ऑक्सीटोसिन के दुरुपयोग से शिशु को समस्या

छपरा : प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है. चिकित्सकीय परामर्श इस प्रक्रिया को सरल बनाने में सहयोग प्रदान करता है. लेकिन यदि प्रसव को समय पूर्व प्रेरित करने के लिए ऑक्सीटोसिन जैसे इंजेक्शन का प्रयोग किया जाये तब यह जन्म लेने वाले शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है. विशेषकर गांव में प्रसव […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 28, 2019 8:13 AM

छपरा : प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है. चिकित्सकीय परामर्श इस प्रक्रिया को सरल बनाने में सहयोग प्रदान करता है. लेकिन यदि प्रसव को समय पूर्व प्रेरित करने के लिए ऑक्सीटोसिन जैसे इंजेक्शन का प्रयोग किया जाये तब यह जन्म लेने वाले शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है.

विशेषकर गांव में प्रसव कराने वाली दाई एवं ग्रामीण चिकित्सकों की सलाह पर प्रसूति को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन दिये जाने से जन्म लेने शिशु को दम घुटने की गंभीर समस्या हो सकती है. जिसे चिकित्सकीय भाषा में एस्फिक्सिया के नाम से जाना जाता है. एस्फिक्सिया के कारण बच्चे को गंभीर रूप से सांस लेने में तकलीफ होती है. इससे नवजात की मृत्यु तक हो सकती है.
एस्फिक्सिया नवजात मृत्यु दर का प्रमुख कारण : स्टेट रिसोर्स यूनिट के बाल स्वास्थ्य टीम लीड डॉ पंकज मिश्रा ने बताया एस्फिक्सिया नवजातों में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है. राज्य में लगभग 44 प्रतिशत नवजातों की मृत्यु एस्फिक्सिया के कारण होती है. ऑक्सीटोसिन का गलत तरीके से इस्तेमाल करने के कारण एस्फिक्सिया होने की संभावना बढ़ जाती है. ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल यूटरस के संकुचन के लिए किया जाता है.
खासकर प्रसव के बाद अत्यधिक रक्त स्राव रोकने के लिए ही ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. लेकिन दाई या ग्रामीण चिकित्सकों द्वारा प्रसूति को प्रसव दर्द से छुटकारा दिलाने एवं शीघ्र प्रसव कराने के उद्देश्य से इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके कारण एस्फिक्सिया के मामलों में निरंतर वृद्धि देखने को मिल रही है. ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग प्रसव के दौरान करने से पहले विशेषज्ञ चिकित्सकीय सलाह जरूरी है.
क्या नहीं करें
घर पर प्रसव कभी नहीं कराएं
प्रसव के विषय में दाई या स्थानीय ग्रामीण चिकित्सकों से कोई सलाह नहीं लें
बिना चिकित्सकीय परामर्श के ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल नहीं करें
प्रसव में शीघ्रता के लिए चिकित्सक पर दबाब नहीं बनाएं
क्या करें
संस्थागत प्रसव ही कराएं
नियमित रूप से चार बार प्रसव पूर्व जांच जरूर कराएं
क्षेत्रीय कार्यकर्ता, दाई या स्थानीय ग्रामीण चिकित्सक यदि ऑक्सीटोसिन इस्तेमाल के लिए कहे तब तुरंत चिकित्सक की सलाह लें

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