यकीन नहीं हुआ… कमरे में बंद कर खुद को दिलाया यकीन— नितिन नवीन की भावनाओं से भरी वो रात..
नितिन नवीन बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने. पिता नवीन किशोर सिन्हा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के दौरान वे भावुक दिखे. संघर्ष, सादगी और संगठन के भरोसे से बिहार का यह नेता आज पार्टी की कमान संभाल रहा है.
खबर के हाइलाट्स
BJP Bihar Leader : भारतीय जनता पार्टी को जल्द ही नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है. वो नाम बिहार से है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का जुझारू छात्रा नेता नितिन नवीन बीजेपी के शीर्ष पर नजर आने वाला है. नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. इसका मतलब साफ है—नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव तक अब पार्टी की कमान नितिन नवीन के हाथों में होगी. वे मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जिम्मेदारियां निभाएंगे. खास बात ये है कि नड्डा का जुड़ाव भी बिहार से रहा है. वो पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं. यह नियुक्ति सिर्फ संगठनात्मक फैसला नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है. आम तौर पर चुनाव से पहले कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाते हैं और बीजेपी की परंपरा रही है कि यही कार्यकारी अध्यक्ष आगे चलकर पूर्णकालिक अध्यक्ष बनते हैं. ऐसे में नितिन नवीन को मिली यह जिम्मेदारी उनके राजनीतिक कद और पार्टी के भरोसे को साफ दिखाती है.
ऐसे मिली वो सूचना…
नितिन नवीन को जब बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की सूचना मिली, तो यह बात पाठकों को जानकर हैरान कर सकती है कि उन्हें अगली सुबह तक इस पर पूरी तरह यकीन नहीं हो पाया. यह खबर एक फोन कॉल के जरिए मिली—ऐसी कॉल, जिसने उनकी राजनीति को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया, लेकिन उस वक्त वे इससे बिल्कुल अनजान थे.रविवार का दिन था. नितिन नवीन एक कार्यक्रम में मौजूद थे. तभी फोन की घंटी बजी. नजर गई तो कॉल दिल्ली से थी. उन्होंने तुरंत मंच पर बज रहे लाउडस्पीकर को बंद करवाया और फोन अटेंड किया. घड़ी में ठीक तीन बज रहे थे. फोन के उस पार से जो शब्द आए, उन्होंने जैसे समय को थाम लिया—उन्हें बताया गया कि बीजेपी ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चुना है.
सम्राट चौधरी और मंगल पांडे ने दिलाया यकीन
यह सुनते ही वे ठिठक से गए. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन पर इतना बड़ा भरोसा जताया है. भीतर कहीं घबराहट थी, कहीं अविश्वास. चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं, जैसे दिमाग इस खबर को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा हो. खुद को संभालते हुए नितिन नवीन ने सबसे पहले यह जानकारी कार्यक्रम में उनके साथ मौजूद डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को दी. दोनों नेताओं ने उन्हें बधाई दी, सम्मान जताया और भरोसा दिलाने की कोशिश की कि यह कोई मजाक नहीं, बल्कि पार्टी का बड़ा फैसला है. लेकिन नितिन नवीन के चेहरे पर अब भी भाव नहीं थे. मानो उनके कानों को अपने ही शब्दों पर भरोसा नहीं हो रहा हो. शायद उनके मन में यही सवाल चल रहा था—’क्या वाकई मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है? या यह कोई सपना है, जिसे मैं खुली आंखों से देख रहा हूं?’ उस एक फोन कॉल ने नितिन नवीन की राजनीति की दिशा बदल दी थी, लेकिन उस पल वे खुद भी समझ नहीं पा रहे थे कि जो सुन रहे हैं, वह हकीकत है या विश्वास से परे कोई एहसास…
एक घंटे तक खुद को कमरे में कर लिया बंद
