11 एकड़ में फैले 22 तालाब में तैयार होंगे फिंगरलिंग
भारी बारिश से जिले के तालाब भर गये हैं और इसी के साथ मत्स्य बीज संचयन शुरू हो गया है. मत्स्य बीज संचयन के लिए जिले के 22 तालाब को चुना गया है जो कुल मिला कर 11 एकड़ में फैले हैं.
अनुपम कुमार, पटना. भारी बारिश से जिले के तालाब भर गये हैं और इसी के साथ मत्स्य बीज संचयन शुरू हो गया है. मत्स्य बीज संचयन के लिए जिले के 22 तालाब को चुना गया है जो कुल मिला कर 11 एकड़ में फैले हैं. इनमें कुछ तालाब एक एकड़ के आसपास तो कुछ आधे एकड़ से भी कम के हैं. इनमें कुल 10 लाख फिंगरलिंग (मत्स्य बीज) तैयार किये जायेंगे. इसके लिए बीते तीन-चार दिनों से हैचरी से इनको स्पॉन (अंडे)और फिंगरलिंग (नन्ही मछली) भी दिया जा रहा है. विदित हो कि मत्स्य बीज संचयन के लिए यह आदर्श समय है क्योंकि भारी बारिश से तालाब में पानी की कमी दूर हो गयी है और उसमें प्लैंकटन जैसे मछलियों के प्राकृतिक आहार भी बढ़ गये हैं. एक हैचरी में तैयार हो रहे एक करोड़ स्पॉन पटना जिले में अभी पांच हैचरी हैं जो मछलियों का अंडा तैयार करते हैं. इनमें से हर हैचरी में एक किलो वजन की 80 से 100 मछली डाली गयी है जिनमें आधे नर और आधे मादा हैंं. हैचरी की पानी में इंजेक्शन डालकर मछलियों को ब्रीडिंग के लिए प्रेरित किया जाता है और एक ब्रीडिंग में एक मछली लगभग एक लाख अंडे देती है. 20-25 दिन बाद इन स्पॉन के फूटने से फिंगरलिंग बनती है. लेकिन इनमें से दो तिहाई फिंगरलिंग बनने से पहले ही नष्ट हो जाती हैं. फिंगरलिंग बनने के बाद भी हैचरी से मत्स्य बीज संचयन वाले तालाब में इनको स्थानांतरित करने में बड़ी संख्या में फिंगरलिंग नष्ट होते हैं. 60 दिन लगेंगे फिंगरलिंग तैयार होने में मछुआरों को मत्स्य बीज संचयन के लिए सरकार द्वारा 50 फीसदी का अनुदान दिया जायेगा. चूकि एक फिंगरलिंग तैयार होने में लगभग पांच रुपये की लागत आती है, ऐसे में एक फिंगलिंग के उत्पादन पर 2.5 रूपये का अनुदान दिया जायेगा. एक एकड़ जमीन पर निर्मित तालाब में लगभग 80 हजार फिंगरलिंग का उत्पादन होता है. तीन इंच के फिंगरलिंग को ले जाकर मछुआरे अपने तालाब में पालेंगे. सिंथेटिक फिडिंग और तालाब में चूने व पोटाशियम परमैगनेट जैसे जल साफ करने वाले रासायनों के उपयोग से मत्स्य पालन करने वाले मछुआरे आठ-नौ महीने में एक किलो वजन तक का मछली तैयार कर सकते हैं. जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभु प्रसाद नायक ने कहा कि तालाब में जल भरते ही मत्स्य बीज संचयन के लिए चयनित लाभुक हैचरी से मछलियों के अंडे (स्पान) और नन्हे बच्चे (फिंगरलिंग) ले जाने लगे हैं. 11 एकड़ में फैले 22 यूनिटों का लगभग 10 लाख फिंगरलिंग तैयार करने के लिए चयन किया गया है. इन्हें 50 फीसदी अनुदान दिया जायेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
