Bihar Politics: बिहार चुनाव में हार के बाद RJD में सर्जरी, लालू-तेजस्वी ने तैयार की बागी नेताओं की लिस्ट, होगी बड़ी कार्रवाई

Bihar Politics: राजद की चुनावी हार के बाद पार्टी में उथल-पुथल तेज हो गई है. समीक्षा बैठकों में कार्यकर्ताओं ने बागियों की भूमिका, संगठन की कमजोरियों और नेतृत्व तक पहुंच न होने जैसी गंभीर शिकायतें खुलकर सामने रखीं, जिसके बाद कई नेताओं पर कार्रवाई तय मानी जा रही है.

By Abhinandan Pandey | December 10, 2025 1:43 PM

Bihar Politics: बिहार चुनाव में मिली करारी हार के बाद राजद अब अपनी संगठनात्मक कमजोरी और आंतरिक कलह पर सर्जिकल स्ट्राइक मोड में दिखाई दे रहा है. पार्टी में बागी रुख अपनाने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं पर जल्द कड़ा एक्शन लेने की तैयारी है. समीक्षा बैठकों के दौरान प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल को कई जिलों से ऐसे बगियों की लिखित शिकायतें मिली हैं. पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के निर्देश पर दर्जनों नेताओं पर कार्रवाई तय मानी जा रही है.

समीक्षा बैठक में कार्यकर्ताओं ने क्या कहा?

मंगलवार को समीक्षा बैठक के अंतिम दिन पटना प्रमंडल के जिला अध्यक्षों, प्रधान महासचिवों, पूर्व विधायकों, पूर्व सांसदों और प्रमुख पदाधिकारियों ने जमकर अपनी बातें रखीं. बैठक में कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि तेजस्वी यादव को अपने आवास के दरवाजे कार्यकर्ताओं के लिए पहले की तरह खुला रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जमीनी कार्यकर्ताओं की बात सुनने, समझने और उनके मार्गदर्शन में काम करने से ही पार्टी दोबारा मजबूत खड़ी हो सकती है.

गरीब, अतिपिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग का भी उठा मुद्दा

नेताओं का कहना था कि तेजस्वी की ‘ए-टू-जेड’ सामाजिक समावेशन की परिकल्पना जमीन पर असर नहीं छोड़ पाई. आरोप लगाया गया कि 90 फीसदी गरीब, अतिपिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के मुद्दों को लेकर पार्टी फील्ड में सक्रिय नहीं रही, जबकि विपक्ष के रूप में राजद को इन वर्गों के सुख-दुख में सबसे आगे रहना चाहिए था.

बैठक में आर्थिक संसाधनों का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठा. कार्यकर्ताओं ने सवाल किया कि गरीब प्रत्याशी चुनाव कैसे लड़ें? क्या पार्टी आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन ईमानदार 10 कार्यकर्ताओं को अपने खर्चे पर चुनाव लड़वा सकती है?

पटना में संगठन को मजबूत करने पर भी हुई बातचीत

पटना महानगर संगठन की कमजोरियों पर भी खुलकर बात हुई. नेताओं ने कहा कि राजधानी में संगठन को मजबूत करने का कभी गंभीर प्रयास नहीं किया गया, जिसका असर चुनाव परिणामों में साफ दिखा. इसके अलावा, जातीय हिंसा और आक्रामक गीतों को भी हार की एक बड़ी वजह बताया गया.

‘हरियाणा से जुड़े लोग भी पार्टी में एक्टिव’

कुछ नेताओं ने यह सवाल भी उठाया कि बाहर से आए और हरियाणा से जुड़े लोग पार्टी में लगातार सक्रिय हैं, उनका प्रभाव स्थानीय कार्यकर्ताओं के मनोबल को प्रभावित कर रहा है. समीक्षा बैठकों के बाद माना जा रहा है कि राजद अब बड़े स्तर पर संगठन में बदलाव और अनुशासनात्मक कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ा सकती है.

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