Haryana Municipal Election: हरियाणा नगरपालिका चुनावों में भाजपा का भगवा लहाराया, AAP का भी खाता खुला

Haryana Municipal Election Results 2022: हरियाणा में संपन्न हुए म्युनिसिपल चुनावों के परिणाम आने लगे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने भगवा लहरा दिया है. आम आदमी पार्टी का भी खाता खुल गया है. कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार ही नहीं उतारे थे. निकाय चुनावों के परिणाम पर विस्तृत रिपोर्ट यहां पढ़ें...

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2022 8:52 PM

Haryana Municipal Election Results 2022: हरियाणा नगरपालिका चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने भगवा लहरा दिया है. मतगणना के आधार पर मीडिया रिपोर्ट्स में ये बातें कही गयीं हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) का भी खाता खुल गया है. आम आदमी पार्टी ने इसमाइलाबाद (कैथल) नगरपालिका कमेटी के चेयरपर्सन का चुनाव जीत लिया है. हालांकि, इसके अलावा किसी और सीट पर आम आदमी पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली है. अंतिम परिणाम अभी तक जारी नहीं किये गये हैं, क्योंकि कई जगहों पर अभी भी मतगणना जारी है.

19 जून को हुई थी वोटिंग

हरियाणा में 19 जून 2022 को 18 म्युनिसिपल काउंसिल और 28 म्युनिसिपल कमेटी के चुनाव कराये गये थे. बुधवार यानी 22 जून 2022 को सुबह 8 बजे वोटों की गिनती शुरू हुई. मतगणना में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी लीड ले ली है. हरियाणा में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे. वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने म्युनिसिपल इलेक्शन में प्रचार भी नहीं किया. हालांकि, ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी INLD और दुष्यंत चौटाला की पार्टी JJP ने भी कुछ सीटें जीती हैं.

70 फीसदी लोगों ने किया था मतदान

रविवार को 70 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. बता दें कि हरियाणा में सत्तारूढ़ गठबंधन भाजपा-जेजेपी और INLD के अलावा आम आदमी पार्टी ने अपनी पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ा. कई कांग्रेसी नेता भी चुनाव लड़े, लेकिन वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव के मैदान में उतरे. कांग्रेस ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा. हालांकि, उसने कई उम्मीदवारों को अपना समर्थन जरूर दिया.

हरियाणा में अंतर्कलह से जूझ रही है कांग्रेस

बताया जा रहा है कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी अंतर्कलह से जूझ रही है. इसलिए उसने निकाय चुनावों में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे. पिछले 7-8 सालों में जमीनी स्तर पर कांग्रेस बेहद कमजोर हुई थी. उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ है.

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