गयाजी में श्राद्ध करने से ही पितर को मोक्ष की होती है प्राप्ति, पिंडदान के दौरान इन बातों का रखे ख्याल

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष शुरू होते ही पितर पृथ्वी पर आते हैं. पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा से किये जाने वाले तर्पण व श्राद्ध से संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2022 8:30 AM

गयाजी में लोगों ने श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों को याद किया. पूर्वजों के प्रति श्रद्धापूर्वक किये जाने वाले श्राद्ध से वे तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं. पितृपक्ष में अपने पूर्वजों की आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए श्राद्ध व तर्पण किया जाता है. पितृपक्ष शुरू होते ही पितर पृथ्वी पर आते हैं. पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा से किये जाने वाले तर्पण व श्राद्ध से संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं. धर्मशास्त्र विशेषज्ञ पं आशा चौबे ने बताया कि स्कंदपुराण के केदार खंड के अनुसार श्राद्ध करने पर संतान की प्राप्ति होती है.

श्राद्ध करने से ही स्वर्ग एवं मोक्ष की होती है प्राप्ति

‘श्रद्धा द्वै परमं यश:’ यानी श्राद्ध से परम आनंद और यश की प्राप्ति होती है. श्राद्ध करने से ही स्वर्ग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने के लिए पूरब दिशा की तरफ मुंह करके चावल से तर्पण करना चाहिए. इसके बाद उत्तर दिशा की ओर मुंह करके कुश के साथ जल में जौ डालकर तर्पण करें. इसके बाद अपसव्य अवस्था में दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके और बायां पैर मोड़कर कुश-मोटक के साथ जल में काला तिल डालकर पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए.

श्राद्ध के दौरान इनका रखे ख्याल

  • श्राद्ध की संपूर्ण प्रक्रिया दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके की जाये, क्योंकि पितर-लोक को दक्षिण दिशा में बताया गया है.

  • पिंडदान करने के लिए सफेद या पीले वस्त्र ही धारण करें, तो समस्त मनोरथों को प्राप्त करते हैं और अनंत काल तक स्वर्ग का उपभोग करते हैं.

  • श्राद्ध सदैव दोपहर के समय ही करें. प्रातः एवं सायंकाल के समय श्राद्ध निषेध कहा गया है.

  • श्राद्ध या तर्पण करते समय काले तिल का प्रयोग करना चाहिए. क्योंकि शास्त्रों में इसका बहुत महत्व माना गया है.

  • जिस दिन श्राद्ध करें उस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें. श्राद्ध के दिन क्रोध, चिड़चिड़ापन और कलह से दूर रहें.

  • पितरों को भोजन सामग्री देने के लिए मिट्टी के बर्तन, केले के पत्ते या लकड़ी के बर्तन का भी प्रयोग किया जा सकता है.

Also Read: Pitru Paksha: गयाजी प्रेतशिला पहाड़ पर आज भी भूत-प्रेत का वास, जानें ‘उड़ल सत्तू पितर को पैठ हो’ की कहानी
किन्हें लगता है पितृदोष

कर्मकांड विशेषज्ञ मुन्ना तिवारी के अनुसार पितृपक्ष के दौरान जो अपने पितरों का सम्मान नहीं करते हैं, उनके निमित्त तिल, कुश, जल के साथ दान नहीं करते हैं और उन्हें नाराज कर देते हैं, उन्हें यह दोष लगता है. इसी तरह जो व्यक्ति अपने पूर्वजों या बुजुर्ग व्यक्ति का अपमान करता है या फिर उनके लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करता है, उसे भी यह पितृदोष लगता है. पितृ पक्ष में पूर्वज किसी भी रूप में घर में आ सकते हैं इसलिए किसी भी व्यक्ति के प्रति अपने मन में बुरे विचार ना लाएं और न ही उसका अपमान करें.

Next Article

Exit mobile version