बिहार में आइएएस सेंथिल समेत चार की संपत्ति होगी जब्त, इडी ने विशेष कोर्ट में दाखिल किया आरोप पत्र

प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने पटना नगर निगम के पूर्व कमिश्नर आइएएस के सेंथिल समेत चार लोगों की अवैध रूप से अर्जित 2.60 करोड़ रुपये की चल व अचल संपत्ति को चिह्नित करते हुए पटना जिला जज की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है. इडी अब इन सभी चिह्नित की गयी संपत्ति को जब्त करने की कार्यवाही करेगा.

By Prabhat Khabar | August 5, 2022 6:45 AM

पटना. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने पटना नगर निगम के पूर्व कमिश्नर आइएएस के सेंथिल समेत चार लोगों की अवैध रूप से अर्जित 2.60 करोड़ रुपये की चल व अचल संपत्ति को चिह्नित करते हुए पटना जिला जज की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है. इडी अब इन सभी चिह्नित की गयी संपत्ति को जब्त करने की कार्यवाही करेगा.

आरोप पत्र दाखिल

जिन अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है, उनमें सेंथिल के अलावा पटना नगर निगम के तत्कालीन अपर आयुक्त बैजनाथ दास, सेंथिल के भाई के अयप्पन और विमल कुमार शामिल हैं. के सेंथिल कुमार वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग के सचिव हैं. इडी ने छह दिसंबर, 2012 को केस संख्या 19/12 दर्ज कर अपने अनुसंधान में पाया कि अभियुक्तों ने अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध तरीके से अघोषित दो करोड़ 60 लाख 95 हजार 455 रुपये की चल व अचल संपत्ति अर्जित की है.

आय से अधिक संपत्ति रखने के मामला

मामले की जानकारी इडी को तब हुई जब निगरानी ने बैजनाथ दास के खिलाफ कांड संख्या 54/10 में 21 जुलाई, 2010 को आठ करोड़ 76 लाख 81 हजार 110 रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया. जांच में अभियुक्तों की संलिप्तता उजागर होने पर इडी ने छह दिसंबर, 2012 को अभियुक्तों के खिलाफ शिकायत दाखिल कर अनुसंधान शुरू किया.

डीएम व निगम आयुक्त रहते भ्रष्ट तरीके से संपत्ति बनाने का आरोप

इडी ने बताया कि पीएमएलए के तहत जांच के दौरान पता चला है कि के सेंथिल कुमार ने मुंगेर के जिलाधिकारी और पटना नगर निगम के आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल से ही भ्रष्ट तरीकों से भारी संपत्ति अर्जित की. उन्होंनेपटना में मेसर्स सुधा सुपर मार्केट और मेसर्स चेन्नई कैफे जैसी फर्मों में निवेश और तमिलनाडु के इंदिरा मेमोरियल पारिवारिक ट्रस्ट के माध्यम से अपनी अवैध संपत्ति का शोधन किया. फर्म मेसर्स सुधा सुपर मार्केट और पटना में मेसर्स चेन्नई कैफे, हालांकि उनके छोटे भाई के. अय्यप्पन के स्वामित्व में थे, लेकिन वास्तव में के सेंथिल कुमार द्वारा संचालित थे.

विमल कुमार को दिये गये बड़े सरकारी ठेके

इडी ने आरोपपत्र में कहा है कि ठेकेदार विमल कुमार नाम के एक व्यक्ति द्वारा इन फर्मों में किये गये भारी भुगतान के सबूत मिले हैं. विमल कुमार के सेंथिल कुमार से भली-भांति परिचित थे और वह अपना पैसा विमल कुमार के पास लगाते थे. इसके लिए विमल कुमार को बड़े सरकारी ठेके दिये गये. सेंथिल कुमार ने अपनी अवैध संपत्ति को सफेद करने के लिए परिवार के सदस्यों के नाम पर एक ट्रस्ट बनाया. उनके परिवार के सदस्यों ने भी आइएएस की अवैध आय को छिपाने के लिए अपने आइटीआर में हेरफेर किया है. इस मामले में आगे की जांच जारी है.

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