गुजरात: ताजिया जुलूस के दौरान करंट लगने से दो लोगों की मौत, मचा हड़कंप

अधिकारी ने बताया कि इमाम हुसैन के मकबरे की एक छोटी प्रतिकृति ताजिया के बिजली के तार से छू जाने के बाद उसमें करंट आ गया, जिसकी चपेट में 12 लोग आ गये.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2022 1:48 PM

मुहर्रम की पूर्व संध्या पर गुजरात के जामनगर शहर में निकाले जा रहे ताजिया जुलूस के दौरान करंट लगने से दो लोगों की मौत हो गयी जबकि 10 अन्य घायल हो गये. इस घटना के बाद वहां हड़कंप मच गया. इस संबंध में पुलिस की ओर से जानकारी दी गयी है. बी-संभाग थाने के एक अधिकारी ने बताया कि घटना सोमवार की रात करीब सवा 11 बजे हुई, जब जुलूस शहर के धारानगर मोहल्ले से गुजर रहा था. मुस्लिम समुदाय के लोग कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम मनाते हैं.

ताजिया के बिजली के तार से छू जाने के बाद उसमें करंट आ गया

अधिकारी ने बताया कि इमाम हुसैन के मकबरे की एक छोटी प्रतिकृति ताजिया के बिजली के तार से छू जाने के बाद उसमें करंट आ गया, जिसकी चपेट में 12 लोग आ गये. उन्होंने बताया कि ताजिया के तार को छूते ही उसके सिरे से एक चिंगारी निकलती दिखाई दी. ताजिया के संपर्क में आए लोगों को बिजली का झटका लगा. सभी 12 लोगों को एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने दो लोगों को मृत घोषित कर दिया.

मृतकों की पहचान

अधिकारी ने बताया कि मृतकों की पहचान आसिफ यूनुस भाई मलिक (23) और मोहम्मद वहीद (25) के तौर पर हुई है; ताजिया आम तौर पर बांस से बनाया जाता है और रंगीन रोशनी एवं कागज से उसे सजाया जाता है. आपको बता दें कि देश के कई राज्यों में ताजिया जुलूस के दौरान बिजली कट कर दी जाती है ताकि कोई हादसा ना हो.

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तजिया जुलूस के बारे में जानें

यहां चर्चा कर दें कि इस्लामिक कैलेण्डर के अनुसार इस्लामिक न्यू ईयर की शुरुआत 30 जुलाई से हो चुकी है. मुस्लिमों का पहला महीना मुहर्रम होता है. इसे मुस्लिम लोग गम के महीने के रूप में मनाते हैं. इस महीने के दसवें दिन को मुहर्रम के रूप में मनाया जाता है. इस बार मुहर्रम का त्योहार आज यानी 9 अगस्त को मनाया जा रहा है. आपको बता दें इस्लाम का हर त्योहार चांद देखने के बाद ही मनाया जाता है. मुहर्रम का पूरा महीना रहमत वाला होता है. इस महीने की शुरुआत से ही लोग अपने-अपने इलाकों में तजिया बनाने का काम करते हैं. मुहर्रम के एक दिन पहले लोग तजिया को चबूतरा पर रख देते हैं और अगले दिन सुबह तजिया जुलूस निकालते हैं. साथ ही इस दिन क्षेत्र में होने वाले मेलों में तजिया सम्मेलन कराते हैं.

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