7.52 करोड़ की लागत से भव्य बन रहा सुखपुर का तिल्हेश्वर स्थान
आधारभूत संरचना का होगा विकास
फोटो— 2026 में बदलेगी पहचान वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रथम किस्त के रूप में 01 करोड़ 88 लाख 07 हजार 500 रुपये जारी योजना का क्रियान्वयन बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम कर रहा, एक वर्ष में होगा पूरा सुपौल. नये साल 2026 में सुपौल अब सिर्फ अपनी भौगोलिक पहचान तक सीमित नहीं रहेगा. यह देश के पर्यटन मानचित्र पर एक नयी और सशक्त पहचान के साथ उभरेगा. सरकार ने बाबा तिलेश्वरनाथ मंदिर क्षेत्र के विकास के लिए 07 करोड़ 52 लाख 03 हजार रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रथम किस्त के रूप में 01 करोड़ 88 लाख 07 हजार 500 रुपये जारी किये गये हैं. इस राशि से मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण व सुखपुर बाजार से तिल्हेश्वर मंदिर तक सड़क के चौड़ीकरण का कार्य कराया जा रहा है. जिले का प्रसिद्ध धार्मिक एवं पौराणिक स्थल तिल्हेश्वर स्थान अब आधुनिक सुविधाओं से लैस होकर श्रद्धालुओं और पर्यटकों का स्वागत करने के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 20 जनवरी, 2025 को अपनी प्रगति यात्रा के दौरान तिल्हेश्वर स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की ऐतिहासिक घोषणा की थी. इसके बाद जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने तेजी से योजनाओं को अमल में लाया. इसका सकारात्मक परिणाम अब साफ दिखायी दे रहा है. आधारभूत संरचना का होगा विकास सदर प्रखंड के सुखपुर-सोल्हनी पंचायत स्थित तिल्हेश्वर स्थान में शौचालय ब्लॉक, चेंजिंग रूम, पाथ-वे, चहारदीवारी, जनसुविधाएं, घाट निर्माण, लैंडस्केपिंग और अन्य आधारभूत संरचनाओं का विकास किया जाएगा. योजना का क्रियान्वयन बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा किया जा रहा है. इसे 12 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. पर्यटन, रोजगार और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा परियोजना के पूरा होने के बाद नये साल से देश-विदेश के श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है. इससे सुपौल जिला धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनायेगा. स्थानीय रोजगार व आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा. स्थानीय राजन कुमार ने कहा कि यह निर्णय हमारे क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है. इससे मंदिर का आधुनिकीकरण होगा और पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी. पौराणिक आस्था का प्रमुख केंद्र तिल्हेश्वर स्थान सुपौल जिले का एक प्राचीन और अत्यंत महत्वपूर्ण शिवधाम है. मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. श्रावण मास, महाशिवरात्रि, नरक निवारण चर्तुदशी और सावन की सोमवारी को यहां लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं. मान्यताओं के अनुसार, यह स्थल पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है. इसकी धार्मिक महत्ता सीमांचल के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों तक फैली हुई है. अब तक बुनियादी सुविधाओं के अभाव में श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. नये पर्यटन मॉडल से यह समस्या दूर होने जा रही है. आधुनिक सुविधाओं से होगा सुसज्जीत पर्यटन विकास योजना के तहत मंदिर परिसर का सौंद्रर्यीकरण, भव्य प्रवेश द्वार, पाथ-वे, हरित क्षेत्र, पेयजल व्यवस्था, शौचालय, पार्किंग, प्रकाश व्यवस्था और श्रद्धालुओं के लिए विश्राम स्थल जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही है. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को भी मजबूत किया गया है. इससे श्रद्धालु निश्चिंत होकर दर्शन-पूजन कर सकेंगे.
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