जीतनराम मांझी देंगे ब्राह्मणों को भोज, जानिये मिथिला और बंगाल के ब्राह्मणों की क्यों नहीं होगी इंट्री

जीतनराम मांझी ने अपने पटना स्थित सरकारी आवास पर 27 दिसंबर को ब्राह्मणों के लिए भोज का एलान कर दिया है, लेकिन इस भोज में शामिल होने की जो शर्त रखी गयी हैं, उससे मिथिला और बंगाल के अधिकतर ब्राह्मणों की इंट्री संभव नहीं हो पायेगी.

By Prabhat Khabar Print Desk | December 24, 2021 9:33 AM

पटना. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने बयानों से मीडिया की सूर्खियों में है. ब्राह्मणों को लेकर दिये गये उनके बयान पर ताजा विवाद चल रहा है. इसी बीच जीतनराम मांझी ने अपने पटना स्थित सरकारी आवास पर 27 दिसंबर को ब्राह्मणों के लिए भोज का एलान कर दिया है, लेकिन इस भोज में शामिल होने की जो शर्त रखी गयी हैं, उससे मिथिला और बंगाल के अधिकतर ब्राह्मणों की इंट्री संभव नहीं हो पायेगी.

मांझी ने कहा है कि वैसे ब्राह्मण जिन्होंने मांस-मदिरा का सेवन नहीं किया हो, वो 27 दिसंबर को साढ़े 12 बजे मेरे आवास पर आयोजित भोज में शामिल हो सकते हैं. दलित-आदिवासियों के साथ ब्राह्मण इस भोज में शामिल होकर सामाजिक एकता का परिचय दें.

पटना में अपने समाज के एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने ब्राह्मणों को लेकर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने अपने समाज में बढ़ रहे सत्यनारायण भगवान की पूजा की परंपरा पर भी सवाल उठाया था. उनके इस बयान को लेकर बिहार के सभी राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई थी और माफी मांगने को कहा था.

मामले को बढ़ता देख जीतनराम मांझी ने अगले दिन माफी मांगते हुए कहा था कि उन्होंने अपशब्द का इस्तेमाल ब्राह्मणों के लिए नहीं किया है, बल्कि अपने समाज के लिए किया था. इसी बीच, भाजपा नेता गजेंद्र झा ने मांझी का जीभ काटकर लाने वाले को 11 लाख रूपया इनाम देने की घोषणा कर दी. हालांकि भाजपा ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया है.

मांझी के बयान से आहत ब्राह्मण समाज के नेता सड़क पर उतर गए और मांझी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरना पर बैठ गए. गुरुवार को ब्राह्मण समाज के नेताओं ने पटना स्थित मांझी आवास के बाहर भी प्रदर्शन किया. मामले को बढ़ता देख पुलिस ने उनके आवास की सुरक्षा बढ़ा दी है.

इधर, उनके गृह जिला गया में मांझी के समर्थकों ने शक्ति प्रदर्शन किया है. भाजपा नेता गजेंद्र झा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मांझी समर्थकों ने भारी संख्या में प्रतिरोध मार्च निकाला. मांझी द्वारा भोज करने के एलान से ये तय हो गया कि मामला अभी शांत होने वाला नहीं है.

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