Bihar News: बिहार में 20 साल बाद भ्रष्टाचार बन रहा फिर चुनावी मुद्दा, राजनीति के केंद्र में आये प्रशांत किशोर
Bihar News: नीतीश कैबिनेट के तीन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. चारा घोटाले के बाद बिहार में पहली बार भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा बनता जा रहा हैं. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानेवाले नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा, इसपर बहुत कुछ निर्भर करता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पहली बार अपने दल के करीबी मंत्री से जवाब मांगने का दबाव बढ़ रहा है.
Bihar News: पटना. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर 2005 में लालू-राबड़ी सरकार को सत्ता से बेदखल करनेवाले नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट को अब तक बेदाग रखा. पिछले 20 वर्षों में नीतीश कुमार ने कभी भ्रष्टाचार के मुद्दे को कभी चुनावी मुद्दा नहीं बनने दिया. 20 साल बाद बिहार में यह मुद्दा एक बार फिर चुनावी बहस में लौट आया है. एक बार फिर यह मुद्दा चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है. जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को चुनावी बहस का केंद्र बना दिया है. सबकी नजर एक अणे मार्ग पर है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानेवाले नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा, इसपर बहुत कुछ निर्भर करता है, लेकिन राजनीतिक गलियारे में इस मुद्दे पर बड़े-बड़े नाम परेशान और बेचैन नजर आ रहे हैं.
इन मंत्रियों के खिलाफ लगे हैं गंभीर आरोप
प्रशांत किशोर ने अब तक बिहार के कई बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये हैं. इनमें बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और अशोक चौधरी के नाम प्रमुख है. प्रशांत किशोर ने एनडीए सरकार के पूर्वमंत्री भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाये हैं. प्रशांत किशोर के लगातार हो रहे प्रेस कॉन्फेंस ने पूरी सरकार को असहज कर दिया है. विपक्ष खासकर राजद हमलावर है. राजद का कहना है कि इन आरोपों के बाद नीतीश कुमार को कायदे से अपने तीनों मंत्रियों से बिंदूवार जवाब लेना चाहिए. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार और मोदी सरकार के पूर्व मंत्री आरके सिंह ने भी प्रशांत किशोर के आरोपों पर जांच की मांग की है. यह बात सत्ता पक्ष के लोग भी स्वीकार करने लगे हैं कि पहली बार चारा घोटाले के बाद बिहार में भ्रष्टाचार मुद्दा बनता जा रहा हैं.
जदयू के लिए अग्निपरीक्षा का समय
सत्ता पक्ष के नेता कहते हैं, “अशोक चौधरी ने सौ करोड़ का मानहानि का नोटिस जरूर भेजा है, लेकिन सिलसिलेवार तरीके से आरोपों का जवाब नहीं दिया है. इससे एक भ्रांति फ़ैल रही हैं. लोगों को लग रहा है कि शायद आरोपों में दम हैं और नेताओं को जवाब मिल नहीं रहा है. यह डर भी सता रहा है कि अगर वो कुछ बोलेंगे तो प्रशांत किशोर पार्ट 2 के तहत और खुलासा कर सकते हैं.” जदयू विधान पार्षद और मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ मंत्री अशोक चौधरी से इन गंभीर आरोपों पर खुलकर जवाब मांगा. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि अशोक चौधरी को इस पूरे मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. नीरज कुमार ने कहा, “इससे पहले पार्टी के किसी भी मंत्री पर इतने गंभीर आरोप नहीं लगे. यह सामान्य नहीं है.”
धीरे-धीरे मुद्दे का दिखने लगा असर
इस बार के चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी सरकार में मंत्री रहे पूर्व आईएएस आरके सिंह ने भी बागी तेवर अपना लिया है. आरके सिंह ने कहा है कि यदि राघवेंद्र सिंह, अमरेंद्र सिंह, मीना सिंह, राधाचरण शाह और श्रीभगवान सिंह को NDA टिकट देता है तो वे उनके खिलाफ काम करेंगे. इन तमाम नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और अधिकतर जेल जा चुके हैं. जदयू के सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी इन आरोपों को गंभीर बताया है और नीतीश कुमार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ा दिया है. हालांकि राजद जैसा विपक्ष दल अभी इस मामले में बहुत आक्रामक नहीं हुआ है. भ्रष्टाचार का मुद्दा बेशक अभी चिंगारी की तरह है, लेकिन चुनावी समर में इस मुद्दे के आग बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
