Bihar Political Crisis: भाजपा-जदयू गठबंधन में क्यों पड़ी फूट, कई बार आए उतार-चढ़ाव पर इस बार टूटा बंधन

बिहार की राजनीति में मंगलवार को बड़ा उलट फेर हुआ हुआ. जदयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया साथ ही नीतीश कुमार ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के साथ मिलकर नयी सरकार बनाएंगे. भाजपा और जदयू में दरार पड़ने की शुरुआत कैसे हुई पढे इस खबर में...

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2022 4:45 PM

भाजपा और जदयू की गठबंधन सरकार के रिश्तों में अविश्वास की शुरुआत 2020 विधानसभा चुनाव में चिराग मॉडल के साथ ही हो गयी थी. इसके बाद लगातार कई राष्ट्रीय मुद्दों पर मतभेद, विधानसभा के अंदर विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की नोक-झोंक, केंद्रीय मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी सहित कई ऐसे मुद्दे रहे, जिन्होंने दोनों दलों के बीच संबंधों को कमजोर किया. अंत में आरसीपी सिंह पर भाजपा से मिलकर जदयू को तोड़ने की साजिश ने दोनों दलों के संबंधों में आखिरी कील ठोंक दी. घाव इतने गहरे हुए कि भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह का फोन कॉल भी संबंधों को टूटने से नहीं रोक सका.

नीतीश के कद को कम करने की साजिश

जदयू का आरोप है कि भाजपा ने कई बार नीतीश कुमार के कद को कम करने की साजिश रची. पहली साजिश 2020 विधानसभा चुनाव में की गयी, जब ‘चिराग मॉडल’ के सहारे उनको सीटों का नुकसान पहुंचाया गया. इसके बाद आरसीपी सिंह के बहाने पार्टी को तोड़ने की साजिश की गयी. इन घटनाओं ने उनके रिश्तों में अविश्वास पैदा किया.

Also Read: Bihar Political Crisis : मंत्री शाहनवाज ने कहा- मुझे नहीं मालूम क्या हो रहा, दिल्ली में कर रहे थे उद्घाटन
विधानसभा अध्यक्ष के साथ नोक-झोंक

लखीसराय के एक मुद्दे को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच हुई नोक-झोंक भी दोनों पार्टियों के रिश्तों के बीच टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. इस घटना लेकर मुख्यमंत्री सदन के अंदर काफी आक्रोशित दिखे थे. इस विवाद का विस्तार तब हुआ जब विधानसभा शताब्दी भवन समारोह में लगे बैनर-पोस्टरों से मुख्यमंत्री का नाम और तस्वीर गायब रही. समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे.

छोटे दलों के खत्म होने की राष्ट्रीय अध्यक्ष की भविष्यवाणी

विवाद का हालिया कारण भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का पटना में दिया गया वह बयान भी बताया जाता है, जिसमें उन्होंने भविष्य में क्षेत्रीय दलों के समाप्त होने की भविष्यवाणी की थी. इस बयान पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने भी आपत्ति जतायी है.

Also Read: Bihar Political Crisis LIVE : नीतीश कुमार ने दिया इस्तीफा, राबड़ी आवास पर नए गठबंधन की मीटिंग शुरू
विवादित मुद्दों पर स्टैंड न लेने की कशमकश

भाजपा और जदयू ने गठबंधन को लेकर अघोषित शर्त थी कि गठबंधन के दल विवादित मुद्दों को प्रश्रय नहीं देंगे. इसके चलते कृषि बिल, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और अग्निवीर सहित कई मुद्दों पर जदयू चाह कर भी खामोश रही. जाति आधारित गणना को लेकर भी दोनों पार्टियों में मतभेद दिखे. खास कर अग्निवीर की घोषणा के बाद बिहार में हुए हंगामे पर भाजपा और जदयू के बड़े नेताओं की जुबानी जंग ने दोनों पार्टियों के बीच खराब होते रिश्ते को दिखाया.

केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू को उचित भागीदारी नहीं मिलना

केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू को उचित भागीदारी नहीं मिलना भी दोनों दलों के संंबंधों में आयी खटास का एक कारण रहा. जदयू शुरू से ही संख्या के अनुपात में केंद्रीय मंत्रिमंडल में भागीदारी मांग रही थी, जबकि भाजपा एक कैबिनेट मंत्री से अधिक देने को तैयार नहीं थी. जदयू के स्टैंड को दरकिनार कर आरसीसी अकेले केंद्रीय मंत्री बने, जिसके चलते जदयू के अंदर नाराजगी कायम रही.

भाजपा की आक्रामक राजनीति से जदयू में थी बेचैनी

गठबंधन सरकार में होने के बावजूद भाजपा की आक्रामक राजनीति से भी जदयू नेताओं में बेचैनी रही. आतंकवाद और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भाजपा के नेता काफी मुखर रहे. हाल के दिनों में पीएफआइ सदस्यों पर कार्रवाई को लेकर जहां भाजपा आक्रामक दिखी, वहीं जदयू के नेता चुप नजर आये.

Next Article

Exit mobile version