धड़ल्ले से हो रही खाद की कालाबाजारी, ब्लैक में खरीदने को मजबूर किसान
नगर परिषद समेत पंचायत में खाद का संकट नहीं है, बल्कि संगठित कालाबाजारी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण किसानों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.
प्रशासनिक लापरवाही के कारण दर-दर भटक रहे किसान
त्रिवेणीगंज. अनुमंडल क्षेत्र में किसानों के साथ खाद में खुलेआम धोखाधड़ी हो रही है. नगर परिषद समेत पंचायत में खाद का संकट नहीं है, बल्कि संगठित कालाबाजारी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण किसानों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. दुकानदार के निजी गोदामों में यूरिया व अन्य खाद पर्याप्त मात्रा में मौजूद है. इसके बावजूद किसानों को जानबूझकर खाद नहीं दिया जा रहा है. मजबूरी में किसान 400 से 500 रुपये प्रति बोरी ब्लैक में यूरिया खरीदने को मजबूर हैं. गेहूं पटवन का समय पीक आवर पर है. किसानों को पटवन के साथ ही फसल को खाद की सख्त जरूरत है, लेकिन स्टॉक नहीं है कहकर खाद दुकानदार द्वारा किसानों को खाद नहीं दिया जा रहा है. फिर शाम ढलते ही वही दुकानदार यूरिया पिछले दरवाजे से ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं. किसानों का आरोप है कि यह पूरा खेल खाद माफिया और विभागीय संरक्षण के बिना संभव नहीं है.दुकान, गोदाम व कार्यालयों के चक्कर काट रहे किसान
किसानों का कहना है कि शिकायत के बावजूद अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं. कई दिनों से खाद के लिए भटक रहे किसान दुकान, गोदाम और कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. इसी कड़ी में गुरुवार की शाम हाईस्कूल रोड स्थित एक खाद दुकानदार द्वारा यूरिया देने से इनकार किए जाने के बाद किसानों का गुस्सा फूट पड़ा. आक्रोशित किसानों ने मामले की शिकायत सीधे एसडीएम से की. दबाव बढ़ता देख एसडीएम ने देर शाम कार्रवाई करते हुए अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को जांच के लिए भेजा.इस बाबत अनुमंडल कृषि पदाधिकारी मुकेश कुमार ने संबंधित खाद दुकान की जांच की. हालांकि जांच के बाद भी किसानों में संतोष नहीं है. किसानों का साफ कहना है कि सिर्फ जांच से कुछ नहीं बदलेगा, जब तक दोषी दुकानदार, कालाबाजारी करने वालों और उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती है, तब तक खाद ब्लैक मार्केटिंग का गोरखधंधा नहीं रुक सकता है.
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