Bihar Land Survey: पटना में भूमि सर्वे और दाखिल-खारिज में सुस्ती पर DM सख्त, CO पर जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई

Bihar Land Survey: पटना में भूमि सर्वे और दाखिल-खारिज मामलों में लगातार देरी को लेकर DM चंद्रशेखर सिंह ने कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने CO को 75 दिनों के अंदर लंबित मामलों का निपटारा करने का अल्टीमेटम दिया है, वरना कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

By Anshuman Parashar | May 19, 2025 8:09 AM

Bihar Land Survey: बिहार सरकार 2026 तक राज्य में भूमि सर्वे का काम पूरा करने की तैयारी में जुटी है, लेकिन पटना जिले में दाखिल-खारिज के मामलों में भारी लापरवाही ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. राजस्व विभाग ने साफ कर दिया है कि अब अंचलाधिकारियों (CO) की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. जिन मामलों का निपटारा 75 दिनों के भीतर नहीं हुआ है, उनपर कार्रवाई की तैयारी शुरू हो चुकी है.

14 हजार से ज्यादा लंबित, 1700 मामले तय सीमा से बाहर

जिले में दाखिल-खारिज के कुल 14,000 से अधिक मामले पेंडिंग हैं. इनमें से करीब 1700 मामले ऐसे हैं जो 75 दिनों की तय सीमा पार कर चुके हैं. पटना के संपतचक अंचल में सबसे अधिक 636 मामले लटके हैं, उसके बाद बिहटा में 499, दीदारगंज में 156, धनरूआ में 105 और नौबतपुर में 82 केस लंबित हैं.

समीक्षा बैठक में सख्त चेतावनी, CO को मिला आखिरी मौका

हाल ही में आयोजित राजस्व समीक्षा बैठक में इन पांचों अंचलों के अंचलाधिकारियों को स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि वे इस माह के अंत तक लंबित सभी मामलों का निपटारा सुनिश्चित करें. जिला प्रशासन ने कहा है कि यदि निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो संबंधित सीओ के विरुद्ध विभागीय अनुशंसा की जाएगी.

दाखिल-खारिज ही नहीं, मापी और अतिक्रमण मामलों का भी जल्द निपटारा हो

पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने दाखिल-खारिज मामलों के साथ-साथ भूमि मापी, अतिक्रमण और परिमार्जन प्लस जैसे मुद्दों के शीघ्र समाधान के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जनता को राहत देना प्रशासन की प्राथमिकता है और इसमें लापरवाही किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है.

जनता बेहाल, दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर

दाखिल-खारिज जैसे बुनियादी प्रक्रिया के लिए आम नागरिक महीनों से अंचल कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं. तय नियमों के अनुसार, दाखिल-खारिज का सामान्य निपटारा 35 दिनों और विवाद की स्थिति में अधिकतम 75 दिनों में किया जाना है. बावजूद इसके, कई मामलों में छह महीने से भी अधिक का इंतजार देखा जा रहा है.