गौरी-शंकर विवाह उत्सव को लेकर मिथिला में खास तैयारी, जानें बिहार में कब मनायी जाएगी महाशिवरात्रि

मिथिला में गौरी-शंकर की विवाह की तैयारी जोरों पर है. इस दिन विशेष सामग्री से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है. इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास करते है. इस दिन भोलेनाथ तथा माता पार्वती का विवाह हुआ था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2023 4:14 PM

पटना. महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष को यह पर्व मनाया जाता है. मिथिला में गौरी-शंकर की विवाह की तैयारी जोरों पर की जा रही है. सभी शिवालयों को सजाया जा रहा है. इस दिन भोलेनाथ के भक्त मंदिर में शिव लिंग पर जल चढ़ाते है. इस दौरान पूजन में बेलपत्र, फूलमाला, धतूर चढ़ाकर भगवान शिव को पूजन करते है. इसके बाद भक्त रात्रि में जागरण करते है. इस दिन पूजन करने पर सभी मोनोरथ पूर्ण होते है. इस दिन विशेष सामग्री से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है. इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास करते है. इस दिन भोलेनाथ तथा माता पार्वती का विवाह हुआ था.

गरुड़ पुराण, शिवपुराण और अग्निपुराण में इसका व्याख्या मिलता है. जिनके विवाह होने में परेशानी हो रही हो, उन्हें इस दिन शिव अभिषेक जरुर करना चाहिए. इस बार शिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस दिन शनिवार है और शनि प्रदोष भी है. प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है. शनि प्रदोष करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है. ज्योतिष शास्त्र में इस तिथि को अत्यंत ही शुभ बताया गया है. महाशिरात्रि के समय सूर्य उतरायण हो चुके होते है. चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा कमजोर स्थिति में आ जाते है. भगवान शिव चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किये है. जिनके कुंडली में चंद्रमा कमजोर है.

कालसर्प दोष

जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है. केदुर्म योग बने हुए है. मांगलिक योग से परेशान है. वह इस दिन भगवान शिव का पूजन करें. सभी दोष दूर होंगे. आपको शक्ति मिलेगी.

कब है महाशिवरात्रि तथा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत 18 फरवरी 2023 दिन शनिवार को मनाई जाएगी.

निशिता काल पूजा समय

रात्रि 11बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट सुबह 19 फरवरी तक

पारण

19 फरवरी 2023 की सुबह 6 बजकर 22 मिनट के बाद

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पूजा विधि

सूर्योदय के पहले उठ जाये. स्नान करने के बाद साफ स्वच्छ कपड़ा पहने.

पूजा स्थल का सफाई करें तथा गंगाजल छिड़के

लोटे में दूध या पानी भरकर उसमें वेलपत्र, धतूरा, फूल चावल डालकर भगवान शिव को चढ़ाये

शिवपंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें.

पौराणिक कथा

माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी. उसके बाद इस दिन विवाह हुआ था. यही कारण है कि इस दिन को महत्वपूर्ण तथा पवित्र माना जाता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

मो. 8080426594/9545290847

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