Samastipur : बागों की कटाई-छंटाई व पोषक तत्व का करें प्रबंधन करना : डा धीरू
लीची के बागवान अगले वर्ष अच्छी उपज व गुणवत्तापूर्ण फलों को प्राप्त करना चाहते हैं.
पूसा . लीची के बागवान अगले वर्ष अच्छी उपज व गुणवत्तापूर्ण फलों को प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें अभी से ही बाग का प्रबंधन करना चाहिए. डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र बिरौली के उद्यानिकी विशेषज्ञ डॉ धीरु कुमार तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय में लीची फलों की तुड़ाई लगभग पूरी हो चुकी है. ऐसी स्थिति में लीची के बागवानों को बागों की कटाई-छंटाई व पोषक तत्व प्रबंधन करना प्रमुख है. इससे अगले वर्ष अच्छी फलन होती है. यदि पेड़ों की टहनियां बहुत घनी हो गई है या सूख गई है तो उसकी कटाई कर देनी चाहिए. टहनी को यदि फल तोड़ते समय नहीं तोड़ा गया तो उस टहनी की भी आधा या एक फुट छंटाई करनी चाहिए. इस प्रक्रिया को करने से सूर्य की रोशनी पेड़ के सभी भाग में पहुंचने लगती है. जिससे मंजर अधिक आते हैं. कीटों का भी नियंत्रण होता है. उन्होंने बताया कि यदि लीची का पौधा 10 साल या उससे अधिक पुराना है तो उसके लिए प्रति पेड़ 800 ग्राम नाइट्रोजन, 800 ग्राम फास्फोरस व 600 ग्राम पोटाश से पोषण किया जाना चाहिए. प्रति पेड़ 50 किलोग्राम गोबर खाद भी देना आवश्यक है. खाद को देने के लिए पेड़ के मुख्य तना से दो मीटर की दूरी पर रिंग बना लेनी चाहिए. उसमें खादों को डालकर मिट्टी में मिला दें. बाग की मिट्टी को फसल अवशेषों या अन्य किसी मल्चिंग सामग्री से ढकना चाहिए ताकि मिट्टी में नमी लम्बे समय तक बरकरार रहे. इससे फल फटने की समस्या में भी कमी होती है. मल्चिंग करने से मिट्टी में जीवांश पदार्थ की मात्रा भी बढ़ती है. खर-पतवार भी कम उगते हैं. यह प्रक्रिया किसान यदि अभी कर लेते हैं तो अगले सीजन में लीची की पैदावार अच्छी प्राप्त हो सकती है.
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