हत्या के मामले में पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह को उम्रकैद व जुर्माने की सजा

वर्ष 1996 में कपड़ा व्यवसायी का अपहरण के बाद कर दी गयी थी हत्या

By Prabhat Khabar | April 29, 2024 11:17 PM

छपरा (कोर्ट). 28 वर्ष पूर्व पानापुर थाना क्षेत्र के तुर्की निवासी शत्रुघ्न गुप्ता का अपहरण के उपरांत हुई हत्या मामले में न्यायालय ने आरोपित पूर्व विधायक को भादवी की अलग-अलग धाराओं के तहत सश्रम कैद व जुर्माने की सजा सुनाई है. सोमवार को एडीजे सप्तम सह सांसद व विधायक के आपराधिक मामले के त्वरित निष्पादन के लिए बने विशेष कोर्ट के न्यायाधीश सुधीर कुमार सिन्हा के कोर्ट में चल रहे पानापुर थाना कांड संख्या 9/96 के सत्रवाद 588/09 में न्यायधीश ने सजा की विंदु पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई की और दो बार के विधायक रहे मशरक थाना क्षेत्र के चरिहारा निवासी व मामले में आरोपित तारकेश्वर सिंह को भादवी की धारा 302 एवं 364 दोनो में आजीवन कारावास व बीस-बीस हजार जुर्माना जिसे नहीं देने पर छह-छह माह अतिरिक्त कैद तथा 201 में 7 वर्ष कैद 10 हजार जुर्माना नहीं देने पर पांच माह और 27 आर्म्स एक्ट में 3 वर्ष कैद व पांच हजार जुर्माना नहीं देने पर चार माह अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई है. न्यायालय ने सभी पर सजा साथ-साथ चलने का आदेश दिया है. सुनवाई के वक्त सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक ध्रुवदेव सिंह व सूचक के अधिवक्ता नीरज कुमार श्रीवास्तव तथा बचाव पक्ष से त्रियोगी नाथ सिन्हा, अनिल कुमार सिंह समेत अन्य अधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित थे. विदित हो कि 10 जनवरी, 1996 को पानापुर थाना क्षेत्र के तुर्की निवासी व मृतक के भाई बाबूलाल गुप्ता ने पानापुर थाना में एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जिसमे मशरक के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह समेत अन्य द्वारा अपने भाई का अपहरण कर हत्या कर देने का आरोप लगाते हुए उन्हें मामले में अभियुक्त बनाया था.

सारण के पांच जन प्रतिनिधियों को विभिन्न न्यायालयों से मिल चुकी है सजा, सजा पाने वालों में रेल मंत्री, राज्य मंत्री, सांसद व दो विधायक हैं शामिल

विभिन्न आपराधिक मामले में सारण जिले के दो सांसद और तीन विधायक सजायाफ्ता हो चुके हैं. इन जन प्रतिनिधियों को राज्य या राज्य के बाहर के न्यायालयों द्वारा कठोर कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है, जिसके कारण सभी जन प्रतिनिधि कोई भी चुनाव लड़ पाने में सक्षम नही हैं. सजा पाने वालों में जिला के मढौरा विधानसभा से 1990 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक बने सुरेंद्र शर्मा पहले विधायक थे जिन्हें न्यायालय ने वर्ष 2002 में हत्या के एक मामले में दोषी पाते हुये उम्रकैद की सजा सुनाई थी. 16 वर्ष की सजा काटने के बाद फिलवक्त वे उस मामले में रिहा हो चुके हैं. उसके बाद छपरा व सारण संसदीय क्षेत्र का चार बार नेतृत्व करने वाले लालू प्रसाद यादव लगभग 950 करोड़ रुपए के चारा घोटाला मामले में झारखंड के सीबीआई के विशेष न्यायालय द्वारा तीन अक्टूबर 2013 को पांच वर्ष कैद व 25 लाख जुर्माना की सजा दी गयी. साथ ही वे चार अन्य मामले में भी सजायाफ्ता हैं जो फिलवक्त स्वास्थ्य कारणों से जमानत पर हैं. सजा पाने के कारण वे भी अब किसी तरह का चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं. सारण जिले के दूसरे संसदीय क्षेत्र महाराजगंज के पूर्व सांसद सारण जिले के मशरक थाना क्षेत्र के निवासी प्रभुनाथ सिंह जिन्होंने वर्ष 1985 से 1995 तक मशरक विधानसभा तथा 1998 से 2009 तथा 2013 के उपचुनाव में महाराजगंज लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया था को 1995 में मशरक के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह के हत्या काण्ड में झारखंड के हजारीबाग न्यायालय द्वारा 23 मई 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद हजारीबाग केंद्रीय कारा में काराधीन हैं. वही मांझी विधानसभा से 2000 के निर्दलीय विधायक व ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रविंद्र नाथ मिश्रा को न्यायालय ने हत्या के एक मामले में 21 फरवरी 2023 को आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है फिलवक्त वे मंडलकारा में काराधीन हैं. सोमवार को छपरा व्यवहार न्यायालय के सांसद व विधायक के आपराधिक मामले के त्वरित निष्पादन के लिये बने विशेष न्यायालय के न्यायाधीश ने तत्कालीन मशरक विधानसभा क्षेत्र के 1996 व 2000 के पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह को भादवी की कई धाराओं के तहत आजीवन कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई है. इस सजा की वजह से तारकेश्वर सिंह भी अब चुनाव लड़ने से वंचित हो गये हैं.

छह साक्षियों ने दी थी न्यायालय में गवाही

10 जनवरी 1996 को पानापुर के तुर्की निवासी शत्रुघ्न गुप्ता अपनी दुकान पर बैठे थे कि संध्या 4.30 बजे पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह रायफल व बन्दूक से लैश अपने समर्थकों के साथ गुप्ता के कपड़ा दुकान पर आये और दुकान पर आते ही श्री सिंह ने रुस्तम मियां को गोली चलाने का आदेश दिया जिस पर उन्होंने गोली चला दिया. गोली लगते ही वे वहीं गिर पड़े जिन्हें उठाकर वे लोग लेते चले गये. उक्त बात मृतक के भाई बाबूलाल गुप्ता ने प्राथमिकी में दर्ज कराई थी. हालांकि आरोपित तारकेश्वर सिंह ने अपने बचाव में कहा था कि जिस वक्त घटना घटित हुई थी उस वक्त वे पानापुर थाना क्षेत्र के मरीचा गांव में एक जानवर की हत्या कर दिये जाने के कारण उत्पन्न हुये साम्प्रदायिक तनाव को खत्म करने के उद्देश्य से दो समुदायों के लोंगों के बीच के पंचायत में उपस्थित थे. ज्ञात हो कि अपहरण के दो दिन बाद शत्रुघ्न का शव मोतिहारी के डुमरिया पुल के नीचे नदी में मिला था. इस मामले में अभियोजन द्वारा आईओ डाक्टर समेत 6 गवाहों की गवाही करायी गयी है. इस मामले में दो अन्य आरोपित भी जिन्हें न्यायालय द्वारा साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है.

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