साइबर अपराध की जांच में अब देर नहीं होगी, हर जिले में तैनात होंगे अलग नोडल अधिकारी
साइबर अपराध की जांच अब टलनी मुश्किल होगी. पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने कड़े आदेश दिए हैं कि हर जिले में साइबर थाना के लिए अलग नोडल अधिकारी नियुक्त हो.
अनुज शर्मा, पटना
साइबर अपराध की जांच अब टलनी मुश्किल होगी. पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने कड़े आदेश दिए हैं कि हर जिले में साइबर थाना के लिए अलग नोडल अधिकारी नियुक्त हो. साथ ही एक समर्पित आधिकारिक इ-मेल आईडी और मोबाइल नंबर बनाया जाए. इन्हें सभी दूरसंचार कंपनियों के साथ निबंधित किया जायेगा, ताकि कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर), ग्राहक विवरण (सीएएफ), सब्सक्राइबर डिटेल रिकॉर्ड (एसडीआर), इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल रिकॉर्ड (आइपीडीआर), टावर डंप और लोकेशन समय पर उपलब्ध हो सके.
अब तक कई मामलों में यह देखा गया कि जिला आसूचना इकाई समय पर विवरण नहीं देती थी या अनुसंधानकर्ता भी ढिलाई बरतते थे. नतीजा यह होता था कि साइबर अपराध की जांच महीनों लटक जाती थी .
अनुसंधानकर्ताओं को तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश डीजीपी विनय कुमार ने साफ कहा कि टेलीकॉम कंपनियां केवल दो साल तक ही सीडीआर और आइपीडीआर जैसे डाटा सुरक्षित रखती हैं. इसके बाद ये हमेशा के लिए नष्ट कर दिए जाते हैं. इसलिए अनुसंधानकर्ताओं को तत्काल कार्रवाई करनी होगी, वरना जरूरी सबूत हाथ से निकल जायेंगे. नये आदेश के मुताबिक, हर साइबर थाना से एक दक्ष पुलिस पदाधिकारी को जिला आसूचना इकाई में भेजा जायेगा. यह अधिकारी लंबित मामलों में जरूरी डाटा जुटाने और समय पर अनुसंधानकर्ताओं तक पहुंचाने का काम करेगा. इसके लिए हर केस का अलग रजिस्टर रखा जायेगा, जिसमें कांड संख्या से लेकर डाटा मांगने, भेजने और उपलब्ध कराने की तिथि दर्ज होगी. डीजीपी ने निर्देश दिया कि यह रजिस्टर महीने में कम से कम दो बार वरीय पुलिस अधीक्षक को दिखाया जाए, ताकि जांच की लगातार निगरानी हो सके. जैसे ही समर्पित इ-मेल और मोबाइल नंबर की व्यवस्था हो जायेगी, जिले के नोडल पदाधिकारी सीधे इन मामलों को देखेंगे और आदेश के अनुरूप काम करेंगे.
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