Bihar Elections 2025: हर बूथ पर डिजिटल निगरानी, दलों ने तैयार किया हाईटेक वार रूम नेटवर्क

Bihar Elections 2025: बिहार की चुनावी जंग अब सिर्फ सड़कों और सभाओं तक सीमित नहीं रही. 2025 का यह चुनाव सोशल मीडिया, डेटा मॉनिटरिंग और डिजिटल वार रूम की रणनीतियों से लैस एक ‘हाइटेक’ मुकाबला बन चुका है जहां हर क्लिक, हर पोस्ट और हर बूथ पर नजर रखी जा रही है.

By Pratyush Prashant | November 6, 2025 8:56 AM

Bihar Elections 2025: पहले चरण की वोटिंग के साथ ही बिहार का चुनावी संग्राम अपने डिजिटल चरम पर पहुंच गया है. हर राजनीतिक दल ने अपने-अपने वार रूम को पूरी तरह एक्टिव कर दिया है. जदयू से लेकर भाजपा, राजद से लेकर कांग्रेस और वाम दलों तक, सभी ने सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स, डिजिटल एनालिस्ट्स और ग्राउंड टीमों को बूथ स्तर तक तैनात कर दिया है.

मतदान के दिन गुरुवार को 45,341 बूथों पर सिर्फ मतदाताओं की हलचल ही नहीं, बल्कि हर पार्टी की स्क्रीन पर ‘रियल टाइम अपडेट’ चल रही होगी. यह चुनाव अब नारे और नाराजगी से आगे बढ़कर ‘निगरानी’ और ‘नेटवर्किंग’ की जंग बन चुका है.

जदयू का डिजिटल नेटवर्क: 350 एक्सपर्ट्स की हाइटेक टीम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने इस बार अपने चुनावी वार रूम को तकनीक से लैस कर दिया है. करीब 350 सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स को पूरे राज्य में 45,341 बूथों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गई है.
वार रूम में एक साथ दर्जनों मोबाइल,दर्जनों कंप्यूटर और बड़े टीवी स्क्रीन लगाए गए हैं, जिन पर हर जिले की लाइव रिपोर्ट आ रही है. पार्टी के बूथ एजेंट्स और कार्यकर्ता सीधे इस सिस्टम से जुड़े हैं. किसी बूथ पर गड़बड़ी या तकनीकी दिक्कत की सूचना मिलती है तो वह तुरंत हाइकमान तक पहुंचाई जाती है,जहां से कार्रवाई का निर्देश जारी होता है. दरअसल, जदयू का यह ‘डिजिटल कंट्रोल रूम’ अब पार्टी की आंख और कान दोनों बन गया है.

राजद का मिशन मॉनिटरिंग: सुबह चार बजे से एक्टिव वार रूम

विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी अपनी तैयारी को एक कदम आगे बढ़ाया है. पार्टी ने दो बड़े वार रूम तैयार किए हैं. एक प्रदेश मुख्यालय में और दूसरा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आवास पर. सबसे दिलचस्प बात यह है कि राजद का वार रूम सुबह चार बजे से सक्रिय हो गया था. यहां से मतदान की शुरुआत से लेकर ईवीएम जमा होने तक हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी. प्रत्येक जिले और विधानसभा क्षेत्र के अफसरों के मोबाइल नंबर पार्टी के पास हैं. अगर कहीं भी कोई गड़बड़ी, देरी या दिक्कत होती है तो सूचना सीधे निर्वाचन आयोग को भेजी जाएगी.

तेजस्वी यादव खुद अपने सलाहकारों राज्यसभा सांसद संजय यादव और प्रो. मनोज झा के साथ वार रूम में रहकर स्थिति पर नजर रखेंगे. राजद का यह डिजिटल कमांड सेंटर न सिर्फ तकनीकी, बल्कि राजनीतिक रूप से भी सबसे ‘सक्रिय’ वार रूम बन गया है.

भाजपा की तैयारियां: हर बूथ पर ‘डेटा सैनिक’

भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनाव प्रबंधन विभाग को मतदान दिवस के लिए पूरी तरह मुस्तैद कर दिया है. पार्टी के वार रूम से बूथवार निगरानी की जा रही है. हर जिले में डेटा टीम बनाई गई है जो मतदाताओं की संख्या, बूथ पर मौजूद कार्यकर्ताओं की स्थिति और मतदान प्रतिशत का लगातार अपडेट भेज रही है.
भाजपा का फोकस उन बूथों पर ज्यादा है जहां पिछली बार कम मतदान हुआ था. वहां विशेष निगरानी और ग्राउंड रिपोर्टिंग की व्यवस्था की गई है ताकि वोट प्रतिशत में इजाफा किया जा सके.

वीआईपी और वाम दलों की रणनीति: छोटे दल भी बने डिजिटल

मुख्यमंत्री मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) ने भी इस बार चुनाव को टेक्नोलॉजी से जोड़ दिया है. पहले चरण की छह सीटों पर नजर रखने के लिए पार्टी ने एक वार रूम तैयार किया है जिसमें 100 से अधिक कार्यकर्ता जुड़े हैं.
इनका काम है वोटरों को बूथ तक पहुंचने में मदद करना और महिला वोटरों के लिए विशेष सहायता सुनिश्चित करना. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को एक-एक व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया है, जिससे रियल टाइम संवाद बना रहे.

वाम दलों ने भी आधुनिकता की राह पकड़ी है. माकपा, भाकपा और भाकपा-माले तीनों पार्टियों ने 22 सीटों पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है. राज्य कार्यालय में बने वार रूम में वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है कि बूथ स्तर से मिली शिकायतों को तुरंत चुनाव आयोग तक पहुंचाया जाए. खास बात यह है कि वामदलों ने अपने वार रूम में युवा कार्यकर्ताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी है, ताकि डिजिटल संवाद तेज़ और भरोसेमंद रहे.

अबकी बार… डिजिटल चुनाव

पहली बार बिहार का चुनाव इस पैमाने पर ‘हाइटेक’ होता दिख रहा है. जहां एक ओर वोटरों के कदम मतदान केंद्रों की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों की निगाहें मोबाइल स्क्रीन पर जमी हैं.
वार रूम अब सिर्फ पार्टी दफ्तर का हिस्सा नहीं, बल्कि एक ‘नर्व सेंटर’ बन चुका है, जहां से चुनाव की धड़कनें मापी जा रही हैं.
बूथों पर मतदान कर्मी गंगा पार कर लोकतंत्र की डगर तय कर रहे हैं और शहरों में डिजिटल एक्सपर्ट क्लिक दर क्लिक उस डगर की निगरानी कर रहे हैं. यह है बिहार के चुनाव का नया चेहरा जो परंपरा और तकनीक दोनों को साथ लेकर चल रहा है.

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