Bihar Politics: सोशल मीडिया पर संघर्ष की तैयारी में जुटा जदयू, वार रूम से रखी जायेगी हर पोस्ट पर नजर
Bihar Politics: जदयू इन दिनों चुनावी महासंग्राम में उतरने से पहले सोशल मीडिया पर संघर्ष की बेहतर तैयारी में जुटा है. इसके लिए जदयू अपने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया के बेहतर उपयोग के लिए प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है.
Bihar Politics: कृष्ण कुमार, पटना. जदयू से जुड़े हर नेता का अब सोशल मीडिया पर एकाउंट होगा. सोशल मीडिया पर जिन लोगों का अकाउंट नहीं बना है, उनका अकाउंट बनाया जायेगा. साथ ही इसके संचालन से लेकर वायरल करने तक पूरी जानकारी दी जायेगी. इसका मकसद जदयू नेताओं और कार्यकर्ताओं की भागीदारी सोशल मीडिया पर बढ़ाना है. साथ ही नीतीश सरकार की उपलब्धियों को सोशल मीडिया के माध्यम से आमलोगों तक पहुंचाना और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टीं का प्रचार करना है. इसके लिए पार्टी ने सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स की मदद लेने का निर्णय लिया है.
हर नेता का बन रहा सोशल मीडिया पर एकाउंट
पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पहले भी सोशल मीडिया के संबंध में प्रशिक्षित किया जा चुका है. हालांकि उसमें उन सभी को बेसिक जानकारी दी गयी थी. अब इस बार चुनावी साल होने के कारण पार्टी ने अभियान चलाकर अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है. इसमें अपने सोशल मीडिया अकाउंट संचालन के साथ ही विपक्षी दलों के सोशल मीडिया अकाउंट पर नजर रखने की जानकारी साझा की जायेगी.
पोस्ट वायरल करने तक की दी जायेगी जानकारी
पार्टी ने जिन सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स को इस काम की जिम्मेदारी दी है, वे सभी विपक्षी नेताओं की कंटेंट का सटीक जवाब कंटेंट के माध्यम से देने का प्रशिक्षण पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को देंगे. कंटेंट सेलेक्शन के साथ ही अपने पोस्ट से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने, उसको वायरल करने सहित अन्य जानकारी देंगे. इसका मकसद यह है कि विपक्षी दलों के बयान, कमेंट आदि का जवाब अधिक से अधिक जदयू कार्यकर्ता दे सकेंगे.
वार रूम से रखी जायेगी नजर
जदयू अपने वार रूम से सोशल मीडिया पर विपक्षी नेताओं पर नजर रखने के साथ ही अपने लोगों की कंटेंट पर भी नजर रखेगा. पार्टी के अपने लोगों से कुछ भी गलत शब्द होने पर तत्काल उसे हटाने का काम होगा. दरअसल एक तरह से जदयू सोशल मीडिया के लिए अपनी फौज तैयार कर रहा है. ऐसी स्थिति में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जब विपक्षी दलों के बयान, कमेंट या किसी प्रकार की राजनीतिक टिप्पणी का जवाब देंगे तो इसके शब्दों का चयन से लेकर अन्य चीजों की निगरानी भी पार्टी को रखनी होगी. यदि ऐसा नहीं हुआ तो किसी भी गलत शब्द के चयन से पार्टी को भी नुकसान हो सकता है.
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