Bihar News: अब मजदूरों को मिलेगा हक की मजदूरी, 2.90 करोड़ कामगारों का हुआ वर्गीकरण
Bihar News: पसीने की कीमत अब हिसाब से तय होगी. यह जुमला अब हकीकत में बदलने जा रहा है. बिहार में पहली बार श्रम संसाधन विभाग ने बड़ा कदम उठाते हुए मजदूरों और कामगारों का कौशल के आधार पर वर्गीकरण कर दिया है. राज्य की 2.90 करोड़ से ज्यादा मज़दूर आबादी के लिए यह फैसला उम्मीद की किरण लेकर आया है.
Bihar News: पटना की गलियों से लेकर खेत-खलिहानों तक, मजदूरों की सबसे बड़ी समस्या रही है— मेहनत चाहे कितनी भी हो, मजदूरी हमेशा अधूरी मिलती रही. लेकिन अब यह कहानी बदलने जा रही है.
श्रम संसाधन विभाग ने पहली बार राज्यभर के 2.90 करोड़ से ज्यादा कामगारों और श्रमिकों को उनके कौशल के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में बांटने का फैसला किया है. इसका सीधा असर यह होगा कि अब मजदूर अपने काम और काबिलियत के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी पाने के हकदार होंगे.
न्यूनतम मजदूरी पर लगेगी मुहर
अब तक स्थिति यह थी कि मजदूर चाहे जितनी मेहनत करें, उन्हें कितना वेतन मिलेगा इसका कोई स्पष्ट पैमाना नहीं था. संवेदक और ठेकेदार अपनी सुविधानुसार मजदूरी तय कर देते थे. मजदूरों को मजबूरी में वही मानना पड़ता था. लेकिन नई अधिसूचना के बाद खेल का नियम बदल गया है.
श्रम विभाग ने अधिसूचना जारी कर कामों को चार श्रेणियों में बांट दिया है—अकुशल, अर्धकुशल, कुशल और अत्यधिक कुशल. इसके तहत अकुशल कार्यों की 9 श्रेणियां, अर्धकुशल कार्यों की 40, कुशल कार्यों की 50 और अत्यधिक कुशल कार्यों की 21 श्रेणियां निर्धारित की गई हैं. अब हर श्रमिक अपने कौशल स्तर के अनुसार न्यूनतम मजदूरी पाने का हकदार होगा.
शोषण पर लगेगा ब्रेक
राज्यभर में बार-बार यह शिकायत उठती रही है कि मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार वेतन नहीं दिया जाता. काम चाहे कुशलता मांगता हो या अनुभव, मजदूरी अकुशल स्तर की थमा दी जाती. मजदूर विरोध करने की स्थिति में नहीं रहते और मजबूरी में जैसे-तैसे जीते रहे.
अधिसूचना से यह व्यवस्था बदल जाएगी. अब मजदूर यह दावा कर सकेंगे कि उन्हें अमुक श्रेणी में रखा जाए और उसी हिसाब से न्यूनतम मजदूरी मिले. इसका सीधा असर होगा कि मानसिक, आर्थिक और शारीरिक शोषण की स्थिति में कमी आएगी.
खेतों में पसीना बहाने वालों की भी बदली तस्वीर
गांव-देहात में खेतों में दिन-रात काम करने वाले मजदूरों की भी न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई गई है. श्रम विभाग ने उनकी मज़दूरी तीन रुपये से लेकर 126 रुपये तक बढ़ा दी है. इसका लाभ हलवाहा, चौकीदार, सिपाही, पंप ऑपरेटर, ट्रैक्टर खलासी, पंप खलासी और खेतों में काम करने वालों को मिलेगा.
नई दरें एक अक्तूबर से लागू होंगी. उदाहरण के लिए, पहले खेतिहर मजदूर को प्रतिदिन 402 रुपये मिलते थे, अब यह बढ़कर 405 रुपये हो गया है. वहीं मासिक मजदूरी भी ₹14,549 से बढ़कर ₹14,675 तय हुई है. इसी तरह अन्य श्रेणियों में भी सुधार किया गया है.
अब न्याय मांग सकेंगे मजदूर
अभी तक मजदूरों के सामने सबसे बड़ी समस्या यही थी कि वर्गीकरण न होने के कारण वे यह साबित ही नहीं कर पाते थे कि वे कुशल या अर्धकुशल श्रेणी में आते हैं. ऐसे में न्यूनतम मजदूरी के अधिकार पर उनका दावा कमजोर पड़ जाता था.
लेकिन अब स्थिति अलग होगी. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वर्गीकरण का मूल उद्देश्य मजदूरों को उनका जायज अधिकार दिलाना है. कामगार अगर चाहे तो अब अपने वेतन को लेकर दावा पेश कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उन्हें उनके स्तर के हिसाब से मजदूरी मिले.
ठेकेदारों पर भी आएगी जवाबदेही
नई व्यवस्था के बाद ठेकेदारों और संस्थानों पर दबाव बढ़ेगा. अब वे मजदूरों को मनमर्जी की मजदूरी नहीं दे पाएंगे. अधिसूचना का हवाला देकर मजदूर सवाल उठा सकेंगे. इससे मजदूरों और संवेदकों के बीच बार-बार पैदा होने वाला विवाद भी कम होगा.
विभिन्न फोरम पर लंबे समय से यह मांग उठाई जा रही थी कि मजदूरों का वर्गीकरण किया जाए. चाहे वह भवन निर्माण मजदूर हों या खेतिहर, चाहे ट्रैक्टर चालक हों या पंप ऑपरेटर—हर जगह यही आवाज गूंज रही थी कि कौशल और अनुभव का सम्मान हो. आखिरकार सरकार ने इस पर अमल कर दिया है.
