ऑक्सीजन सेचुरेशन 66 पर आया, 48 घंटे में 95% फेफड़ा संक्रमित, 15 दिन ICU में रहकर भी 17 साल के युवक ने कोरोना से जीता जंग

कोरोना की दूसरी लहर में पटना के आइजीआइएमएस में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी. 24 घंटे में ऑक्सीजन सेचुरेशन 66 पर पहुंच गया था. मरीज के 48 घंटे में 80 से 95 प्रतिशत फेफड़ों में संक्रमण फैल चुका था. सीटी स्कोर 23/25 था. ऐसे में जान बचाना आसान नहीं होता. लेकिन मरीज के परिजनों ने समय पर उसका इलाज करवाया. डॉक्टर से परामर्श लेते रहे और वह अब बिल्कुल स्वस्थ है.

By Prabhat Khabar | May 11, 2021 8:02 AM

कोरोना की दूसरी लहर में पटना के आइजीआइएमएस में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी. 24 घंटे में ऑक्सीजन सेचुरेशन 66 पर पहुंच गया था. मरीज के 48 घंटे में 80 से 95 प्रतिशत फेफड़ों में संक्रमण फैल चुका था. सीटी स्कोर 23/25 था. ऐसे में जान बचाना आसान नहीं होता. लेकिन मरीज के परिजनों ने समय पर उसका इलाज करवाया. डॉक्टर से परामर्श लेते रहे और वह अब बिल्कुल स्वस्थ है.

15 दिन था भर्ती, लगातार घट रहा था ऑक्सीजन लेवल

आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि पटना सिटी के अगमकुआं स्थित बहादुरपुर निवासी 17 साल के यश राज को सांस लेने में परेशानी व घबराहट की शिकायत थी. 26 अप्रैल को आइजीआइएमएस में भर्ती कराया गया. एक्स-रे जांच में निशान मिलने के बाद 28 अप्रैल को एचआरसीटी जांच करवायी गयी, जिसमें 23/25 स्कोर दिया गया. इसके बाद डॉक्टरों के होश उड़ गये.

90 प्रतिशत फेफड़े संक्रमित मिले

सीटी में 90 प्रतिशत फेफड़े संक्रमित मिले. इसके बाद पोल्मो विभाग के डॉ अरशद एजाजी व डॉ सौरभ शेखर की देखरेख में इलाज शुरू किया गया. इंजेक्शन व स्टोरॉयड देने के बाद युवक चार से पांच दिन में रिकवर होने लगा. युवक 10 दिन आइसीयू में भर्ती रहा, अब स्वस्थ है. अब बिना ऑक्सीजन के यश का सेचुरेशन 98 हो गया़

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दुःखों का पहाड़ टूटा, लेकिन हिम्मत नहीं टूटने दी

यश राज 26 अप्रैल से आइसीयू में भर्ती था. उसके मां व पिता का रो-रो कर बुरा हाल हो चुका था, क्योंकि घर के कुछ अन्य सदस्य भी संक्रमित हो गये थे. कम उम्र में कोविड जैसी बीमारी व गंभीर हालत देख यश के परिवार पर मानो दुःखों का पहाड़ टूट गया था. उसके बाद भी यश ने हिम्मत नही हारी और उसने कोरोना का मात दे दी. अब वह बिल्कुल स्वस्थ है. नौ मई को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. संस्थान के निदेशक डॉ एनआर विश्वास ने टीम में शामिल डॉ अरशद, सौरभ, प्रितपाल सिंह और डॉ निरूपम को सफल इलाज के बाद बधाई दी है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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