कोरोना के पैटर्न का अध्ययन – पांचवें हफ्ते में कमजोर पड़ जाता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस तीसरे हफ्ते में कोहराम मचाता है और पांचवें हफ्ते के बाद यह वायरस कमजोर पड़ जाता है. कोरोना की तबाही मचाने के पैटर्न पर किये गये एक स्टडी में यह दावा किया गया है. इसमें कहा गया है कि विज्ञान के सिद्धांत और महामारी से लड़ने की क्षमता विकसित करने या वायरस की मारक क्षमता को घटाने के हिसाब से 21 दिन की अवधि का बड़ा योगदान है.

By Pritish Sahay | March 28, 2020 3:04 AM

दिल्ली : कोरोना वायरस तीसरे हफ्ते में कोहराम मचाता है और पांचवें हफ्ते के बाद यह वायरस कमजोर पड़ जाता है. कोरोना की तबाही मचाने के पैटर्न पर किये गये एक स्टडी में यह दावा किया गया है. इसमें कहा गया है कि विज्ञान के सिद्धांत और महामारी से लड़ने की क्षमता विकसित करने या वायरस की मारक क्षमता को घटाने के हिसाब से 21 दिन की अवधि का बड़ा योगदान है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना से लड़ने के लिए पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन का एलान किया है. सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के एचओडी डॉक्टर जुगल किशोर का कहना है कि अब तक की स्टडी में यह पता चला है कि तीसरे हफ्ते में यह वायरस सबसे ज्यादा खतरनाक होता है.

पांचवें हफ्ते के बाद यह कमजोर पड़ जाता है. डॉक्टर जुगल किशोर ने बताया कि जिन-जिन देशों में यह वायरस महामारी का रूप ले चुका है, वहां की स्टडी में पता चला है कि यह वायरस किस तरह तबाही मचाता है. तीसरे हफ्ते में सबसे अधिक तेजी से कोरोना का संक्रमण होता है. दुनिया के कई देशों ने कोरोना से लड़ने के लिए अपने देश में जो लॉक डाउन किया है, उसकी अवधि भी 21 दिन ही रखी गयी है.

14 दिनों का होता है संक्रमण चक्र

इस लॉक डाउन का दूसरा पहलू है कोरोना वायरस से आम लोगों को बचाना और संक्रमित लोगों की पहचान कर उनका इलाज करना. कोरोना वायरस का संक्रमण चक्र 14 दिनों का है, इस दौरान किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिख सकते हैं किसी में नहीं भी दिख सकते हैं. दोनों को कवर करने के लिए 21 दिन का वक्त काफी होता है. लॉकडाउन की अवधि में अगर सभी लोग अपने-अपने घर में रहें, तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि 14 दिनों के अंदर संक्रमित लोगों में इसके लक्षण सामने आ जायेंगे.

कोरोना का सबसे बुरा दौर हुआ खत्म : लॉकडाउन से होनेवाले फायदे

लॉकडाउन का सबसे बड़ा फायदा है कि 14 दिनों के अंदर संक्रमित लोगों में इसके लक्षण आ जायेंगे. वे अपनी बीमारी के इलाज के लिए जायेंगे. उनकी जांच होगी, तो संक्रमण का पता चलेगा. उनकी वजह से संक्रमण फैलने के बारे में भी आसानी से पता लगाया जा सकेगा. उनकी वजह से लोकल इंफेक्शन ही संभव होगा, क्योंकि संक्रमित व्यक्ति भी अपने ही घर में लॉकडाउन है. वायरस केवल उनके घर तक सीमित है.

नोबेल विजेता माइकेल लेविट बोले, धीरे-धीरे सुधरेंगे हालात

2013 में रसायन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और स्टैनफोर्ड बायोफिजिसिस्ट माइकेल लेविट का कहना है कि कोरोना का दुनिया में सबसे बुरा दौर शायद पहले ही खत्म हो चुका है. उनका कहना है कि कोरोना वायरस से जितना बुरा होना था, वह हो चुका है और अब धीरे-धीरे हालात सुधरेंगे.

माइकेल ने कहा कि लक्ष्य के करीब पहुंचने के लिए शुरुआत में ही पहचान करना बहुत जरूरी है, न केवल टेस्टिंग से बल्कि बॉडी टेंपरेचर सर्विलांस से भी जो चीन अपने यहां लागू कर रहा है और शुरुआत में ही सोशल आइसोलेशन कर रहा है. लेविट के मुताबिक, इटली की वैक्सीन विरोधी मानसिकता ही शायद एक मजबूत वजह थी कि वहां वायरस इतनी तेजी से फैल गया. कहा कि फ्लू के खिलाफ वैक्सीन लेना जरूरी है.

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