Bihar Politics: 15 सीटों पर अड़े जीतन राम मांझी, जेपी नड्डा ने मिलाया फोन
Bihar Politics: जीतनराम मांझी ने जोर देकर कहा कि यदि उनकी पार्टी को पर्याप्त संख्या में सीटें नहीं दी जाती हैं, तो उनका यह निर्णय है कि उनका अगला कदम चुनाव में भाग न लेना होगा. उन्होंने कहा कि यह कदम उनके लिए मजबूरी नहीं बल्कि रणनीतिक निर्णय है, ताकि पार्टी का संगठन मजबूत हो और इसके कार्यकर्ताओं और समर्थकों का विश्वास कायम रहे.
Bihar Politics: पटना. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) का एनडीए से अलग होने की संभावना बढ़ती जा रही है. केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय संरक्षक जीतनराम मांझी ने एनडीए से कम से कम 15 सीटों की मांग की है. पत्रकारों से बात करते हुए मांझी ने साफ तौर पर कहा है कि अगर एनडीए उनकी मांग नहीं मानता है तो उनकी पार्टी चुनाव से अलग हो सकती है. हालांकि मांझी ने एनडीए छोड़ने की बात नहीं की है, लेकिन राजनीति गलियारे में इस बात की चर्चा है कि माझी ने सारे विकल्प खोल रखे हैं और उनकी प्रशांत किशोर मुलाकात हो सकती है. इसबीच भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी बात होने की सूचना आ रही है.
दबाव की राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं मांझी
दबाव की राजनीति के माहिर खिलाड़ी जीतनराम मांझी ने एक बार फिर एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर नाराजगी व्यक्त कर दी है. गठबंधन पर अंतिम फैसला लेने के लिए जीतनराम मांझी ने पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक 10 अक्टूबर को पटना में बुलाई है. इस बैठक में पार्टी अपने अगले कदम की घोषणा कर सकती है. मांझी ने इशारों-इशारों कहा कि यह चुनाव उनके लिए किसी भी राजनीतिक समझौते या पद की चाहत से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. इस चुनाव से उनकी पार्टी का भविष्य और पहचान सुनिश्चित होगी. मांझी ने कहा कि उनका फोकस केवल और केवल पार्टी की विस्तार योजना और संगठनिक मजबूती पर है.
कब तक पीयें अपमान का घूंट
जीतनराम मांझी ने कहा है कि मान्यता नहीं रहने के कारण उनकी पार्टी को चुनाव आयोग की बैठक में नहीं बुलाया गया.इससे वह अपमानित महसूस कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि एनडीए उन्हें इतनी सीटें लड़ने के लिए दे जिससे उनकी पार्टी मान्यता पा सके. मांझी ने कहा कि पिछली बार उनकी पार्टी सात सीटों पर लड़ी और चार सीटों पर जीत दर्ज की. ऐसे में आठ सीटें जीतने के लिए उनकी पार्टी को कम से कम 15 सीटों पर इस बार लड़ना होगा. मांझी ने कहा कि अगर मान्यता नहीं मिलेगी तो फिर चुनाव लड़ने का क्या फायदा. हम एनडीए में थे और रहेंगे. मांझी ने कहा है कि हम पार्टी हमेशा एनडीए के प्रति वफादार रहा है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला हो या उपराष्ट्रपति का चुनाव हम ने हमेशा पहले आगे बढ़कर समर्थन जताया है.
पार्टी संगठन से बड़ा नहीं है पद
मांझी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा,” हमारी पार्टी ने अपनी मांगें भाजपा के सामने स्पष्ट रूप से रख दी हैं. पार्टी की एकमात्र प्राथमिकता यह है कि उन्हें ऐसी संख्या में सीटें मिलें, जिससे हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के रूप में स्थापित हो सके. पार्टी को किसी भी पद की लालसा नहीं है, चाहे वह प्रधानमंत्री का हो या उपमुख्यमंत्री का. हमारा मुख्य उद्देश्य अपनी पार्टी को राजनीतिक रूप से मजबूत बनाना है और इसे राष्ट्रीय मान्यता दिलाना है.” जब उनसे पूछा गया कि अगर भाजपा उनके डिमांड पूरी नहीं करती है तो आगे की रणनीति क्या होगी, तो मांझी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी स्थिति में उनकी पार्टी बिहार में चुनाव नहीं लड़ेगी.
