ओमिक्रॉन: क्या तीसरी लहर में भी श्वास नली और फेफड़े को जकड़ रहा कोरोना? जानिये विशेषज्ञों की राय

बिहार में ओमिक्रॉन संक्रमण के कई मामले एकसाथ सामने आये हैं. इस बार कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है लेकिन तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों की क्या राय है ये जानते हैं...

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2022 3:00 PM

बिहार में कोरोना के नये वैरिएंट ओमिक्रोन की संख्या 85 प्रतिशत मिलने को वैज्ञानिक थोड़ा राहत वाला बता रहे हैं. आइजीआइएमएस के माइक्रोबायोलॉजी के वरीय वैज्ञानिक डा अभय कुमार और विभागाध्यक्ष डा नम्रता ने बताया कि बिहार में ओमिक्रोन वायरस अब डेल्टा को रिप्लेस कर देगा. ओमिक्रोन वैरिएंट की खासितयत है कि इसमें डेल्टा की तुलना में ऑक्सीजन की कम आवश्यकता होती है.

विभागाध्यक्ष ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट की संख्या अधिक थी. डेल्टा वैरिएंट सांस की नली और फेफडे को अधिक जकड़ लेता है जिससे मरीज को ऑक्सीजन की अधिक आ‌वश्यकता होती है. ओमिक्रोन का वायरस सांस की नली तक ही रूक जाता है और बहुत की कम मात्रा में फेफड़े को संक्रमित करता है. ऐसे में ऑक्सीजन की कम आ‌वश्यकता होती है.

डॉ अभय और डॉ नम्रता ने बताया कि इसमें अच्छी बात है कि अब दोनों वायरस के बीच प्रतिद्वंद्विता है. चूंकि ओमिक्रोन का फैलाव अधिक है तो उसकी संख्या अधिक होगी और वह डेल्टा वैरिएंट को कम कर देगा. उन्होंने बताया कि जीनोम सिक्वेंसिंग में यह पाया जा रहा है कि वैक्सीनेशन का भी बेहतर रिजल्ट आ रहा है. इसमें पाया गया है कि जिन मरीजों ने टीका लिया है उनका एंटीबॉडी पर वायरस का कोई असर नहीं पड़ा है. दूसरी बात यह है कि टीसेल जो वायरस का कीलर कहलाता है वह भी प्रभावित नहीं हुआ है. यह अच्छी बात है.

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बता दें कि बिहार में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. तीसरी लहर के आगमन के साथ ही सूबे में कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन के भी 27 मरीज रविवार को सामने आये हैं. वहीं इससे पहले भी बिहार में एक मरीज ओमिक्रॉन से संक्रमित मिल चुका है. राजधानी पटना के हालात अधिक गंभीर हैं लेकिन राहत की बात ये है कि इस बार मरीज अस्पताल में कम भर्ती हो रहे हैं.

Published By: Thakur Shaktilochan

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