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अरवल में दुर्लभ पेंगोलिन देख सहमे लोग, वन विभाग को दी सूचना, काफी मशक्कत के बाद पकड़ाया

इस दुर्लभ पशु को देखकर किसी ने पकड़ने की हिम्मत नहीं जुटाई. उसे देख ग्रामीण भी डर गये फिर वन विभाग को इसकी सूचना दी, जिसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने काफी मशक्कत के बाद पेंगोलिन को पकड़ा.

By Prabhat Khabar News Desk | November 7, 2023 3:14 PM
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अरवल. अरवल के खनगाह रोड के पास एक दुर्लभ पेंगोलिन को वन विभाग की टीम ने बरामद किया है. बताया जाता है कि बिहार के अरवल जिले में इसकी तस्करी की जा रही थी. यह तस्करों के चंगुल से भाग निकला था, जिसे वन विभाग की टीम ने जब्त कर लिया है. घने जंगल में रहने वाला पेंगोलिन ऐसा जीव है जिसकी सबसे ज्यादा तस्करी की जाती है. इस दुर्लभ पशु को देखकर किसी ने पकड़ने की हिम्मत नहीं जुटाई. उसे देख ग्रामीण भी डर गये फिर वन विभाग को इसकी सूचना दी, जिसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने काफी मशक्कत के बाद पेंगोलिन को पकड़ा.

ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन के रूप में होता है उपयोग

पेंगोलिन कीड़े-मकोड़े खाने वाला स्तनधारी जीव हैं, जो करीब 80 मिलियन वर्षों से धरती पर हैं. यह जीव ज्यादात्तर अफ्रीका और एशिया के घने जंगलों में पाया जाता है. ये रेप्टाइल्स की तरह नजर आता है 40 सेंटीमीटर लंबी जीभ से यह चीटियां, दीमक और कीड़े-मकोड़े को खाता है. यह अकेला सालभर में 70 लाख कीड़े खा जाता है. देशभर में इस जीव की तस्करी ज्यादा होती है. चीन में ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन के रूप में उपयोग होता है. बिहार के अरवल में भी तस्करों ने इसे कही से लाया था. इसकी कीमत दस लाख रुपये के करीब होती है.

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दस लाख के करीब होती है इसकी कीमत

वन विभाग के अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि इस बात की गुप्त सूचना मिली थी कि खनगाह रोड पर एक पेंगोलिन मिला है, जो जिंदा है और सड़क पर दौड़ रहा है. इस बात की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंच गयी और पेंगोलिन को पकड़कर पिपरा बंगाल स्थित कार्यालय में सुरक्षित रखा गया. उन्होंने बताया कि पेंगोलिन की हड्डी की तस्करी की जाती है. इसकी कीमत दस लाख के करीब होती है. यह आशंका जतायी जा रही है कि पशु तस्करों के चंगुल से पेंगोलिन भागकर यहां पहुंच गया है.

यह एक विलुप्त दुर्लभ प्रजाति का जीव है

जानकारी के मुताबिक पैंगोलिन की कीमत करोड़ों रुपये में है. चीन में इसके एक किलो मांस की कीमत ही करीब 30 हजार रुपये है. वहीं इसकी हड्डियों और मांस का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं को बनाने में किया जाता है, जिसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल चीन में होता है. इससे यौनवर्धक दवाएं भी बनाए जाने की चर्चा है. पेंगोलिन जीव नेपाल, श्रीलंका, भूटान व को भारत के पहाड़ी और हल्के मैदानी क्षेत्रों में पाया जाता है. भारत में इसे सल्लू सांप भी कहा जाता है, यह एक विलुप्त दुर्लभ प्रजाति का जीव है, जो ज्यादातर एशिया व अफ्रीका में पाया जाता है.

दुनिया में सबसे ज्यादा पैंगोलिन की तस्करी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ों रूपये में होने के कारण पेंगोलिन की तस्करी भी की जाती है. खास तौर पर इसकी डिमांड चीन में ज्यादा है, जो इसे दवा बनाने में इस्तेमाल करते है. बताया जाता है कि पैंगोलिन धरती पर लगभग 60 मिलियन सालों से महज चीटियां खाकर अपना जीवन यापन करता आ रहा है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की माने तो दुनियाभर में वन्य जीवों की अवैध तस्करी के मामले में अकेले ही 20 फीसदी योगदान पैंगोलिन का है. यह एक ऐसा जीव है, जिसकी तस्करी पूरी दुनिया में सबसे अधिक होती है.

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