Bihar AQI: पटना बिहार का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर, N95 मास्क के उपयोग की सलाह, जानिए पूरे प्रदेश का कैसा है हाल
Bihar AQI: ठंड बढ़ने के साथ ही राजधानी पटना में प्रदूषण ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. शहर के गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य सड़कों तक बिना मास्क के बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. धूल का स्तर इतना बढ़ चुका है कि यह लोगों को बीमार बना रही है, जिससे हर उम्र के लोग परेशान हैं. पटना निगम की ओर से वाटर स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव जरूर किया जा रहा है, लेकिन शहर की हवा फिलहाल राहत देने के मूड में नहीं दिखती.
Bihar AQI, लाइफ रिपोर्टर@पटना: ठंड शुरू होते ही प्रदूषण बढ़ने लगा है. 151 एक्यूआइ के साथ पटना प्रदेश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जबकि शहर के मुरादपुर और समनपुरा मोहल्ले का एक्यूआइ गुरुवार को 200 के करीब पहुंच गया है. समनपुरा का एक्यूआइ शुक्रवार शाम पांच बजे 184 और मुरादपुर का 178 दर्ज किया गया, जो वायु गुणवत्ता में थोड़ी गिरावट को इंगित कर रहा है. विदित हो कि एक्यूआइ 200 के पार करने पर वायु गुणवत्ता खराब मानी जाती है.
बीते वर्षों के आंकड़े को देखे, तो दिसंबर के शुरू होते साथ ठंड बढ़ने के कारण हर वर्ष प्रदूषण की मात्रा बढ़नी शुरू हो जाती है और दिसंबर अंत तक यह बेहद खराब या कभी कभी खतरनाक श्रेणी में भी पहुंच जाती है, जो पूरे जनवरी बनी रहती है. इसके कारण न केवल धुंघ गहराने लगता है, बल्कि लोगों को स्वच्छ हवा नहीं मिलने से सांस लेने में भी परेशानी महसूस होती है. खासकर ऐसी प्रमुख सड़कों पर जहां बड़ी संख्या में वाहन आते-जाते हैं स्थिति अधिक खराब रहती है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि ठंडी हवा के कारण उसका घनत्व बढ़ जाता है, जिससे धूलकण ज्यादा देर तक हवा में तैरते रहते हैं. हवा की भार वहन क्षमता बढ़ने से प्रदूषक तत्व नीचे न गिरकर वातावरण में ही जमा हो जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर और तेजी से बढ़ता है. ऐसे में लोगों को अभी से सतर्क रहने और एहतियाती कदम अपनाने की जरूरत है.
पीएम 2.5 और पीएम 10 बनी परेशानी की सबब
पटना में गांधी मैदान और जगदेव पथ(मुरादपुर) और वेटनरी कॉलेज, एयरपोर्ट व बीआइटी मेसरा (समनपुरा) के आसपास की हवा सबसे अधिक खराब रही. मुरादपुर और समनपुरा दोनों मॉनिटरिंग स्टेशन पर एकत्र आंकड़ों में प्रदूषण स्तर बढ़ने की मूल वजह पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर बढ़ना रहा.
पीएम 2.5 और पीएम 10 बनी परेशानी की सबब
पटना में गांधी मैदान और जगदेव पथ(मुरादपुर) और वेटनरी कॉलेज, एयरपोर्ट व बीआइटी मेसरा (समनपुरा) के आसपास की हवा सबसे अधिक खराब रही. मुरादपुर और समनपुरा दोनों मॉनिटरिंग स्टेशन पर एकत्र आंकड़ों में प्रदूषण स्तर बढ़ने की मूल वजह पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर बढ़ना रहा. हवा में अन्य जहरीले गैस जैसे- सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया और नाइट्रोजन की मात्रा निर्धारित स्तर के भीतर ही रही और कार्बन मोनो डाइऑक्साइड का स्तर भी हल्का ही बढ़ा दिखा.
100 के ऊपर रहा 19 में से 13 शहरों का एक्यूआइ
प्रदेश के 19 शहरों में से छह का एक्यूआइ 50 से 100 के बीच में रहने के कारण वायु गुणवत्ता संतोषजनक श्रेणी में दर्ज की गयी जबकि 13 शहरों का एक्यूआइ 100 से 200 के बीच होने के कारण हवा की गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में दर्ज की गयी. इनमें अररिया की हवा सबसे खराब रही जहां का एक्यूआइ 166 रहा. 158 एक्यूआइ के साथ हाजीपुर और औरंगाबाद दूसरे स्थान पर और 151 एक्यूआइ के साथ पटना तीसरे स्थान पर रही.
