स्वास्थ्य सेवा, पोषण, मनोविज्ञान और टेक्नोलॉजी से जुड़े कोर्स नहीं चलेंगे ऑनलाइन या डिस्टेंस मोड में
अब स्वास्थ्य सेवा, पोषण, मनोविज्ञान व टेक्नोलॉजी से जुड़े या संबंधित कोर्स ऑनलाइन या डिस्टेंस मोड में नहीं चलेंगे.
संवाददाता, पटना
अब स्वास्थ्य सेवा, पोषण, मनोविज्ञान व टेक्नोलॉजी से जुड़े या संबंधित कोर्स ऑनलाइन या डिस्टेंस मोड में नहीं चलेंगे. उच्च शिक्षा नियामक ने दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन माध्यमों से प्रैक्टिकल और प्रैक्टिकल आधारित पाठ्यक्रमों की पेशकश पर प्रतिबंध लगा दिया है. इनमें वे सभी कोर्स शामिल हैं जो प्रैक्टिकल और ट्रेनिंग पर आधारित होते हैं, जैसे- इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, फार्मेसी, नर्सिंग, आर्किटेक्चर, फिजियोथेरेपी, एप्लाइड आर्ट्स, पैरामेडिकल, एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, होटल मैनेजमेंट, कुकिंग टेक्नोलॉजी, विजुअल आर्ट्स और लॉ आदि. इसके लिए यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश जारी किया है. यूजीसी ने कहा है कि साल 2025 से स्वास्थ्य सेवा, मनोविज्ञान, पोषण और इससे जुड़े विषयों के कोर्स ऑनलाइन या डिस्टेंस मोड में नहीं चलाने का निर्देश सभी यूनिवर्सिटियों को दिया गया है. यह रोक एनसीएएचपी एक्ट, 2021 के तहत लागू होगी. इसमें मनोविज्ञान, माइक्रोबायोलॉजी, फूड एंड न्यूट्रिशन, बायोटेक्नोलॉजी, क्लिनिकल न्यूट्रिशन और डाइटेटिक्स जैसे कोर्स शामिल हैं. इस पत्र के बाद नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी (एनओयू) में संचालित मनोविज्ञान कोर्स को बंद कर दिया गया है. मनोविज्ञान में एडमिशन के लिए आवेदन करने वाले स्टूडेंट्स का आवेदन भी रद्द हो जायेगा या यूनिवर्सिटी कोर्स बदलने का मौका स्टूडेंट्स को देगी.सिर्फ संबंधित विशेषज्ञता पर लागू होगा नियम
जारी पत्र में यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा है कि किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान को शैक्षणिक सत्र जुलाई-अगस्त 2025 और उसके बाद ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन मोड के तहत विशेषज्ञता के रूप में मनोविज्ञान सहित एनसीएएनआर अधिनियम, 2021 में शामिल किसी भी संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम की पेशकश करने की अनुमति नहीं दी जायेगी. जुलाई-अगस्त 2025 और उसके बाद के शैक्षणिक सत्र के लिए ऐसे कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थान को पहले से दी गयी कोई भी मान्यता यूजीसी द्वारा वापस ले ली जायेगी.
प्रैक्टिकल आधारित कोर्सेज में ऑनलाइन एडमिशन बंद:
उन्होंने कहा है कि कला स्नातक (अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी, अर्थशास्त्र, इतिहास, गणित, लोक प्रशासन, दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान, सांख्यिकी, मानवाधिकार और कर्तव्य, संस्कृत, मनोविज्ञान, भूगोल, समाजशास्त्र, महिला अध्ययन) जैसे बहु-विशेषज्ञता वाले कार्यक्रमों के मामले में, केवल एनसीएएचपी अधिनियम, 2021 में शामिल विशेषज्ञता को ही वापस लिया जायेगा. आने वाले सत्र से प्रैक्टिकल आधारित इन कोर्सेज में ऑनलाइन एडमिशन बंद हो जायेगा. संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे आगामी शैक्षणिक सत्र से ऐसे कार्यक्रमों में किसी भी छात्र को प्रवेश न दें. यह निर्णय व्यावसायिक प्रशिक्षण में गुणवत्ता मानकों पर चिंता के बीच लिया गया है. मनीष जोशी ने कहा है कि यह निर्णय अप्रैल 2025 में आयोजित 24वीं दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो कार्य समूह की बैठक की सिफारिशों के अनुरूप लिया गया है और हाल ही में आयोग की बैठक के दौरान इसे औपचारिक रूप दिया गया.
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