Thermal Power Plant: बिहार के चौसा थर्मल पावर की क्षमता होगी दोगुनी, राज्य के इस जिले में लगेगा नया प्लांट
Thermal Power Plant: बिहार में बिजली जरूरतों को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. बक्सर के चौसा थर्मल पावर प्लांट की क्षमता बढ़ाने और औरंगाबाद में नया प्लांट लगाने की तैयारी तेज हो गई है. ये प्रोजेक्ट आने वाले वर्षों में राज्य को स्थायी और पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराएंगे.
Thermal Power Plant: बिहार के बक्सर जिले के चौसा में बन रहे थर्मल पावर प्लांट की क्षमता अब दोगुने से भी ज्यादा होने जा रही है. सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVN) ने इसके लिए 1600 मेगावाट का विस्तार प्रस्ताव केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भेज दिया है. अभी प्लांट का काम चल रहा है, लेकिन बढ़ती बिजली मांग को देखते हुए सरकार ने क्षमता विस्तार की दिशा में तेजी दिखाई है. अनुमान है कि आने वाले पांच वर्षों में बिहार में बिजली की खपत 1200 मेगावाट से अधिक बढ़ जाएगी. उद्योग लगाने पर जोर देने वाली नई सरकार के लिए लगातार बिजली उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती है, इसलिए उत्पादन क्षमता बढ़ाना जरूरी माना जा रहा है.
चौसा में दो अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट लगाई जाएंगी
अधिकारियों के मुताबिक चौसा प्लांट के स्टेज-2 में 800-800 मेगावाट की दो अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट लगाई जाएंगी. इस तकनीक में कम ईंधन खर्च होता है और बिजली उत्पादन ज्यादा मिलता है. खास बात यह है कि इन इकाइयों से बनने वाली 90% बिजली बिहार को मिलेगी. प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही अगले वित्तीय वर्ष में इन इकाइयों का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा और 4-5 वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है.
क्या होगा फायदा?
इस विस्तार से राज्य को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि थर्मल बिजली की स्थायी सप्लाई सुनिश्चित होगी. उद्योग लगाने की योजनाओं को मजबूती मिलेगी, क्योंकि निवेशक स्थिर बिजली को प्राथमिक शर्त मानते हैं. बिजली की बढ़ती मांग को भी आसानी से पूरा किया जा सकेगा. दूसरे राज्यों से बिजली खरीदने पर निर्भरता कम होगी, जिससे राज्य का खर्च घटेगा. अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक से पर्यावरणीय प्रभाव भी कम पड़ता है और उत्पादन अधिक मिलता है. जिलेवार ऊर्जा ढांचा मजबूत होगा और ग्रिड की स्थिरता बेहतर होगी.
औरंगाबाद में नया थर्मल प्लांट
इसी बीच औरंगाबाद जिले के नवीनगर में भी एक नया थर्मल पावर प्लांट लगाने की तैयारी चल रही है. एनटीपीसी और रेलवे मिलकर यह प्लांट बनाएंगे. मौजूदा प्लांट से लगभग 8 किलोमीटर दूर इसकी स्थापना का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है. पहले चरण में 800 मेगावाट क्षमता की एक यूनिट लगाई जाएगी. यहां से बनने वाली बिजली रेलवे सीधे खरीदेगा, यानी यह बिल्कुल समर्पित (डेडिकेटेड) पावर प्लांट होगा.