कार्यक्रम समाप्त होते ही नितिन नवीन सीधे अपने सरकारी आवास पहुंचे. वहां पहुंचते ही उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया. शायद यह खुद को यकीन दिलाने का एक तरीका था—कि अब वे बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चुने जा चुके हैं कि उन्हें भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाने वाली है. कमरे की उस खामोशी में वे खुद से बात कर रहे होंगे. यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि जो कुछ हुआ है, वह सपना नहीं, हकीकत है. करीब एक घंटे तक वे खुद को उसी सन्नाटे में समझाते रहे. धीरे-धीरे उनके भीतर की घबराहट कुछ कम हुई और वे थोड़ा सामान्य हो सके. इस दौरान उनके फोन की घंटी बार-बार बजती रही. कई कॉल आए, लेकिन उन्होंने किसी से बात नहीं की. वह पल साझा करने से पहले, शायद खुद को संभालना जरूरी था. हां, दिल्ली से आए कुछ बेहद अहम फोन कॉल उन्होंने जरूर अटेंड किए. उन आवाज़ों ने, उन शब्दों ने उन्हें यकीन दिलाने में मदद की होगी कि पार्टी का फैसला अंतिम है. उसी एक घंटे में नितिन नवीन ने अपने भीतर एक नए दौर की शुरुआत महसूस की, जहां अब वे सिर्फ एक कार्यकर्ता नहीं, बल्कि भारत की सबसे बड़ी पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले नेता बनने जा रहे थे.
पिता ने कार्यकर्ता बनना सिखाया, बेटे ने विरासत शीर्ष तक पहुंचाया
आज सुबह भावनाओं को भीतर समेटे नितिन नवीन सबसे पहले अपने पिता स्वर्गीय नवीन किशोर सिन्हा की प्रतिमा के पास पहुंचे. उन्होंने श्रद्धा से माल्यार्पण किया और कुछ पल वहीं ठहर गए. जैसे बिना शब्दों के अपने पिता से कह रहे हों—आपने मुझे कार्यकर्ता बनना सिखाया. आज आपकी उसी सीख को मैंने बीजेपी के शीर्ष तक पहुंचा दिया है. उस क्षण उनकी आंखों में उमड़ती भावनाएं साफ पढ़ी जा सकती थीं. भीतर जज्बातों का ज्वार उठ रहा था, लेकिन सामने कैमरे थे, सवाल थे. उन्होंने खुद को संभाला और पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया. एक वक्त ऐसा भी आया, जब भावनाएं उन पर हावी होती दिखीं. पिता का जिक्र करते हुए उनकी आवाज भर्राने सी लगी, लेकिन वे खुद को बांधते-संभालते रहे. भीतर से खुद को मजबूत करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने उन पर एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है.
यहां भी हुई दिलचस्प बात
पिता की प्रतिमा के सामने भी एक दिलचस्प बात ये रही कि नितिन यहां भी वो नहीं कह पाए जो टीवी पत्रकार सुनना चाहते थे, वो सुनना चाहते थे कि हां मैं बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया हूं, मेरे सामने ये चुनौती है. मगर जिम्मेदारियों के बोध और यकीन के बीच संतुलन अब भी ठीक न बैठ पा रहा था! लिहाजा उन्होंने पत्रकारों के सवालों के जवाब किसी तरह दिए और पिता की प्रतिमा के सामने से निकलकर सीधे पटना एयरपोर्ट पहुंचे. वहां से दिल्ली के लिए रवाना हो गए—एक ऐसे सफर पर, जहां अब उनके कंधों पर भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की जिम्मेदारी थी.
‘मैं सिर्फ पार्टी का कार्यकर्ता हूं’
विधानसभा चुनाव के दौरान प्रभात खबर के पॉडकास्ट के दौरान भी जब हमने उनसे ये पूछा कि राजनीति में हैं, क्या आप मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते हैं? इस सवाल पर पहले तो नितिन झेप से गए, उन्होंने कहा, ऐसा कोई सपना मैंने कभी नहीं देखा, मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं, जो जिम्मेदारी मुझे दी जाती है बस मैं उसे निभाता हूं. लेकिन अगर आप मुझसे मेरी निजी राय जानना चाहते हैं तो मैं इस पोजीशन के लिए खुद को योग्य ही नहीं मानता हूं. प्रभात खबर ने राजनीति में होने की महत्वकांक्षा को लेकर भी सवाल पूछा, हमने पूछा कि कोई तो महत्वकांक्षा जरूर होगी आपकी? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, पार्टी ने जितना दिया है उससे खुश हूं. मुझे इससे ज्यादा नहीं चाहिए… मगर आज उनकी पार्टी ने जो उन्हें दिया है. उस पर भरोसा करने में भी नितिन नवीन को पूरी रात लग गई है.
