Chhath Mahaaparv: वेस्ट टू वंडर स्कल्पचर, छठ महापर्व को समर्पित 17 फुट ऊंची कलाकृति, आस्था और पर्यावरण का संगम
Chhath Mahaaparv: लोहे के कबाड़ से उकेरी गई आस्था की परछाई… और हाथों में थमा सूप, गन्ना व फल. इस बार दीघा घाट पर छठ महापर्व का दृश्य सिर्फ पूजा में ही नहीं, बल्कि एक भव्य धातु-शिल्प में भी दिखाई देगा.
Chhath Mahaaparv: पटना के दीघा घाट पर इस वर्ष छठ महापर्व के मौके पर भक्तों को एक अनूठा नजारा देखने को मिलेगा. बुडको (BUIDCo) की ओर से यहां ‘वेस्ट टू वंडर स्कल्पचर’ स्थापित किया जा रहा है, जो पूरी तरह उपयोग की गई धातु (मेटल स्क्रैप) से तैयार होगा. 17 फुट ऊंची और 12 फुट चौड़ी यह कलाकृति छठ के पारंपरिक स्वरूप को दर्शाएगी—हाथ में सूप, फल, गन्ना और प्रसाद सामग्री के साथ.
यह सिर्फ आस्था का प्रतीक नहीं होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आधुनिक कला का संगम भी बनेगा.
कबाड़ से आस्था का रूप
छठ महापर्व को समर्पित यह कलाकृति अपने आप में अद्वितीय है. ‘वेस्ट टू वंडर’ की अवधारणा के तहत इसे पूरी तरह कबाड़ धातु से तैयार किया जा रहा है. आमतौर पर यही धातु या तो बेकार पड़ी रहती है या प्रदूषण बढ़ाती है, लेकिन इस बार इसे नए रूप में ढालकर आस्था की प्रतिमा बनाया जा रहा है.
17 फुट ऊंचे इस शिल्प में पारंपरिक छठव्रती की छवि होगी. हाथों में थमा सूप और प्रसाद सामग्री न सिर्फ श्रद्धा बल्कि ‘समृद्धि और आभार’ का प्रतीक होगा. इसमें फल और गन्ने की भी धातु-निर्मित आकृतियाँ सजाई जाएंगी.
सिर्फ कला नहीं, एक संदेश
बुडको के प्रबंध निदेशक अनिमेष कुमार पराशर का कहना है कि यह शिल्प सूर्य उपासना की ऊर्जा और जीवनदायिनी परंपरा को दर्शाने के साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण और पुनः उपयोग (रीयूज) का संदेश देगा.
छठ महापर्व हमेशा से प्रकृति और स्वच्छता से जुड़ा हुआ है. सूर्य, जल और धरती के प्रति आभार व्यक्त करने वाला यह पर्व जब एक ‘वेस्ट टू वंडर आर्ट’ के रूप में सामने आएगा, तो इसका प्रभाव और भी गहरा होगा.
दीघा घाट बनेगा सांस्कृतिक केंद्र
यह धातु शिल्प दीघा पाट पर स्थापित किया जाएगा. छठ से पहले ही इसे पूरा कर स्थायी रूप से वहां लगाया जाएगा. आने वाले दिनों में यह पटना का नया सांस्कृतिक और पर्यटन आकर्षण बन सकता है. इसका उद्देश्य घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं और युवाओं को यह समझाना भी है कि “कचरा भी कला का हिस्सा बन सकता है और पर्यावरण बचाने का जरिया बन सकता है.
गंगा आरती और स्वच्छता का संदेश
छठ महापर्व के साथ ही शहर में गंगा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी धूम रहेगी. 17 सितंबर से गंगा घाटों पर नियमित गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा. गांधी घाट, कंगन घाट, एलसीटी घाट, एनआईटी घाट और दीघा घाट पर यह कार्यक्रम होंगे.
इसके साथ ही नुक्कड़ नाटक और भजन संध्या के जरिये लोगों को गंगा की स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाएगा. भजन संध्या में गंगा और पर्यावरण पर आधारित भजनों व लोकसंगीत की प्रस्तुति होगी. इसमें लोकगायिका नीतू नवगीत भी प्रस्तुति देंगी. श्रद्धालु गंगा की स्तुति और लोकधुनों के बीच आस्था और पर्यावरणीय चेतना का अनूठा संगम अनुभव करेंगे.
दिलाई जाएगी,गंगा स्वच्छता की शपथ
इन आयोजनों के दौरान लोगों को गंगा की स्वच्छता की शपथ भी दिलाई जाएगी. खास बात यह है कि ये कार्यक्रम सिर्फ छठ महापर्व तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि आगे भी चलते रहेंगे. पटना नगर निगम पहली बार घाटों पर सांस्कृतिक आयोजनों की नई परंपरा की शुरुआत कर रहा है.
नवरात्र के दौरान जेपी गंगा पथ के नीचे गंगा घाट पर डांडिया नाइट्स आयोजित की जाएंगी. षष्ठी और सप्तमी की रात को यह आयोजन होगा.इसमें नगर निगम के सफाईकर्मी से लेकर अधिकारियों के परिवार तक सब लोग शामिल होंगे. उद्देश्य यह है कि स्वच्छता अभियान और सांस्कृतिक उत्सव को एक साथ जोड़ा जाए.
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