Sasaram News : शहीद जगदेव के बहाने कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश

शहीद जगदेव प्रसाद की शहादत के बाद से जिले में कुशवाहा जाति की राजनीतिक गोलबंदी चुनावों को प्रभावित करती रही है

By PRABHANJAY KUMAR | September 6, 2025 9:19 PM

सासाराम कार्यालय. शहीद जगदेव प्रसाद की शहादत के बाद से जिले में कुशवाहा जाति की राजनीतिक गोलबंदी चुनावों को प्रभावित करती रही है. प्राय: चुनावों में राजद के प्रचंड समर्थक यादवों के होते हुए भी कुशवाहा के वोट की क्षमता जिले के सातों विधानसभा क्षेत्र के चुनावों को कमोबेश प्रभावित करता रहा है. पिछले 2024 के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें, तो भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह की जीत को टालने के लिए कुशवाहा वोटरों ने रालोमो के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा को नजरअंदाज कर दिया था. और स्वयं की जाति के भाकपा माले के राजा राम को जीता दिया था. चुनावी इतिहास के मद्देनजर एक रणनीति के तहत राजद ने शहीद जगदेव प्रसाद की शहादत दिवस के बहाने कुशवाहा जाति को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की है. मंच से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को कहना पड़ा कि राजद के शासन काल में हमेशा कुशवाहा जाति का विशेष ध्यान रखा गया है. बार-बार मंच से शहीद जगदेव प्रसाद के उस वक्तव्य को याद दिलाया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 90 पर 10 का शासन नहीं चलेगा. इसी स्लोगन पर सासाराम विधानसभा सीट पर 10 बार कुशवाहा जाति का कब्जा रहा है. यह कब्जा पिछले चुनाव में वैश्य वर्ग के राजद के ही उम्मीदवार राजेश कुमार गुप्ता के जीतने से टूटा था. इन्हीं चुनावों का इतिहास दिखा राजद के कुशवाहा नेता द्वारा सासाराम में राजनैतिक एकजुटता रैली का आयोजन किया गया. वैसे रैली के मंच पर विभिन्न जातियों के नेताओं की उपस्थिति जरूर रही, पर भीड़ वोटर अधिकार रैली से कम रही. तभी तो चर्चाएं होने लगी हैं कि जिले के सात विधानसभा क्षेत्र सासाराम, दिनारा, नोखा और डेहरी में राजद, करगहर व चेनारी में कांग्रेस तथा काराकाट में भाकपा माले के विधायक हैं. तो, किस सीट के लिए राजनैतिक एकजुटता रैली की जरूरत पड़ी.

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