Sasaram News : ऑनलाइन नामांकन में उलझे छात्र-छात्राएं, कई कॉलेजों में सीटें खाली

वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों व संबद्ध कॉलेजों में स्नातक नामांकन लेने वाले छात्र-छात्राओं का है. वे आधी अधूरी प्रक्रिया में उलझ कर रह गये हैं

By PRABHANJAY KUMAR | August 19, 2025 9:19 PM

सासाराम ऑफिस. ऑनलाइन प्रक्रिया इस युग के लिए बहुत जरूरी है. लेकिन आधी अधूरी सुविधा के बीच जब यह संचालित हो तो परेशानी का सबब भी बन जाती है. कुछ ऐसा ही हाल आज कल वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के अंगीभूत कॉलेजों व संबद्ध कॉलेजों में स्नातक नामांकन लेने वाले छात्र-छात्राओं का है. वे आधी अधूरी प्रक्रिया में उलझ कर रह गये हैं और ऐसे में कॉलेजों में सीटें काफी संख्या में खाली रह जा रही हैं. इसका जीता जागता उदाहरण स्नातक 2025-29 सत्र में चल रही नामांकन प्रक्रिया है. पहले तो छात्रों ने नामांकन के लिए आवेदन किया. कोई साइबर कैफे से, तो किसी ने स्वयं ही. इसके बाद विश्वविद्यालय चरणबद्ध तरीके से सूची जारी करके और उसी आधार पर नामांकन लिया. इसके बाद सीट फुल नहीं होने पर 13 अगस्त से स्पॉट नामांकन चालू कर दिया, जो 20 अगस्त तक चलेगा. ऐसे में अब भी कई कॉलेजों में सीटें पूरी तरह भर नहीं पायी हैं. विभिन्न कॉलेजों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, श्री शंकर कॉलेज तकिया में स्नातक आर्ट्स की 1512 सीटों में से 1422 भर चुकी हैं, साइंस में 622 में से 600 और कॉमर्स में 432 में से केवल 223 नामांकन हुए हैं. वहीं, अवधूत भगवान राम कॉलेज में साइंस ऑनर्स की 1279 सीटों में 1213 पर नामांकन हुआ है. रोहतास महिला कॉलेज में आर्ट्स की 1260 सीटों में से 1100 पर नामांकन हुआ है. महिला कॉलेज डालमियानगर में 19 अगस्त को दोपहर दो बजे तक 1307 में से 1224 सीटें भर चुकी थीं. जगजीवन कॉलेज में स्थिति कमजोर है. यहां आर्ट्स की 792 सीटों में केवल 307 पर, साइंस की 362 सीटों में 184 पर और कॉमर्स की 225 सीटों में केवल 20 पर नामांकन हुआ है. जवाहरलाल नेहरू कॉलेज में आर्ट्स की 1250 सीटों में से 1153 और साइंस की 622 सीटों में से 596 पर नामांकन हुआ है. इधर, शेरशाह कॉलेज में 2052 में से 1800 तीनों संकाय में नामांकन हुआ, जबकि, कामर्स में करीब 150 सीटें अब भी खाली हैं और एलएसडब्लू में 11 सीटें ही रह गयी हैं. कई चरणों से गुजरना पड़ रहा अभिभावक जावेद ने कहा कि नामांकन प्रक्रिया पहले की तुलना में अधिक जटिल हो गयी है. अब छात्रों को पहले नामांकन पत्र भरना, ऑनलाइन सूची देखना, ऑफर लेटर निकालना, कॉलेज जाकर फीस जमा करना, फिर दस्तावेज वेरिफिकेशन करवाना और अंत में ऑनलाइन पुष्टि करवानी पड़ती है. इस वजह से अधिक दौड़-भाग करनी पड़ रही है, जो सही नहीं है. कॉलेजों में ही हो पूरी प्रक्रिया अभिभावकों का कहना है कि डिजिटल व्यवस्था जरूरी है, लेकिन सभी चरण कॉलेजों में पूरे होने चाहिए. इससे छात्रों को साइबर कैफे और इंटरनेट की दिक्कतों से मुक्ति मिलेगी. अभिभावक ममता, शिवानी, अजमेरी और शमीम ने कहा कि विश्वविद्यालय को नामांकन प्रक्रिया सरल बनानी चाहिए, ताकि सीटें खाली न रह जाएं और छात्र-छात्राओं को आसानी से पढ़ाई शुरू करने का मौका मिल सके.

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