Bihar land Survey: CO और RO को भारी पड़ी गलतबयानी, मंत्री जी ने किया ऑन स्पॉट सस्पेंड

Bihar land Survey: दोनों अधिकारियों पर भूमिहीनों को वास भूमि देने में लापरवाही और समीक्षा बैठक में गलत जानकारी देने का आरोप है. बैठक के बाद मंत्री संजय सरावगी ने तुरंत दोनों अफसरों को निलंबित कर दिया.

By Ashish Jha | May 15, 2025 11:16 AM

Bihar land Survey: पटना. बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में गलत जानकारी देने और गरीबों के हक को कुचलने का खेल बदस्तूर जारी है. ताजा मामला बगहा से है. बगहा-दो के अंचल अधिकारी निखिल और जगदीशपुर के राजस्व अधिकारी नागेंद्र कुमार को गलतबयानी के लिए विभाग ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. इन दोनों अधिकारियों पर भूमिहीनों को वास भूमि देने में लापरवाही और समीक्षा बैठक में गलत जानकारी देने का आरोप है. बैठक के बाद मंत्री संजय सरावगी ने तुरंत दोनों अफसरों को निलंबित कर दिया.

ऐसे खुला ‘गलतबयानी’ का राज

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने पिछले दिनों समीक्षा बैठक बुलाई थी. इस बैठक में भूमिहीनों को उनका हक दिलाने संबंधी मुद्दे पर निखिल और नागेंद्र ने जो रिपोर्ट पेश की उससे मंत्री का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया. दोनों ने गलत आंकड़े पेश किए. मंत्री ने जैसे ही उनका झूठ पकड़ा वो एक के बाद एक बहाने बनाते रहे. बगहा-दो में कुल 1912 सर्वेक्षित परिवारों को वास भूमि के लिए सुयोग्य माना गया था, लेकिन अंचल अधिकारी निखिल ने 1709 परिवारों को एक झटके में अयोग्य घोषित कर दिया. और तो और कुछ अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को भी दरकिनार कर दिया गया. राजस्व कर्मचारी ने जो रिपोर्ट दी, उसे सत्यापित करने की जहमत तक नहीं उठाई गई. उधर, भागलपुर के जगदीशपुर में राजस्व अधिकारी नागेंद्र कुमार ने भी 764 सुयोग्य परिवारों में से 689 को अयोग्य ठहरा दिया गया.

मंत्री जी का गुस्सा, अफसरों में हड़कंप

विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने भी इस मामले में सख्ती दिखाते हुए सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया कि अयोग्य ठहराए गए परिवारों की जांच वरीय अधिकारियों से तुरंत कराई जाए. साथ ही, इन परिवारों को जल्द से जल्द वास भूमि आवंटित करने का फरमान जारी किया. अब विभाग में हड़कंप मचा है. जो अफसर कल तक फाइलों पर कुंडली मारकर बैठे थे, वो अब आनन-फानन में गलतियों को सुधारने की जुगत में लग गए हैं. कोई फाइलें खंगाल रहा है, तो कोई पुराने सर्वे को ‘दुरुस्त’ करने की कोशिश में जुटा है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये हड़बड़ी उन गरीबों का हक लौटा पाएगी, जिन्हें बरसों से सिर्फ कागजों पर ‘अयोग्य’ बनाकर ठगा गया.

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