Patna: समय पर पहचान और आधुनिक इलाज से संभव है यूरीथ्रल स्ट्रिक्चर का इलाज: डॉ. कुमार राजेश रंजन 

Patna: यूरीथ्रल स्ट्रिक्चर यानी मूत्रमार्ग का संकुचन ऐसी समस्या है जो पुरुषों में तेजी से देखी जा रही है. देर से पहचान होने पर यह समस्या किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकती है.

By Prabhat Khabar | December 13, 2025 6:56 PM

Patna: यूरीथ्रल स्ट्रिक्चर यानी मूत्रमार्ग का संकुचन ऐसी समस्या है जो पुरुषों में तेजी से देखी जा रही है. देर से पहचान होने पर यह समस्या किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन समय पर जांच और आधुनिक तकनीकों से इसका उपचार बेहद सफल है. 

शुरुआती जांच में ही पकड़ में आ जाता है रोग: डॉ. कुमार राजेश रंजन 

वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट एवं सत्यदेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. कुमार राजेश रंजन के अनुसार यूरीथ्रल स्ट्रिक्चर ज्यादातर पुराने इंफेक्शन, दुर्घटनाओं, प्रोस्टेट सर्जरी, बार-बार कैथेटर लगाने या किसी चोट के कारण होता है. उन्होंने बताया कि मूत्रमार्ग संकुचित होने से मरीज को पेशाब करने में रुकावट, कमजोर फ्लो, बार-बार यूटीआई, निचले पेट में दर्द और कई बार पेशाब बिल्कुल रुक जाने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. डॉ. राजेश ने कहा, “अधिकतर मरीज शुरुआत में लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि शुरुआती चरण में साधारण जांच यूरेथ्रोग्राम, यूरोफ्लोमेट्री और एंडोस्कोपी के जरिए इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. समय पर इलाज से मरीज पूरी तरह सामान्य जीवन में लौट सकता है.”

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एंडोस्कोपिक तकनीकों से होता है इलाज 

सत्यदेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में यूरीथ्रल स्ट्रिक्चर के इलाज के लिए अत्याधुनिक एंडोस्कोपिक तकनीकों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है. इसमें ऑप्टिकल इंटरनल यूरोथ्रोटोमी (OIU), बैलून डायलाटेशन और विशेषकर बकल म्यूकोसल ग्राफ्ट यूरोथ्रोप्लास्टी जैसी आधुनिक विधियां शामिल हैं. डॉ. राजेश के अनुसार, बक्कल ग्राफ्ट तकनीक लंबे समय से चल रहे और बार-बार लौटने वाले स्ट्रिक्चर के मामलों में विशेष रूप से कारगर साबित हुई है.

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