अचानक नहीं, पूरी प्लानिंग से आई थी बच्चा चोर महिला
परिजनों का विश्वास जीतकर जुटाई पूरी जानकारी
फालोअप – परिजनों से घुलमिलकर प्रसव कक्ष से फीडिंग रूम तक पहुंची सुपौल. सदर अस्पताल के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) वार्ड से नवजात बच्चे के गायब होने व तीन दिन बाद सहरसा जिला के बलवा पुल के समीप से बच्चा मिलने के बाद सच्चाई परत दर परत खुलने लगी है. बच्चा बरामद होने के बाद मामले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि बच्चा ले जाने वाली महिला कोई अचानक आई संदिग्ध नहीं थी, बल्कि उसने पूरी योजना के तहत अस्पताल में प्रवेश किया, परिजनों से घुलमिल गई और अस्पताल की गतिविधियों की बारीकी से जानकारी जुटाने के बाद वारदात को अंजाम दिया. सूत्रों के अनुसार, उक्त महिला अस्पताल परिसर में बिल्कुल सामान्य आगंतुक की तरह मौजूद रही. उसने खुद को प्रसूता की परिचित या सहयोगी बताकर प्रसव कक्ष से लेकर फीडिंग रूम तक आवाजाही की. इस दौरान किसी को उस पर संदेह नहीं हुआ, क्योंकि वह अन्य परिजनों की तरह ही व्यवहार कर रही थी और अस्पताल के नियमों से भी भली-भांति परिचित नजर आ रही थी. परिजनों का विश्वास जीतकर जुटाई पूरी जानकारी बताया जा रहा है कि महिला ने पहले अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं के परिजनों से बातचीत शुरू की, उनकी समस्याएं सुनीं और सहयोगी बनने का नाटक किया. इसी क्रम में उसने यह भी जान लिया कि किस नवजात को एसएनसीयू वार्ड में रखा गया है, सुरक्षा व्यवस्था कैसी है और किस समय वहां आवाजाही अपेक्षाकृत कम रहती है. महिला ने अस्पताल के अंदर कई घंटों तक रहकर स्थिति का जायजा लिया और सही मौके का इंतजार करती रही. परिजनों और अस्पताल कर्मियों की व्यस्तता का फायदा उठाकर वह एसएनसीयू वार्ड तक पहुंची और नवजात को अपने साथ लेकर बाहर निकल गई. एसएनसीयू से बच्चा लेकर सहरसा के बलवा पहुंची महिला जांच में सामने आया है कि नवजात को लेकर महिला सीधे सहरसा जिले के बलवा क्षेत्र पहुंची. यह भी सामने आया है कि महिला ने अस्पताल से निकलने के दौरान किसी तरह की घबराहट नहीं दिखाई, जिससे किसी को शक नहीं हुआ. वह आत्मविश्वास के साथ परिसर से बाहर निकली और नवजात को लेकर फरार हो गई. घटना की जानकारी तब हुई जब एसएनसीयू वार्ड में नियमित जांच के दौरान बच्चा गायब पाया गया. इसके बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया. अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल इस घटना ने सदर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. एसएनसीयू जैसे संवेदनशील वार्ड, जहां नवजात बच्चों का इलाज होता है, वहां इस तरह की चूक अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है. सवाल यह भी उठ रहा है कि बिना पहचान पत्र और पुख्ता जांच के कोई बाहरी महिला इतने संवेदनशील वार्ड तक कैसे पहुंच गई. जानकारों का कहना है कि यदि अस्पताल में प्रवेश और निकास पर सख्ती से निगरानी रखी जाती, तो यह घटना रोकी जा सकती थी.
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