‘कल्पवास’ के सिमरिया तीर्थ सजधज कर तैयार, मंत्री संजय झा बुधवार को मेले का करेंगे शुभारंभ

कल्पवास मेला क्षेत्र में जल संसाधन विभाग द्वारा लगभग एक लाख वर्गमीटर में मिट्टी भराई, रिटेनिंग वॉल के निर्माण और प्रकाशीय व्यवस्था का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. जल संसाधन मंत्री इन कार्यों का लोकार्पण भी करेंगे.

By Ashish Jha | October 17, 2023 9:19 PM

बेगूसराय. उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित सिमरिया तीर्थ में हर साल लगने वाले प्रसिद्ध ‘कल्पवास मेला’ का बिहार सरकार के जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा बुधवार (18 अक्टूबर) को शुभारंभ करेंगे. कल्पवास मेला क्षेत्र में जल संसाधन विभाग द्वारा लगभग एक लाख वर्गमीटर में मिट्टी भराई, रिटेनिंग वॉल के निर्माण और प्रकाशीय व्यवस्था का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. जल संसाधन मंत्री इन कार्यों का लोकार्पण भी करेंगे. इस कार्यों से कल्पवास मेला क्षेत्र बाढ़ से पूरी तरह सुरक्षित हो गया है. इनके अलावा जल संसाधन विभाग द्वारा सिमरिया तीर्थ में सीढ़ी घाट और धर्मशाला सहित कई अन्य सुविधाओं का निर्माण कराया जा रहा है, जिसे जून 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है.

पड़ोसी राज्यों और नेपाल तक से आते हैं श्रद्धालु

मिथिला वासियों की आस्था के केंद्र सिमरिया तीर्थ में उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण इसका धार्मिक महत्व काफी अधिक है. यहां कल्पवास मेले की परंपरा सदियों से चली आ रही है. यहां संक्रांति से संक्रांति तक कल्पवास करने वाले साधु-संत इस वर्ष 18 अक्टूबर को ध्वजारोहण कर कल्पवास शुरू कर देंगे, जबकि पूर्णिमा से पूर्णिमा तक कल्पवास करने वाले साधु-संत अश्विन पूर्णिमा के दिन 27 अक्टूबर को ध्वजारोहण कर कल्पवास शुरू करेंगे. सिमरिया कल्पवास मेले में संपूर्ण मिथिला के अलावा पड़ोसी राज्यों और नेपाल तक से श्रद्धालु आते हैं.

2011 में अर्ध कुंभ और 2017 में महाकुंभ का हो चुका है आयोजन

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सिमरिया मेले को एक दशक से अधिक से राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है. यहां वर्ष 2011 में अर्ध कुंभ और वर्ष 2017 में महाकुंभ का भी आयोजन हो चुका है. पिछले वर्ष अक्टूबर माह में कल्पवास मेला क्षेत्र में गंगा नदी की बाढ़ का पानी घुस जाने और रास्ते में कीचड़ हो जाने के कारण श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा था. इसकी सूचना मिलने पर मंत्री संजय कुमार झा ने जल संसाधन विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ सिमरिया का दौरा किया था और कल्पवासियों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए जरूरी कार्य करवाया था. साथ ही उनके निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने सिमरिया तीर्थ के विकास एवं सौंदर्यीकरण का एक कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया.

मुख्यमंत्री खुद ले चुके हैं फिडबैक

पिछले साल नवंबर में खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिमरिया कल्पवास मेला क्षेत्र का भ्रमण कर श्रद्धालुओं और साधु-संतों का फीडबैक लिया था. उन्होंने सिमरिया तीर्थ के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार कॉन्सेप्ट प्लान की समीक्षा कर विस्तृत योजना तैयार करने के निर्देश दिये थे. मुख्यमंत्री के निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने सिमरिया तीर्थ के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए 114.97 करोड़ रुपये की विस्तृत योजना तैयार की, जिसे 22 मार्च 2023 को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिली. योजना का कार्यारंभ खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 30 मई 2023 को किया था.

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हो रहा है ये काम

संजय कुमार झा ने बताया कि जल संसाधन विभाग ने कल्पवास क्षेत्र में लगभग एक लाख वर्ग मीटर में मिट्टी भराई के अलावा रिटेनिंग वॉल और प्रकाशीय व्यवस्था का कार्य पूर्ण कर लिया है. इस कार्य से कल्पवास मेला क्षेत्र अब बाढ़ से पूरी तरह सुरक्षित हो गया है. कल्पवास के लिए यहां पर्णकुटी बनाकर रहने वाले श्रद्धालुओं को अब गंगा नदी की बाढ़ से कोई परेशानी नहीं होगी. इसके अलावा धर्मशाला के फाउन्डेशन का कार्य प्रगति पर है. लगभग 150 मीटर लंबाई में शीट पाईलिंग का कार्य पूर्ण करा लिया गया है. करीब 80 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट का निर्माण प्रगति पर है.

जून 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य

उन्होंने बताया कि सिमरिया तीर्थ के विकास एवं सौंदर्यीकरण की जल संसाधन विभाग की योजना में मौजूदा राजेंद्र पुल और उसके दक्षिण में निर्माणाधीन सिक्स-लेन सड़क पुल के बीच करीब 550 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट के निर्माण एवं रीवर फ्रंट के विकास के अलावा चेंजिंग रूम, गंगा आरती का स्थान, धार्मिक अनुष्ठान के लिए मंडप, श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था, धर्मशाला, शौचालय परिसर, ओपन एयर थियेटर, पार्क, पार्किंग, पाथवे, प्रशासनिक भवन, वाच टावर और प्रकाश की व्यवस्था इत्यादि को शामिल किया गया है. इन सभी कार्यों को जून 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है.

धार्मिक पर्यटन बढ़ने की उम्मीद

संजय कुमार झा ने कहा कि सिमरिया तीर्थ में मिथिला ही नहीं, बिहार और पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ नेपाल तक से हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते रहे हैं. सुविधाओं के विकास के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सुखद अनुभूति होगी. इससे यहां धार्मिक पर्यटन का विकास होगा और आसपास के इलाके में होटल तथा परिवहन सहित कई तरह के कारोबार एवं रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

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