विकास की रफ्तार में आगे, पर्यटन में अब भी पीछे है सुपौल
जिले के लोग बीते साल की यादों और आने वाले साल की खुशियों को सेलिब्रेट करने की तैयारी में जुटे हैं.
सुरक्षा गाइड बांध के बीच का हजारों हेक्टेयर भूमि लोगों के लिए बन सकता है आकर्षण का केंद्र दोनों तटबंधों के बीच सैकड़ों एकड़ जमीन को किया जा सकता है पर्यटन स्थल के रूप में विकसित सुपौल. जिले के लोग बीते साल की यादों और आने वाले साल की खुशियों को सेलिब्रेट करने की तैयारी में जुटे हैं. खासकर युवा वर्ग इस समय को यादगार बनाने के लिए पिकनिक और आउटिंग की योजना बना रहा है, लेकिन जिले का दुर्भाग्य है कि आज तक सुपौल में एक भी विकसित पिकनिक स्पॉट नहीं हो सका है. हालांकि, समय के साथ जिले में विकास की रफ्तार तेज हुई है. सरकार की महत्वाकांक्षी ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर सड़क, कोसी पर महासेतु, रेल कनेक्टिविटी, बिजली और बाजारों की चकाचौंध ने सुपौल को एक छोटे शहर से आधुनिक जिले की पहचान दिलायी है. सदर बाजार आज किसी बड़े शहर का अहसास कराता है, लेकिन इन सबके बीच पर्यटन और मनोरंजन के नाम पर जिले के युवाओं को आज भी निराशा ही हाथ लगती है. पिकनिक के लिए मजबूरी में नेपाल का रुख जिले में पिकनिक स्पॉट विकसित नहीं होने के कारण आज भी लोग नये साल या छुट्टियों में नेपाल जाने को मजबूर हैं, जबकि हकीकत यह है कि सुपौल में ऐसे कई प्राकृतिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं. जिन्हें कम लागत में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. इसमें आसनपुर कुपहा, कोसी बराज, कोसी महासेतु, हरदी दुर्गा स्थान, धरहरा महादेव मंदिर, विमलेश्वरी स्थान वीणा व कपिलेश्वर महादेव मंदिर बरूआरी शामिल है. काश-पटेर इलाका बन सकता है आकर्षक पर्यटन स्थल कोसी रेल और सड़क महासेतु के आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है. हजारों हेक्टेयर में फैला कोसी का जलग्रहण क्षेत्र, चंचल धाराएं और टापूनुमा जमीन लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है. फिलहाल, यहां काश-पटेर फैला हुआ है, लेकिन सरकार चाहे तो इस क्षेत्र को बेहद कम लागत में एक सुंदर पिकनिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकती है, जिससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले सैलानियों को भी लाभ मिलेगा. दक्षिण भारत की झलक दिखाता विष्णु मंदिर बना आकर्षण का केंद्र राघोपुर प्रखंड के गणपतगंज में स्थित बरदराज पेरूमल स्थान विष्णु मंदिर आज जिले का प्रमुख धार्मिक आकर्षण बन चुका है. द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर में की गई भव्य नक्काशी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है. करोड़ों की लागत से बने इस मंदिर में न सिर्फ बिहार बल्कि नेपाल से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. मंदिर परिसर में ठहरने के लिए होटल की सुविधा भी उपलब्ध है. युवाओं की आवाज : विकास के साथ पर्यटन भी जरूरी युवा शौर्य सिंह कहते हैं कि पिकनिक स्पॉट नहीं होने के कारण नये साल का जश्न घर तक सीमित रह जाता है. साक्षी कुमारी का मानना है कि विकसित शहर की पहचान के लिए एक आकर्षक पर्यटन स्थल बेहद जरूरी है. प्राची और राधा कुमारी कहती हैं कि पर्यटन स्थल नहीं होने के कारण लोगों को शहर से बाहर जाना पड़ता है, इससे जिले की पहचान भी पीछे रह जाती है.
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