सबसे अधिक रहा अररिया का एक्यूआइ
शहर – एक्यूआइ
अररिया-166
आरा-127
औरंगाबाद-158
बेगूसराय-120
बेतिया-98
भागलपुर-98
बिहारशरीफ -122
बक्सर- 121
छपरा- 69
गया-123
हाजीपुर-158
मोतिहारी -92
मुंगेर-122
मुजफ्फरपुर-133
पटना-151
पूर्णिया-81
राजगीर-103
सहरसा-116
समस्तीपु-56
सबसे अधिक रहा समनपुरा का एक्यूआइ
समनपुरा -184
मुरादपुर-178
तारामंडल-138 राजबंशीनगर -103
डीआरएम कार्यालय, दानापुर-165
राजकीय उच्च विद्यालय, शिकारपुर-137
वाटर स्प्रिंकलर से धूल नियंत्रण की पहल, पर प्रयास अब भी अपर्याप्त
बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए पटना नगर निगम शहर की कई सड़कों पर लगातार पानी का छिड़काव कर रहा है. उद्देश्य यह है कि हवा में उड़ती धूल को नियंत्रित किया जा सके और लोगों को कुछ राहत मिले.
नगर निगम की यह पहल सराहनीय जरूर है, लेकिन शहर में फैलते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए यह प्रयास अभी भी नाकाफी साबित हो रहा है. कई मुख्य सड़कों पर प्रतिदिन वाटर स्प्रिंकलर मशीनें तैनात रहती हैं, जो हवा में उठते धूल कणों को बैठाने का प्रयास करती हैं.
सबसे अधिक फोकस गांधी मैदान एरिया पर है फोकस
सबसे अधिक फोकस गांधी मैदान के आसपास के इलाकों पर दिया जा रहा है. यह क्षेत्र दिनभर भारी ट्रैफिक दबाव झेलता है, जिसके कारण सड़क पर मौजूद धूल लगातार उड़ती रहती है. गांधी मैदान के चारों ओर वाहनों की आवाजाही इतनी अधिक है कि सामान्य छिड़काव से धूल नियंत्रण मुश्किल हो जाता है. इसी कारण नगर निगम ने एहतियातन इस इलाके में पानी के छिड़काव की संख्या दोगुनी कर दी है, ताकि प्रदूषण स्तर में कुछ कमी लायी जा सके.
15 वाटर स्प्रिंकलर व 10 एंटी स्मोक गन है मौजूद
बता दें कि, अजीमाबाद अंचल में तीन वाटर स्प्रिंकलर तैनात हैं. नूतन राजधानी अंचल में चार वाटर स्प्रिंकलर और तीन एंटी स्मोक गन काम कर रहे हैं. इसी तरह पटना सिटी अंचल में एक वाटर स्प्रिंकलर और एक एंटी स्मोक गन मौजूद है. वहीं, बांकीपुर अंचल में दो-दो स्प्रिंकलर और एंटी स्मोक गन तैनात किए गए हैं. पाटलिपुत्र अंचल में भी दो वाटर स्प्रिंकलर के साथ दो एंटी स्मोक गन लगाये गये हैं. जबकि, कंकड़बाग में तीन वाटर स्प्रिंकलर व दो एंटी स्मोक गन पानी का छिड़काव कर रही है.
लंग्स और आंखों को प्रभावित कर रहा प्रदूषण
शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण ने स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा कर दी हैं. हवा में मौजूद PM2.5, PM10, धुआं, वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक धूल और रसायन सीधे तौर पर फेफड़े, आंख और बालों को प्रभावित कर रहे हैं. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एलएनजेपी हड्डी अस्पताल व न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में आंखों में जलन, बाल झड़ने और अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है.
पिछले 10 दिनों में आंखों में जलन, लाल होने और पानी आने की शिकायतों के 30 फीसदी तो अस्थमा के मरीजों की संख्या में 70 फीसदी तक इजाफा हुआ है. सबसे अधिक आइजीआइएमएस के नेत्र रोग ओपीडी में सुबह से ही कतारें लग रही हैं. रोजाना करीब 800 से एक हजार मरीजों की जांच हो रही है.
विशेषज्ञों ने बताया- ऐसे परेशानी में डाल रहा धूल
फेफड़ों पर प्रभाव
- प्रदूषित हवा में मौजूद महीन कण सांस के साथ फेफड़ों तक पहुंचकर सूजन पैदा करते हैं.
- लगातार खराब हवा में रहने से खांसी, सांस फूलना, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं.
- लंबे समय में फेफड़ों की कार्य क्षमता कम होने लगती है और गंभीर मामलों में फेफड़ों का संक्रमण या कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है.
आंखों पर प्रभाव
- प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, लालिमा, सूखापन और एलर्जी जैसी समस्याएं आम हो गयी हैं.
- धुआं और रासायनिक कण आंखों की बाहरी सतह को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे ‘कंजंक्टिवाइटिस’ का खतरा बढ़ता है.
- लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से आंखों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है और दृष्टि पर भी प्रभाव पड़ सकता है.
ये बरतें सावधानियां- - घर से बाहर निकलते समय N95 मास्क का उपयोग करें.
- आंखों की सुरक्षा के लिए गॉगल्स या चश्मा पहनें.
- घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और खिड़कियों को पीक प्रदूषण के समय बंद रखें.
- पानी खूब पिएं और आंखों को नियमित रूप से साफ पानी से धोएं.
