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Exclusive Interview : पवन-खेसारी टकराव और मराठी भाषा विवाद पर खुलकर बोले ‘निरहुआ’, 7 सवालों के दिए ये जवाब…

Exclusive Interview: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता व पूर्व सांसद 'निरहुआ' पटना पहुंचे. पटना स्थित प्रभात खबर के ऑफिस में उनका आगमन हुआ. जहां, उन्होंने भोजपुरी सिनेमा के मौजूदा दौर, अश्लीलता की बहस, मराठी-भाषा विवाद, जाति आधारित गीतों समेत अन्य मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी.

By Preeti Dayal | July 7, 2025 10:38 AM
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Exclusive Interview: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता व पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ अपनी नई फिल्म ‘हमार नाम बा कन्हैया’ के प्रमोशन को लेकर निर्देशक विशाल वर्मा, निर्माता मुकेश गिरी और अभिनेता समर कात्यायन के साथ पटना स्थित प्रभात खबर के ऑफिस पहुंचे. इस दौरान उन्होंने भोजपुरी सिनेमा के मौजूदा दौर, अश्लीलता की बहस, मराठी-भाषा विवाद, जाति आधारित गीतों की प्रवृत्ति और आने वाले समय में इंडस्ट्री की संभावनाओं पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि मुंबई की खूबसूरती अब बिहार में देख रहे हैं. मरीन ड्राइव को देखता हूं तो जूहू चौपाटी याद आती है. इस दौरान ‘निरहुआ’ ने 7 सवालों के जवाब खुलकर दिए.

पहला सवाल- आपकी नई फिल्म में नयापन क्या है? भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए आप क्या प्रयास कर रहे हैं?

जवाब- जब भी मैं पटना आता हूं, एक सवाल हर बार सुनने को मिलता है कि भोजपुरी सिनेमा में ऐसी फिल्में कब बनेंगी, जिन्हें पूरा परिवार एक साथ बैठकर देख सके? अब समय बदल गया है. आज भोजपुरी फिल्मों को मल्टीप्लेक्स के लिए भी बनाया जा रहा है और वहां लग भी रही हैं. इसी सोच के साथ हमार नाम बा कन्हैया बनाई गई है. इसमें न तो दोअर्थी संवाद हैं, न अश्लील गाने. दर्शक पूरे परिवार के साथ जाकर इसे देख सकते हैं.

दूसरा सवाल- भोजपुरी फिल्मों में गानों की भरमार होती है, लेकिन इस फिल्म में कहानी को प्राथमिकता दी गई है.

जवाब- एक समय था जब मैं सोचता था कि मैं भी भोजपुरी की पुरानी शानदार फिल्मों की तरह कुछ क्यों नहीं बना पा रहा. फिर एक दौर आया जब रवि किशन, मनोज तिवारी जैसे कलाकारों के साथ नया युग शुरू हुआ. उसके बाद गायकों की बाढ़ सी आ गई. इससे पहुंच तो बढ़ी, लेकिन गानों की इतनी अधिकता हो गई कि, फिल्म और गाने में फर्क ही समझ नहीं आता था. दर्शकों ने बदलाव की मांग की और हम उसी दिशा में आगे बढ़े. आज के समय में दो–तीन अच्छे गाने काफी होते हैं, 10 गाने जरूरी नहीं.

तीसरा सवाल- मल्टीप्लेक्स में अब भोजपुरी दर्शक भी नजर आ रहे हैं. क्या भोजपुरी सिनेमा उस स्तर तक पहुंच पाएगा?

जवाब- जब हम कुछ नया करने की सोचते हैं तो डर तो लगता है. हमें भी डर था कि लोग कैसे प्रतिक्रिया देंगे. लोगों के रिस्पांस को देखकर अब मैं भरोसे से कह सकता हूं कि आने वाले समय में भोजपुरी में 10 करोड़, 20 करोड़, यहां तक कि 50 करोड़ के बजट वाली फिल्में भी बनेंगी. दर्शक कंटेंट चाहते हैं और अब मल्टीप्लेक्स की क्लास ऑडियंस भी भोजपुरी फिल्मों की तरफ लौट रही है.

