कमाकाजी महिलाओं के बच्चे ज्यादा हो रहे जिम्मेदार, अध्ययन में पाया गया सकारात्मक बदलाव

Exclusive: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के एक अध्ययन में पाया गया है कि कमाकाजी महिलाओं के बच्चे ज्यादा जिम्मेदार हो रहे है. उन बच्चों में सकारात्मक बदलाव देखा गया है. कामकाजी मम्मियों की बेटियों में 40 प्रतिशत अधिक आत्मविश्वास और करियर में आगे बढ़ने की संभावना होती है.

By Radheshyam Kushwaha | April 13, 2025 5:03 PM

Exclusive: जुही स्मिता/पटना. विभिन्न शोध और मनोवैज्ञानिक अध्ययन का दावा है कि कामकाजी महिलाओं के बच्चों में स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और जिम्मेदारी की भावना जल्द विकसित होती हैं. जिन बच्चों की मम्मियां कामकाजी होती है, वह न केवल जल्द समझदार बनते है, बल्कि व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अधिक सफल भी होते हैं. भारतीय श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट (2024) के अनुसार महिलाओं की बढ़ती कार्यक्षमता का प्रभाव बच्चों पर सकारात्मक रूप से पड़ रहा है, जिससे वे समय प्रबंधन और नेतृत्व कौशल जल्दी सीख रहे है. वहीं, एससीइआरटी (2003) के अध्ययन में पाया गया कि शहरी क्षेत्रों में कामकाजी मम्मियों के 78 फीसदी बच्चे अपने छोटे भाई-बहन की देखभाल और घरेलू कामों में हाथ बंटाते है.

बिहार-यूपी में सबसे कम भागीदारी

भारत में कामकाजी महिलाओं का राष्ट्रीय औसत 27.2 फीसदी है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 32.8 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 21.1 फीसदी महिलाएं कार्यरत है. छतीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्यों में महिला श्रम भागीदारी दर सबसे अधिक 38 से 45 फीसदी तक है. जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में यह भागीदारी सबसे कम 8.4 और 11.5 फीसदी है.

बेटियां कर रहीं नेतृत्व, बेटे घर में सहयोगी

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के एक अध्ययन के मूताबिक कामकाजी मम्मियों की बेटियों में 40 प्रतिशत अधिक आत्मविश्वास और करियर में आगे बढ़ने की संभावना होती है. वे प्रबंधकीय पदों पर बेहतर प्रदर्शन करती है. उनमें मुश्किलों को धैर्य के साथ सुलझाने की क्षमता होती है. वहीं अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार कामकाजी मम्मियों के बेटे घरेलू जिम्मेदारियों में अधिक अधिक सहयोगी होते है और लिंग समानता को बेहतर समझते हैं.

बच्चों में यह बदलाव दिखते हैं

  • स्वतंत्र निर्णय क्षमताः कामकाजी मम्मियों के बच्चों को जल्दी समझ आ जाता है कि छोटे-बड़े निर्णय कैसे लेने हैं.
  • बेहतर समय प्रबंधनः बच्चे समय प्रबंधन में कुशल होते हैं और समय की कीमत समझते हुए अपना निर्णय लेते हैं.
  • भावनात्मक समझ: बच्चे समाजिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलती है.

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कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत

राज्यग्रामीणशहरी औसत(%)
बिहार9.56.88.4
उत्तर पदेश12.810.211.5
राजस्थान28.718.324.5
मध्य प्रदेश34.221.728.1
झारखंड26.518.022.8
छत्तीसगढ़45.130.538.9
गुजरात22.6 15.919.3
महाराष्ट्र34.927.831.4
कर्नाटक35.728.131.9
तमिलनाडु37.229.533.4
नोट- स्त्रोत- राष्ट्रीय सैंपल सर्वे(2024)