Ritlal Yadav: सत्यनारायण सिन्हा हत्याकांड में रीतलाल यादव मिली राहत, जेल से बाहर नहीं आएगे
Ritlal Yadav: बिहार की राजनीति में “बाहुबली” और “विवाद” अक्सर साथ-साथ चलते हैं. इसी कड़ी में चुनावी मौसम के बीच आरजेडी विधायक रीतलाल यादव को सत्यनारायण सिन्हा हत्याकांड चर्चित हत्या कांड में राहत मिली है, जिसने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है.
Ritlal Yadav: सत्यनारायण सिंह हत्याकांड में एक बार फिर विधायक रीतलाल यादव की जमानत को लेकर कानूनी हलचल तेज हो गई है. मंगलवार को पटना के एमपी-एमएलए कोर्ट की विशेष अदालत में रीतलाल यादव ने फ्रेश बेलबॉन्ड दाखिल किया. उन्हें पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर भागलपुर जेल से प्रोडक्शन वारंट के जरिए पेश किया गया था.
हाईकोर्ट ने हाल ही में विशेष अदालत के पुराने फैसले को रद्द करते हुए मामले को पुनः विचारण (री-ट्रायल) के लिए पटना की विशेष अदालत को भेज दिया है और चार माह के भीतर सुनवाई पूरी कर निर्णय देने का निर्देश दिया है.
2003 में रैली के दौरान हुई थी हत्या
30 अप्रैल 2003 को आरजेडी की तेल पिलावन-लाठी घुमावन रैली के दिन दानापुर थाना क्षेत्र के जमालुद्दीन चौक के पास भाजपा नेता और दानापुर की पूर्व विधायक आशा देवी के पति सत्यनारायण सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अगले दिन, 1 मई 2003 को आशा सिंह की सूचना पर एफआईआर दर्ज की गई. इस मामले में रीतलाल यादव के अलावा सुनील यादव उर्फ काना, संजय यादव उर्फ बेगा और श्रवण यादव पर भी हत्या का आरोप लगाया गया था.
विशेष अदालत ने पहले साक्ष्य के अभाव में किया था बरी
पटना की विशेष अदालत ने सुनवाई के दौरान पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण सभी आरोपियों को रिहा कर दिया था. हाईकोर्ट ने इसे चुनौती मिलने के बाद मामले को फिर से खोला है.अब अदालत तय समय सीमा के भीतर सभी पक्षों को सुनकर निर्णय सुनाएगी.
‘बाहुबली’ छवि से विधायक तक का सफर
रीतलाल यादव की छवि एक बाहुबली नेता के रूप में जानी जाती है. 2010 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. इसके बाद जेल से दानापुर विधान परिषद का चुनाव जीतकर एमएलसी बने. 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने उन्हें दानापुर सीट से प्रत्याशी बनाया, जहां उन्होंने बीजेपी की आशा सिंह को लगभग 16,000 वोटों से हराकर जीत दर्ज की.
चुनाव से पहले फैसले का राजनीतिक महत्व
बिहार में 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है. ऐसे में रीतलाल यादव को राहत मिलना आरजेडी के लिए राजनीतिक तौर पर राहत भरा संदेश है. वहीं विपक्ष इसे “न्याय व्यवस्था पर दबाव” के रूप में दिखा सकता है. इस फैसले के बाद दानापुर सहित कई सीटों पर चुनावी समीकरणों में हलचल देखी जा रही है.
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