जवाहर लाल नेहरू का सपना था बोकारो स्टील प्लांट, तस्वीरों में देखें नेहरू के सपने की झलक

14 November, Jawahar Lal Nehru, Bokaro Steel Limited: बोकारो स्टील प्लांट देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के सपनों को पूरा कर रहा है. बोकारो में नेहरू के सपने की झलक है. 14 नवंबर यानी आज नेहरू का जन्मदिन है. ऐसे में नेहरू व बीएसएल की चर्चा समसामयिक है. बीएसएल पूर्वी भारत का औद्योगिक गौरव है. भारत व रूस की मित्रता के प्रतीक इस कारखाने की स्थापना के पीछे बड़ी रोमांचक दास्तान है.

By Prabhat Khabar Print Desk | November 14, 2020 2:33 PM

बोकारो (सुनील तिवारी) : बोकारो स्टील प्लांट देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के सपनों को पूरा कर रहा है. बोकारो में नेहरू के सपने की झलक है. 14 नवंबर यानी आज नेहरू का जन्मदिन है. ऐसे में नेहरू व बीएसएल की चर्चा समसामयिक है. बीएसएल पूर्वी भारत का औद्योगिक गौरव है. भारत व रूस की मित्रता के प्रतीक इस कारखाने की स्थापना के पीछे बड़ी रोमांचक दास्तान है.

द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद दुनिया पूंजीवाद (अमेरिका) व साम्यवाद (रूस) के दो खेमों में बंट चुकी थी. भारत को तब नयी-नयी आजादी मिली थी. देश को उन उद्योगों की जरूरत थी, जिससे विकास के लिए बुनियादी ढांचा खड़ा किया जा सके. जैसे स्टील, एयरक्राफ्ट, ऑटो इंडस्ट्री, पनबिजली परियोजना आदि. नेहरू भारत के इन्हीं सपनों को लिए 1955 में सोवियत रूस की यात्रा पर निकले थे.

जवाहर लाल नेहरू नेहरू को जैसा कि वो अपनी आत्मकथा में कहते हैं, आधुनिक भारत के मंदिरों का निर्माण करना था. तब नेहरू दिल्ली से लगभग 5000 किलोमीटर दूर याकेतरिनबर्ग शहर में थे. उनके साथ थीं उनकी बेटी इंदिरा गांधी. नेहरू ने सोवियत रूस की यात्रा 7 जून 1955 को शुरू की थी. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस के इस शहर में बड़े पैमाने पर लोहा गलाकर स्टील बनाया जा रहा था.

Also Read: Children’s Day 2020: पंडित नेहरू, डॉ कलाम के बाद क्या कोई बन पाया बच्चों का चाचा…

नेहरू मास्को से लेनिनग्राद की वृहद यात्रा पर निकले. इस दौरान उन्होंने स्टालिनग्राद, क्रीमिया, जॉर्जिया, अस्काबाद, ताशकंद, समरकंद, अल्टाई क्षेत्र, मैग्नीटोगोर्स्क व सवर्दलोव्स्क शहरों का भ्रमण किया. सवर्दलोव्स्क शहर का नाम बदलकर अब याकेतरिनबर्ग हो गया है. याकेतरिनबर्ग शहर को सोवियत रूस की स्टील राजधानी कहते हैं.

14 नवंबर पर विशेष: जवाहर लाल नेहरू का सपना था बोकारो स्टील प्लांट, तस्वीरों में देखें नेहरू के सपने की झलक 3
उर्लमाश कारखाने में बीएसएल के लिए बनी भारी-भरकम मशीन

याकेतरिनबर्ग शहर में मौजूद हैवी इंजीनियरिंग प्लांट उर्लमाश से नेहरू काफी प्रभावित हुए. एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय इतिहासकार ओलगा बुखारकिना बताते हैं, ‘उर्ल पहाड़ों की शृंखला में बसे इस शहर ने नेहरू का दिल जीत लिया. बाद में उर्लमाश कारखाने में ही बोकारो स्टील प्लांट के लिए भारी-भरकम मशीन बनायी गयी, फिर उन्हें भारत लाया गया.’

