Sasaram News : सुविधा के अभाव में राष्ट्रीय स्तर तक ही पहुंच रहे हॉकी खिलाड़ी

जिले के हॉकी खिलाड़ी सीमित साधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना रहे हैं.

By PRABHANJAY KUMAR | August 28, 2025 9:38 PM

सासाराम ऑफिस. जिले के हॉकी खिलाड़ी सीमित साधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना रहे हैं. ज्योति कुमारी समेत कई खिलाड़ियों का नाम उन प्रतिभाओं की सूची में शामिल है, जिन्होंने मेहनत और लगन से जिले का नाम रोशन किया. खेल प्रेमियों का कहना है कि अगर इन खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा और प्रशिक्षण का माहौल मिले, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ये सितारे चमक सकते हैं. इसके बावजूद राष्ट्रीय खेल हॉकी को जिले में लगातार अनदेखा किया जा रहा है. खिलाड़ियों के पास सबसे जरूरी मूलभूत सुविधा यानी खेल मैदान की ही भारी कमी है. बेलाढ़ी खेल मैदान, जो कभी हॉकी प्रशिक्षण का गढ़ माना जाता था, आज किचन गार्डन में बदल चुका है. इसी मैदान से निकले खिलाड़ियों में राजू सिंह वर्तमान में मध्य प्रदेश के मंदसौर में खेल पदाधिकारी हैं, जबकि रोहित कुमार एनएसएनआईएस पटियाला में प्रशिक्षक के रूप में योगदान दे रहे हैं. कई अन्य खिलाड़ी राष्ट्रीय खेल संस्थानों में शारीरिक शिक्षक की भूमिका निभा रहे हैं. फिलहाल खिलाड़ियों का एकमात्र सहारा फजलगंज स्थित न्यू स्टेडियम है. लेकिन इसकी हालत भी खिलाड़ियों को परेशान कर रही है. असमान सतह, जगह-जगह बने गड्ढे और भीड़-भाड़ की वजह से यहां नियमित अभ्यास करना मुश्किल हो गया है. इसका असर न सिर्फ खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर पड़ रहा है, बल्कि चोटिल होने का खतरा भी हमेशा बना रहता है. खिलाड़ियों की आपबीती –न्यू स्टेडियम फजलगंज में भीड़-भाड़ और विवाद के कारण हॉकी अभ्यास करना मुश्किल हो गया है. हालांकि, कोच मनीष सर द्वारा हॉकी और बॉल की निःशुल्क व्यवस्था करायी जाती है, लेकिन खेल मैदान का अभाव बड़ी समस्या है. धनु कुमार –हॉकी खेलने की मुख्य आवश्यकताओं में हॉकी, बॉल और मैदान शामिल है. कोच मनीष सर प्रतिवर्ष खिलाड़ियों को नि:शुल्क सामग्री उपलब्ध कराते हैं. लेकिन न्यू स्टेडियम की अव्यवस्था और भीड़ के कारण अभ्यास प्रभावित होता है. यदि समर्पित मैदान मिल जाए तो प्रदर्शन काफी बेहतर होगा. अभिमन्यु कुमार पंडित — न्यू स्टेडियम की सतह असामान्य है और गड्ढों के कारण खिलाड़ियों को बार-बार चोटिल होना पड़ता है. इसके अलावा मैदान पर अन्य खेल गतिविधियों और आम लोगों की भीड़ से हॉकी खिलाड़ियों को अभ्यास छोड़ना पड़ता है. मनीष कुमार, वरीय खिलाड़ी –जिले में किसी भी मैदान को हॉकी के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता. न्यू स्टेडियम पर निर्भर रहना मजबूरी है, लेकिन वहां की समस्याएं अलग ही हैं. नये बनने वाले स्टेडियमों में भी हॉकी मैदान की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है, जिससे खिलाड़ियों में निराशा है. अगर हॉकी का मैदान उपलब्ध कराया जाये तो खिलाड़ी न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जिले का नाम रौशन कर सकते हैं. ज्योति कुमारी, राष्ट्रीय सीनियर खिलाड़ी बोले कोच सह सचिव जिले के खिलाड़ियों ने हमेशा राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. लेकिन खेल मैदान की कमी उनके विकास में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है. बेलाढ़ी स्कूल का मैदान अब किचन गार्डन में बदल गया है. वहीं, फजलगंज स्टेडियम में भी भीड़ और अव्यवस्था के बीच खिलाड़ियों को अभ्यास करना पड़ता है. जिले को हाल में छह नये खेल स्टेडियम मिले हैं, लेकिन उनमें भी हॉकी मैदान की अनदेखी की गयी है, जो खिलाड़ियों के लिए बेहद निराशाजनक है. – नरेंद्र प्रसाद सिन्हा, जिला हॉकी एसोसिएशन ऑफ रोहतास के सचिव सह कोच

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है