Bihar Politics : कांग्रेस का ‘मौसमी गठबंधन’ खत्‍म, रिजल्ट खराब तो सहयोगी कसूरवार?

देश की सबसे पुरानी पार्टी आज इस स्थिति में है कि उस पर यह छवि बनती जा रही है. “कांग्रेस सत्ता के लिए गठबंधन करती है, नतीजे खराब हुए तो साथी पर उंगली उठाती है.” ऐसे में यह संशय लगातार बढ़ रहा है कि क्या कांग्रेस कभी स्थायी गठबंधन की राजनीति कर पाएगी? या फिर वह सिर्फ "चुनावी मौसम की पार्टी" बनकर रह जाएगी?

By Keshav Suman Singh | December 1, 2025 9:37 PM

Bihar Politics : बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद महागठबंधन के भीतर दरार साफ दिखाई देने लगी हैं. सबसे तीखा बयान कांग्रेस की ओर से आया. प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने ये साफ कह दिया है कि ‘बिहार में गठबंधन सिर्फ चुनावी था, सांगठनिक नहीं.’ ऐसे में अब बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि क्‍या बिहार में महागठबंधन टूट गया है. या कांग्रेस अब अपने बूते संगठन को एक बार फिर से खड़ा करने की तैयारी में है?

चुनाव आते ही गठबंधन बनाने वाली पार्टी है कांग्रेस?

कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष के बयान के बाद अब ये माना जा रहा है कि बिहार में आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन टूट चुका है. जानकार मानते हैं ऐसे बयानों का असली मतलब तो यही है. इस बयान ने एक और बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. क्या कांग्रेस अब सिर्फ चुनाव आते ही गठबंधन बनाती और बाद में दूरी बनाने वाली पार्टी बन चुकी है?

उलझा रिश्‍ता : राबड़ी सरकार से 2025 तक

बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का रिश्‍ता हमेशा से उलझा- उलझा ही देखने को मिला है. साल 2000 में कांग्रेस ने राबड़ी देवी सरकार को सहारा दिया. 2009 और 2010 में भी कांग्रेस अनमने ढंग से ही सही, आरजेडी के साथ रही. लेकिन सच यह है कि दोनों पार्टियों का कॉर्डिनेशन वाला परफॉरमेंस कभी भी अच्‍छा नहीं रहा. बीते 20 सालों में तो जरा भी नहीं. इस दौरान कांग्रेस को कभी भी सम्मानजनक जीत नहीं मिली. साल 2015 में गठबंधन जीता, मगर उस दौरान महागठबंधन के साथ सीएम नीतीश कुमार थे.

2025 की हार और कांग्रेस की दूरी

इस बार एनडीए ने महागठबंधन को जबरदस्‍त पटखनी दी है. महागठबंधन चारों खाने चित नजर आ रहा है. ऐसे समय में कांग्रेस ने आरजेडी सहित महागठबंधन को स्‍पष्‍ट संदेश दे दिया है. ‘आगे की राह अलग है ये केवल चुनावी गठबंधन था!’ इस दौरान पटना में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की बैठक हुई. फोकस में रहा चुनाव में खराब प्रदर्शन, समीक्षा और संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करना. लेकिन इस बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष राजेश राम ने स्‍पष्‍ट कर दिया. ‘कांग्रेस अपनी राह खुद बनाएगी.’

क्‍या केवल औपचारिक ऐलान होना बाकी?

माना जा रहा है कि बिहार में अब महागठबंधन खत्‍म हो चुका है. बस, अब केवल औपचारिका ऐलान होना बाकी है. अब देखने वाली बात होगी कि ये औपचारिक ऐलान कांग्रेस की ओर से कब और कैसे होता है! हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष राजेश राम ने ये काम लगभग कर ही दिया है.

रिजल्ट खराब तो सहयोगी कसूरवार!

बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन लंबे समय से खराब ही रहा है. ऐसा नहीं है कि ऐसा प्रदर्शन केवल बिहार में है. यही पैटर्न लगभग हर राज्य, हर चुनाव, हर गठबंधन के साथ लगभग एक जैसा ही दिखता है. लिहाजा कांग्रेस के साथ गठबंधन- को ‘हार का गठबंधन’ के रूप में देखा जाने लगा है. आरजेडी के भीतर इस बात की चर्चा चुनाव से पहले भी थी। बिना कांग्रेस के चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर चल रही थी. पार्टी के हितैषी नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं थे. लेकिन अंत समय में अशोक गहलोत की इंट्री के साथ गठबंधन के दल एक मंच पर आ आए.

तेजस्‍वी की सिर से मुख्‍यमंत्री का ताज छिना

बिहार में स्‍ट्राक रेट इतना खराब रहा है कि पिछली बार तो 2020 के चुनाव में हार का जिम्‍मेदार कांग्रेस को ही माना गया. तेजस्‍वी यादव के माथे से सीएम का ताज महज कुछ सीटों से दूर रह गया. जिसमें सबसे बड़ी भूमिका कांग्रेस की रही. 2020 के चुनाव में आरजेडी एक नंबर की पार्टी थी. उसे 75 सीटें मिली थी लेकिन 70 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस 51 सीटें हार गई. नतीजा राजद सुप्रीमो लालू यादव का अपने बेटे को मुख्‍यमंत्री देखने का सपना टूट गया. 

सबसे बड़ा सवाल: जनता का भरोसा कैसे जीतेगी कांग्रेस?

देश की सबसे पुरानी पार्टी की स्थिति आज इतनी खराब हो गई है कि उसकी यह छवि बनती जा रही है कि “कांग्रेस सत्ता के लिए गठबंधन करती है, नतीजे खराब हुए तो साथियों पर उंगली उठाती है.” ऐसे में यह संशय लगातार बढ़ रहा है कि क्या कांग्रेस कभी स्थायी गठबंधन की राजनीति कर पाएगी?
या फिर वह सिर्फ “चुनावी मौसम की पार्टी” बनकर रह जाएगी?

अन्य राज्यों में भी ‘मौसमी गठबंधन’ की कहानी

उत्तर प्रदेश:
2017 में सपा-कांग्रेस गठबंधन, नतीजा बुरी हार
2022 में कांग्रेस अकेली उतरी, फिर हार.
2024 में इंडिया गठबंधन बना तो क्रेडिट की लड़ाई भी शुरू हो गई.
मध्य प्रदेश 2023:
कमलनाथ ने गठबंधन से इनकार किया.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव का नाम बिगाड़कर बयान तक दे डाला.
हरियाणा 2024:
कांग्रेस को लगा सत्ता में आ रही है, AAP से गठबंधन नहीं किया.
दांव उल्टा पड़ा, हार गई.
पश्चिम बंगाल:
चुनाव से ठीक पहले लेफ्ट के साथ गठबंधन.
हार के बाद गठबंधन हवा हो गया.
महाराष्ट्र:
शिवसेना-एनसीपी के साथ प्रयोग.
लोकसभा में सफलता, पर विधानसभा में खींचतान और करारी हार.
आज रिश्ते क्या हैं, सभी देख रहे हैं.

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