एफडीआर से जबरन वसूली करना पड़ा महंगा, उपभोक्ता आयोग ने बैंक को लगाया जुर्माना

पटना जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक राष्ट्रीयकृत बैंक को ऋण का गारंटर बने उपभोक्ता की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि से अवैध रूप से दूसरे उपभोक्ता को दिये गये ऋण की वसूली करने का दोषी पाते हुए आदेश दिया

By KUMAR PRABHAT | September 13, 2025 10:09 PM

संवाददाता, पटना पटना जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक राष्ट्रीयकृत बैंक को ऋण का गारंटर बने उपभोक्ता की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि से अवैध रूप से दूसरे उपभोक्ता को दिये गये ऋण की वसूली करने का दोषी पाते हुए आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को 39,874 की राशि 12 फीसदी वार्षिक साधारण ब्याज के साथ लौटाए. साथ ही 20,000 मानसिक प्रताड़ना के लिए और 10,000 मुकदमा खर्च के रूप में अदा करें.

यह मामला 2008 में दर्ज हुआ था, जिसमें डोंगरा, बिहटा निवासी ललन प्रसाद ने शिकायत की थी कि वह केवल एक गारंटर थे, लेकिन बैंक ने उनके एफडीआर से पैसे काट लिए, जबकि मुख्य ऋणी कृष्ण कुमार सिंह से राशि वसूलने के लिए उचित कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गयी थी.

आयोग के अध्यक्ष प्रेम रंजन मिश्रा और सदस्य रजनीश कुमार ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि गारंटर से वसूली की प्रक्रिया तभी शुरू की जा सकती है जब मुख्य ऋणी कानूनी रूप से दिवालिया घोषित हो या वसूली के अन्य सभी विकल्प विफल हो चुके हों. आयोग ने कहा कि बिना किसी वैध प्रक्रिया के गारंटर के एफडीआर से पैसा काटना स्पष्ट रूप से सेवा में कमी है.

आयोग ने यह भी कहा कि यदि बैंक चाहे तो भविष्य में सार्वजनिक मांग वसूली अधिनियम के अंतर्गत उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से ऋणी से शेष राशि वसूल कर सकता है. उपभोक्ता आयोग ने बैंक को यह आदेश चार महीने के भीतर पालन करने का निर्देश दिया है, अन्यथा शिकायतकर्ता उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 71 के अंतर्गत आदेश की पालना के लिए कार्रवाई कर सकता है, जिसके तहत बैंक को 10,000 अतिरिक्त भुगतान करना होगा.

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