बिहार के मशहूर होम्योपैथ डॉक्टर बी भट्टाचार्य का निधन, 97 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

Bihar News: बिहार के मशहूर होम्योपैथ डॉक्टर बी भट्टाचार्य का निधन हो गया है. रविवार की सुबह सात बजकर 30 मिनट पर उन्होंने पटेल नगर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. डॉक्टर बी भट्टाचार्य के निधन पर सीएम नीतीश कुमार ने शोक संवेदना व्यक्त की है. सीएम ने इसे चिकित्सा जगत में अपूरणीय क्षति बताया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 8, 2022 11:47 AM

बिहार की राजधानी पटना से बड़ी खबर है. बिहार के मशहूर होम्योपैथ डॉक्टर बी भट्टाचार्य का निधन हो गया है. रविवार की सुबह सात बजकर 30 मिनट पर उन्होंने पटेल नगर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. डॉक्टर बी भट्टाचार्य का निधन 97 साल की उम्र में हुआ है. वे बिहार के मशहूर चिकित्सक थे. उन्होंने ने गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए विख्यात थे. डॉक्टर बी भट्टाचार्य के निधन पर सीएम नीतीश कुमार ने शोक संवेदना व्यक्त की है. सीएम ने इसे चिकित्सा जगत में अपूरणीय क्षति बताया है.

सीएम नीतीश कुमार ने शोक संवेदना व्यक्त की

सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि डॉ बी भट्टाचार्य होम्योपैथी के प्रसिद्ध डॉक्टर थे. वो सरल स्वभाव के थे. उनका मरीजों के साथ आत्मीय संबंध रहता था. उन्हें होम्योपैथ चिकित्सा का चरक भी माना जाता था. डॉ बी भट्टाचार्य के निधन से चिकित्सा जगत को अपूरणीय क्षति हुई है. सीएम ने दुख की इस घड़ी में डॉक्टर भट्टाचार्य के परिजनों को धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है.

1950 के दशक में बिना फीस के चिकित्सीय सेवा की शुरुआत की

डॉक्टर बी भट्टाचार्य ने पटना में 1950 के दशक में बिना फीस के चिकित्सीय सेवा की शुरुआत राजापुर पुल के पास से किया था. उन्होंने पटना के कदमकुआं इलाके में मात्र 2 रुपये की फीस पर लोगों का इलाज करते रहे. सुबह 5 बजे क्लिनिक में बैठते और रात 11 बजे तक मरीज देखते रहते थे. सन 1972 में वे पटना के पटेल नगर आये, और तब से लंबे समय तक डॉ बी भट्टाचार्या के नाम से पटेल नगर का इलाका जाना जाने लगा. बिहार ही नहीं, दूसरे सूदूरवर्ती इलाकों और दूसरे राज्यों से भी लोग कई असाध्य माने जाने वाले रोगों के इलाज के लिए उनके पास आते थे.

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अपॉइंटमेंट की लाइन लगती थी लंबी

यह सिलसिला 2021 तक चलता रहा. अपॉइंटमेंट की लाइन और कतार इतनी बड़ी होती थी कि कहा जाता है रात 2 बजे से ही मरीज या परिजन अपने नाम की ईंट लगाकर अपने समय का इंतजार करते रहते थे. उनके साथ काफी समय तक सहयोगी रहे उनके शिष्य और वर्तमान में होम्योपैथी के बड़े नाम डॉ आर सी पाल बताते हैं कि आज उन्होंने अपने पिता तुल्य गुरु को खो दिया है. सिर्फ वो नहीं, डॉ बाबू ने कम से कम 20 से 25 लोगों को सफल होम्योपैथी की शिक्षा दी, निःस्वार्थ सफल डॉक्टर बनाया. ऐसे लोग प्रभु प्रदत्त होते हैं.

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