चौथा सवाल- आपके किरदारों से लोग खुद को जोड़ पाते हैं. जमीन से जुड़ी भूमिका निभाना आपके लिए कितना खास होता है?

जवाब- जब दर्शक आपको देखे तो उन्हें लगे कि आप उनके जैसे हैं. चाहे वह किसान हो या मजदूर, उसे लगे कि यह कलाकार उसकी मिट्टी का है. जब मैं खेत में होता हूं तो ऐसा न लगे कि कोई अंग्रेज आ गया. अगर मैं रिक्शा चालक का किरदार निभा रहा हूं, तो दर्शक को यह भरोसा हो कि मैं वास्तव में उस जीवन को समझता हूं. यही जुड़ाव मेरी सबसे बड़ी ताकत है.

पांचवां सवाल- मराठी भाषा विवाद पर आपने खुलकर प्रतिक्रिया दी थी. इस पर आपकी राय क्या है?

जवाब- यह मुद्दा आम जनता का नहीं, बल्कि गंदी राजनीति का है. हम कभी यह नहीं कहते कि अगर भोजपुरी नहीं आती, तो आप हमारे साथ काम नहीं कर सकते. हमारे देश में अलग-अलग भाषा, धर्म, जाति के लोग मिलकर रहते हैं. इसे तोड़ने वालों का खुलकर विरोध होना चाहिए.

छठा सवाल- पवन सिंह और खेसारी लाल के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है. आप इसे कैसे देखते हैं?

जवाब- जो लोग ऐसा करते हैं, वे शायद कम सोच वाले होते हैं. भोजपुरी एक बहुत बड़ी भाषा है, इसे दुनियाभर में लोग बोलते और समझते हैं. जो लोग अच्छा काम कर रहे हैं, वे इन विवादों से दूर रहते हैं.

सातवां सवाल- बिहार में जातिगत गानों का चलन बढ़ रहा है. इसे आप कैसे देखते हैं?

जवाब- जब हम बिहार से बाहर जाते हैं, तो खुद को बिहारी कहते हैं. लेकिन जैसे ही बिहार लौटते हैं, जातियों में बंट जाते हैं. जब तक हम पूरे राज्य को एक पहचान नहीं देंगे, यह समस्या बनी रहेगी. अगर हम चाहते हैं कि बिहार समृद्ध और विकसित राज्य बने, तो जातिगत सोच को पीछे छोड़ना होगा.

‘सिनेमा मेरी मां है उसे कभी खराब नहीं कर सकते’: निर्देशक

इधर, फिल्म निर्देशक विशाल वर्मा ने कहा कि, यह भोजपुरी सिनेमा में एक नया प्रयोग है. फिल्म पूरी तरह एक सस्पेंस थ्रिलर है. शूटिंग लखनऊ, मुंबई और लंदन जैसे स्थानों पर की गई है. उन्होंने कहा कि, सिनेमा हमारी मां है, हम उसे कभी खराब नहीं कर सकते. मैं सभी से गुजारिश करूंगा कि सिनेमा को उसी नजर से देखें जैसे आप अपनी मां को देखते हैं. वहीं, निर्माता मुकेश गिरी ने बताया कि, फिल्म भले ही कमर्शियल है, लेकिन इसकी आत्मा एक सुंदर और असरदार कहानी है. हम लोगों ने कहा था कि पिक्चर सब बना रहे हैं, हम फिल्म बनाएंगे. वहीं, अभिनेता समर कात्यायन ने कहा कि, निरहुआ जैसे कलाकार के साथ काम करना गौरव की बात है. यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा की छवि को नया मुकाम देगी और दर्शकों को एक साफ-सुथरा विकल्प देगी.

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