जंगलराज के उत्तराधिकारी के घर कानून लाचार, तेज प्रताप के बहाने केंद्रीय मंत्री ने लालू पर साधा निशाना
Bihar Politics: RJD नेता तेज प्रताप यादव होली के रंग में कुछ ऐसा बह गए कि विवाद खड़ा हो गया. एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे ड्यूटी पर तैनात सिपाही को ठुमका लगाने का आदेश दे रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस पर हमला बोलते हुए इसे "जंगलराज की मानसिकता" करार दिया.
Bihar Politics: RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लाल और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं. होली के अवसर पर अपने सरकारी आवास पर जश्न के दौरान उन्होंने ड्यूटी पर तैनात एक सिपाही से नाचने के लिए कहा, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस घटना पर BJP और JDU के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे ‘जंगलराज की वापसी’ से जोड़ते हुए आलोचना की है.
‘ठुमका नहीं लगाया तो सस्पेंड कर दूंगा’
तेज प्रताप यादव के वायरल वीडियो में वे मंच पर बैठे नजर आ रहे हैं. वीडियो में वे माइक से अपने सुरक्षाकर्मी को संबोधित करते हुए कहते हैं— “ए सिपाही, ए दीपक… एक गाना बजाएंगे, उस पर तुम्हें ठुमका लगाना है. ठुमका लगाओ, नहीं तो सस्पेंड कर दिए जाओगे. बुरा न मानो होली है.” इसके बाद वहां मौजूद समर्थक और अन्य लोग ठहाके लगाने लगते हैं. तेज प्रताप खुद गाने लगते हैं, और सिपाही भी मजबूरन धीरे-धीरे नाचने लगता है.
गिरिराज सिंह का पलटवार
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस वीडियो को साझा करते हुए एक्स पर लिखा— “ये रौब, ये धौंस, ये परिवारवाद का नशा, ये तो कुछ भी नहीं! ये तो वर्दी को भी अपनी जागीर समझते हैं। ये हैं जंगलराज के उत्तराधिकारी, जहां कानून उनके दरवाजे पर लाचार खड़ा है.” गिरिराज सिंह ने इस घटना को लालू-राबड़ी शासन के ‘जंगलराज’ से जोड़ते हुए कहा कि तेज प्रताप यादव अब भी पुलिस को निजी संपत्ति समझते हैं.
JDU ने भी साधा निशाना
तेज प्रताप यादव के इस बयान पर जेडीयू भी हमलावर हो गया। JDU प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा, “इस बयान से तेज प्रताप यादव ने साफ कर दिया कि वे अपने पिता लालू प्रसाद यादव के दौर की याद दिलाना चाहते हैं. पुलिस प्रशासन पर इस तरह का दबाव डालना पूरी तरह अनुचित है। बिहार अब बदल चुका है और इस प्रकार की तानाशाही नहीं चलेगी.”
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सोशल मीडिया पर तेज हुआ विवाद
इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों की अलग-अलग राय देखने को मिल रही है. कुछ लोग इसे ‘मनोरंजन’ बता रहे हैं तो कुछ ‘शक्ति प्रदर्शन’ और पुलिस के सम्मान से जुड़ा मुद्दा मान रहे हैं.
