खादी केवल वस्त्र नहीं, बन चुकी है राजनीति का प्रतीक
बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल ने एक बार फिर खादी बाजार में रौनक लौटा दी है. चुनावी प्रचार के बीच उम्मीदवारों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों में खादी के कुर्ता-पैजामा, बंडी, गमछा और पट्टे की मांग तेजी से बढ़ गयी है.
सुबोध कुमार नंदन, पटना बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल ने एक बार फिर खादी बाजार में रौनक लौटा दी है. चुनावी प्रचार के बीच उम्मीदवारों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों में खादी के कुर्ता-पैजामा, बंडी, गमछा और पट्टे की मांग तेजी से बढ़ गयी है. गांधीवादी सादगी की पहचान मानी जाने वाली खादी अब चुनावी पहचान और स्टाइल स्टेटमेंट बन गयी है. इस वक्त खादी दुकानदारों की ओर से 30 फीसदी तक छूट दी जा रही है. मौर्यालोक, हाइकोर्ट मोड़ व उसके आसपास, डाकबंगला चौराहा, गांधी मैदान, कंकड़बाग, न्यू मार्केट, बोरिंग रोड आदि इलाकों की खादी भंडारों और दर्जियों की दुकानों पर पिछले एक पखवाड़े से ग्राहकों की भीड़ बढ़ गयी है. दुकानदारों की मानें, तो पहले रोजाना 10-15 सेट बिकते थे, अब यह संख्या 60 से 70 तक पहुंच गयी है. खासकर सफेद और क्रीम कलर की कुर्ता-पैजामा व बंडी सबसे ज्यादा चल रही है. खादी के रेडीमेड कपड़ों के साथ सिलाई ऑर्डर भी लगातार बढ़ रहे हैं. मौर्यालोक परिसर में स्थित गणपति खादी के प्रमुख सिद्धार्थ जैन ने बताया कि चुनाव की घोषणा के बाद से उम्मीदवार और समर्थक लोग बड़े पैमाने पर कपड़े सिलवा रहे हैं. जैन ने बताया कि पहले जहां रोजाना पांच-छह जोड़ी सिलते थे, अब 20–25 ऑर्डर रोज मिल रहे हैं. साथ ही रेडिमेड परिधानों की मांग काफी है. खादी के कपड़े मुर्शिदाबाद, त्रिपुर, तमिलनाडू, भागलुपर और मधुबनी से आते हैं. इनमें मशलीन, अदी, लीलन और मटका मुख्य हैं. कीमतों में भी इस बढ़ती मांग का असर दिख रहा है. खादी का साधारण कुर्ता 600 से 900 रुपये में, पैजामा 400 से 600 रुपये में, जबकि बंडी 1000 से 1800 रुपये में बिक रही है. खादी का गमछा और पट्टा 100 से 400 रुपये तक में उपलब्ध है. कुछ दुकानें प्रीमियम फैब्रिक पर सिलाई सहित सेट 2500 रुपये तक में तैयार कर रही हैं. बोरिंग रोड स्थित श्री राम खादी के आशीष कुमार ने बताया कि चुनाव के बाद से खादी की बिक्री में सामान्य दिनों के मुकाबले 50 प्रतिशत तक इजाफा हो देखा जा रहा है. खासकर युवा राजनेताओं और कार्यकर्ताओं में अब रंगीन बंडी, जैकेट और कुर्तों की मांग भी बढ़ रही है. हाइकोर्ट के आसपास के दुकानदारों का कहना है कि चुनाव घोषणा के बाद से खादी के कपड़े और परिधानों की मांग में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. आज ऐसी स्थिति है कि सिलाई करने वाले कारीगर तीन-चार दिनों तक का समय मांग रहे हैं. साथ ही इस बार ऑनलाइन ऑर्डर भी बढ़े हैं. कई प्रत्याशी और उनके प्रचार दल सोशल मीडिया पर भी अपनी खादी लुक को प्रोमोट कर रहे हैं. इससे न केवल खादी की बिक्री बढ़ी है, बल्कि बुनकरों को भी अच्छा काम मिल रहा है.
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