INSIDE STORY: संजय यादव पर लालू परिवार का विवाद गहराया, तेजस्वी की धमकी के बाद नाराज रोहिणी सिंगापुर लौटीं…
Lalu Family Controversy: बिहार चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव का परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है. तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव को लेकर छिड़ा विवाद अब रोहिणी आचार्य तक पहुंच गया है. सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ यह मामला इतना बढ़ा कि लालू को खुद हस्तक्षेप करना पड़ा.
Lalu Family Controversy: संजय यादव के फ्रंट सीट पर बैठने से शुरू हुआ विवाद अब पारिवारिक घमासान में बदल गया है. तेजस्वी की बड़ी बहन रोहिणी आचार्य नाराज हो गई हैं. नाराजगी इतनी कि नम आँखें लिए सिंगापुर लौट गईं हैं. ऐसे में बिहार चुनाव के दौरान लालू परिवार और उनकी पार्टी राजद (RJD) एक नए विवाद में उलझती नजर आ रही है.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
बता दें कि आलोक कुमार लालू परिवार के बेहद करीबी हैं. उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट किया था, जिसमें तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ की बस की एक तस्वीर थी. उस तस्वीर में तेजस्वी की अनुपस्थिति में उनकी मानी जाने वाली फ्रंट सीट पर आरजेडी सांसद और उनके सलाहकार संजय यादव बैठे नजर आ रहे थे. पटना निवासी आलोक आलोक कुमार ने फ़ेसबुक पोस्ट कर सवाल उठाया– “तेजस्वी की कुर्सी पर कोई और कैसे बैठ सकता है?” यही पोस्ट रोहिणी आचार्य ने बिना किसी टिप्पणी के अपने फेसबुक पेज पर शेयर कर दिया. देखते ही देखते यह खबर आग की तरह फैल गई और इस पर राजनीतिक चर्चाओं का दौर शुरू हो गया.
लालू यादव ने रोहिणी को फोन कर क्या कहा?
विशेष सूत्रों के मुताबिक, जब यह मामला तेजस्वी यादव तक पहुंचा तो वे बेहद नाराज हो गए. बताया जाता है कि बिहार अधिकार यात्रा पर निकले तेजस्वी ने समस्तीपुर से ही अपने पिता लालू यादव को फोन कर शिकायत की और यहां तक कह दिया कि “अगर घर में यह सब चलता रहा तो वे दिल्ली चला जाऊंगा.” तेजस्वी की नाराजगी के बाद लालू यादव ने सीधे रोहिणी को फोन कर डांटा और कहा कि चुनावी समय में ऐसे विवादित कदम नहीं उठाने चाहिए. पिता की फटकार सुनकर रोहिणी तुरंत भावुक हो गईं और रो पड़ीं.
भावुक रोहिणी ने दिया जवाब, X अकाउंट प्राइवेट
डांट के कुछ ही देर बाद रोहिणी ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया. उसमें लिखा था– “मैंने एक बेटी और बहन के तौर पर अपना कर्तव्य और धर्म निभाया है और आगे भी निभाती रहूंगी. मुझे किसी पद की लालसा नहीं है, न मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है. मेरे लिए मेरा आत्मसम्मान सर्वोपरि है.”
हालांकि, इसके तुरंत बाद उन्होंने अपना अकाउंट प्राइवेट कर लिया. यानी अब उनके पोस्ट केवल उनके फॉलोअर्स तक ही सीमित रहेंगे और आम लोग उन्हें नहीं देख पाएंगे.
संजय यादव पर क्यों उठे सवाल?
भले ही रोहिणी ने सीधे-सीधे किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे संजय यादव से जोड़कर देख रहे हैं. दरअसल, तेज प्रताप यादव भी पहले संजय यादव को बिना नाम लिए ‘जयचंद’ कह चुके हैं. यह घटनाक्रम इस बात की ओर इशारा करता है कि राजद परिवार और पार्टी के भीतर खींचतान गहराती जा रही है.
कौन हैं संजय यादव?
संजय यादव का जन्म 24 फरवरी 1984 को हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव में हुआ. उन्होंने दिल्ली से एमएससी और एमबीए की पढ़ाई की है. राजनीति में आने से पहले वे आईटी कंपनी में काम करते थे.
तेजस्वी यादव से उनकी दोस्ती स्कूली दिनों में क्रिकेट खेलते हुए हुई थी. जब चारा घोटाले के बाद लालू यादव जेल गए और तेजस्वी को राजनीति में उतरना पड़ा, तब उन्होंने अपने करीबी दोस्त संजय को भी राजनीति में साथ लिया. इसके बाद संजय ने न सिर्फ आरजेडी के ऑनलाइन कैंपेन बल्कि ग्राउंड स्ट्रैटेजी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसी साल 2024 में वे बिहार से राज्यसभा सांसद बने.
चुनाव से पहले विवाद क्यों अहम?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लालू परिवार के भीतर इस तरह का विवाद विपक्ष को मजबूत मुद्दा देने का काम कर सकता है। आरजेडी का नेतृत्व कर रहे तेजस्वी यादव चाहते हैं कि परिवार और पार्टी की एकजुटता का संदेश जनता तक पहुंचे, लेकिन संजय यादव को लेकर उठ रही अंदरूनी नाराजगी तस्वीर को धुंधला कर रही है. रोहिणी आचार्य का कदम और उनके अकाउंट को प्राइवेट करना इस बात का संकेत है कि राजद की अंदरूनी खींचतान अब जनता के सामने आ गई है.