PM मोदी की बधाई, संगठन पर भरोसा
नितिन नवीन के कार्यकारी अध्यक्ष बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी है. पीएम मोदी ने कहा कि नितिन नवीन ने एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है. वे युवा, परिश्रमी और संगठनात्मक अनुभव से भरपूर नेता हैं. विधायक और मंत्री के रूप में बिहार में उनका काम प्रभावी रहा है और वे विनम्र स्वभाव के साथ जमीन पर काम करने के लिए जाने जाते हैं. प्रधानमंत्री ने भरोसा जताया कि उनकी ऊर्जा और प्रतिबद्धता आने वाले समय में पार्टी को और मजबूत करेगी.
अब नितिन होंगे बीजेपी के ‘कप्तान’
राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का सीधा अर्थ ये है कि नितिन नवीन अब नए अध्यक्ष के चुनाव तक बीजेपी के कप्तान होंगे. संगठन, चुनावी रणनीति और राजनीतिक दिशा सबकी जिम्मेदारी उनके कंधों पर रहेगी. नितिन नवीन बिहार सरकार में फिलहाल पथ निर्माण और नगर विकास मंत्री हैं. वे पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से लगातार 5 बार विधायक चुने जा चुके हैं. कायस्थ समाज से आने वाले नितिन नवीन इस समय बिहार मंत्रिमंडल में इस समाज के इकलौते मंत्री हैं.
निजी जीवन में ऐसे हैं नितिन नवीन
निजी जीवन में भी नितिन नवीन मिलनसार और लोगों को जोड़कर चलने वाले नेताओं में से एक हैं. बिहार की राजनीति में ऐसे बहुत कम नेता हैं जो इतने जमीनी हैं. पत्रकारों के लिए भी सुलभ और सामान्य होना और मृदुभाषी होना उनकी खासियत में से एक है. यदि आप भी उनसे लंबे समय बाद भी मिलेंगे तो वो आपको भूलेंगे नहीं. भीड़ में भी पहचान लेंगे. ऐसे वो अपने साथ काम करने वालों के साथ भी हैं. चाहे कितने भी व्यस्त हों, रात में अपने ड्राइवर से लेकर माली तक और अपने वर्किंग स्टाफ तक से ये जरूर पूछ लेते हैं ‘खाना या कि नहीं…? पिता नवीन किशोर सिन्हा बीजेपी के कद्दावर नेता रहे. जेपी आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आंदोलन को मजबूत किया. राजनीतिक पृष्ठ भूमि से आने के बावजूद नितिन नवीन हमेशा डाउन टू अर्थ रहे. दिल्ली से पढ़ाई पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी संभाली. जिसे उन्होंने आज शीर्ष पर पहुंचा दिया है.
20 सालों से बांकीपुर सीट पर नितिन का कब्जा
साल 2005 में उनके पिता का निधन दिल का दौरा पड़ने से असमय हो गया था. पिता का जाना नितिन नवीन के जीवन का सबसे कठिन समय था. यह उन्हें अंदर से झगझोर गया. तब नितिन महज 26 साल के थे. यहां से नितिन नवीन ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक जुझारू नेता की इंट्री अब बिहार की राजनीति में होने वाली थी. 2006 में भाजपा ने उन पर भरोसा जताया. नितिन नवीन ने उपचुनाव के दौरान भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर इस भरोसे को कायम रखा. तब पटना पश्चिम अब बांकीपुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की. तब से ये सीट अब तक उन्हीं की है.
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