बिहार में सरकार के आदेश पर निजी डॉक्टर कर रहे कोरोना मरीजों का इलाज, लेकिन नहीं मिल रहा सरकारी डॉक्टरों वाला विशेष मुआवजा

बिहार में कोरोना के दूसरे लहर में बिगड़ती हालात को देखते हुए सरकार ने प्रदेश के निजी डॉक्टरों को भी कोविड मरीजों के इलाज की अनुमति दी. कोरोना मरीजों के इलाज के क्रम में सूबे के कई डॉक्टर संक्रमित हुए और संक्रमण की चपेट में आने के कारण बड़ी संख्या में डॉक्टरों की मौत तक हुई. IMA बिहार के आंकड़े के अनुसार, राज्य में शुक्रवार तक बिहार के 95 डॉक्टरों ने संक्रमितों की इलाज के दौरान अपनी जान गंवाई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें 60 फीसदी डॉक्टर निजी क्षेत्र के हैं. लेकिन सरकार ने कोरोना से होने वाली मौत के बाद सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों के मुआवजे में दो मापदंड अपना रखे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2021 7:52 AM

बिहार में कोरोना के दूसरे लहर में बिगड़ती हालात को देखते हुए सरकार ने प्रदेश के निजी डॉक्टरों को भी कोविड मरीजों के इलाज की अनुमति दी. कोरोना मरीजों के इलाज के क्रम में सूबे के कई डॉक्टर संक्रमित हुए और संक्रमण की चपेट में आने के कारण बड़ी संख्या में डॉक्टरों की मौत तक हुई. IMA बिहार के आंकड़े के अनुसार, राज्य में शुक्रवार तक बिहार के 95 डॉक्टरों ने संक्रमितों की इलाज के दौरान अपनी जान गंवाई. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें 60 फीसदी डॉक्टर निजी क्षेत्र के हैं. लेकिन सरकार ने कोरोना से होने वाली मौत के बाद सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों के मुआवजे में दो मापदंड अपना रखे हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में कोरोना संक्रमितों का इलाज करने के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों में 60 फीसदी निजी क्षेत्रों के हैं. सूबे में जब कोरोना के दूसरे लहर ने अपनी दस्तक दी और कोहराम मचाना शुरु किया तो निजी डॉक्टरों को इलाज की सरकारी अनुमति दी गई. लेकिन कोरोना संक्रमित होने के बाद जान गंवाने के बाद परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे में सरकार का दोहरा मापदंड है.

बिहार में सरकारी डॉक्टर अगर कोरोना संक्रमितों का इलाज करने के दौरान संक्रमण की चपेट में पड़ते हैं और उनकी जान चली जाती है तो ऐसे डॉक्टरों के परिजनों को फ्रंट वॉरियर्स के रूप में लड़ाई लड़ने और शहीद होने के कारण 50 लाख रुपये की बीमा राशि मिलने का प्रावधान है. लेकिन प्राइवेट डॉक्टरों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.

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बिहार में बड़ी संख्या में निजी डॉक्टर कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे हुए हैं. वहीं कोरोना पॉजिटिव के इलाज के दौरान संक्रमण की चपेट में आकर जान गंवाने वालों में अधिकतर डॉक्टर भी निजी क्षेत्र से ही हैं लेकिन इनके लिए राहत का प्रावधान ना तो केंद्र सरकार ने सोचा है और ना ही बिहार सरकार ने ऐसा कोई कदम उठाया है. जिसकी नाराजगी और मांग निजी डॉक्टरों और आईएमए बिहार ने भी अब करनी शुरु कर दी है.

प्राइवेट डॉक्टरों की मौत के बाद उनके परिजनों को सामान्य मुआवजे के तरह अभी 4 लाख रुपये ही दिए जाने का प्रावधान है. हाल में ही तमिलनाडू सरकार ने निजी क्षेत्र के डॉक्टरों की कोरोना से मौत होने पर उनके परिजनों को 25 लाख मुआवजा देने की घोषणा की है.

बता दें कि केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण योजना के द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के माध्यम से डॉक्टरों का बीमा भुगतान का प्रावधान किया है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अभी इस भुगतान में भी पीड़ित परिवार को पसीने छूट जाते हैं.

कोरोना संक्रमितों के इलाज के क्रम में संक्रमण की चपेट में आकर जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिजनों को इस राहत राशि लेने के लिए काफी मसक्कत करनी पड़ रही है. जिसके कारण काफी कम डॉक्टरों के परिजन को इसका लाभ अभी तक मिल पाया है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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