Also Read: झारखंड के 90% बच्चों को नहीं मिलता पोषक आहार, 3.3 करोड़ में 1.3 करोड़ लोग गरीब, कैसे खत्म हो पीढ़ियों से चला आ रहा कुपोषण?

तमिलनाडु में बने कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट के लिए भी रूस के इस प्लांट ने भारी यंत्र भारत को मुहैया कराये हैं. नेहरू की इस यात्रा के साथ ही भारत में दो आधुनिक स्टील प्लांट लगने का रास्ता खुल गया. ये स्टील प्लांट थे भिलाई और बोकारो. दूरदर्शी नेहरू स्टील की ताकत से पहले हीं परिचित थे. एक जगह वे लिखते हैं : स्टील अर्थव्यवस्था की ताकत का प्रतीक है.

रूस के इंजीनियर आये बोकारो, प्लांट बनाने में पूरी मदद की

नेहरू ने भारत की इस जरूरत को रूस से पूरा करने का अवसर समझा. रूस की तत्कालीन सरकार से इस बाबत बात की. इस मिशन में उन्हें कामयाबी भी मिली. तब भारत जैसे नये-नवेले देश को ये तकनीक कोई भी सक्षम देश सहृदयता से देने को तैयार नहीं था. लेकिन, निकिता क्रुश्चेव के दौर के रूस ने भारत की जरूरतों का सम्मान किया.

Also Read: शादी का झांसा देकर युवती को घर से लेकर भागा, रास्ते में बलात्कार कर भाग गया

भारत में दो स्टील प्लांट बनाने के लिए जरूरी सामान व तकनीक देने पर राजी हो गया. रूस के इंजीनियर बोकारो (तत्कालीन बिहार) व भिलाई (तत्कालीन मध्य प्रदेश) आये. यहां पर उन्होंने भिलाई व बोकारो स्टील प्लांट को बनाने में पूरी मदद की. भिलाई भारत का पहला आधुनिक सरकारी स्टील प्लांट है. बोकारो का कारखाना इसके बाद अस्तित्व में आया. बीएसएल आज सेल की एक महत्वपूर्ण इकाई बन चुका है.

6 अप्रैल 1968 को इंदिरा ने बीएसएल की आधारशिला रखी

नेहरू अपने जीवन काल में बोकारो स्टील प्लांट को आधुनिक भारत का मंदिर बनते हुए देखने का सपना पूरा नहीं कर पाये. वह इस प्लांट की तैयारी में ही थे कि 27 मई, 1964 को उनका निधन हो गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने बीएसएल की फाइल को आगे बढ़ाया. 25 जनवरी, 1965 को भारत व रूस के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुआ. नेहरू जब 1955 में रूस के दौरे पर गये थे, तब इंदिरा भी उनके साथ थीं.

14 नवंबर पर विशेष: जवाहर लाल नेहरू का सपना था बोकारो स्टील प्लांट, तस्वीरों में देखें नेहरू के सपने की झलक 4
Also Read: Happy Children’s Day 2020: झारखंड में क्यों मर रहा बच्चों का बचपन, बाल दिवस पर पढ़िए समाज का स्याह चेहरा

भारत का औद्योगिक परिदृश्य कैसा हो, इस विजन को उन्होंने अपने पिता से बखूबी समझा था. जब इंदिरा पीएम बनीं, तो उनके पास इस विजन को पूरा करने का मौका व सामर्थ्य दोनों आया. 6 अप्रैल, 1968 को इंदिरा गांधी ने बीएसएल की आधारशिला रखी. प्लांट का पहला ब्लास्ट फर्नेस 2 अक्टूबर, 1972 को शुरू हुआ और स्टील का उत्पादन शुरू हो गया.

Posted By : Mithilesh Jha

Next Article

Exit mobile version